शायद दुनिया क कोनो देश अपन युगपुरुष आ पहिल राष्टï्रपति क धरोहर, स्मृति आ प्रतीक चिन्ह कए एतबा उपेक्षित रखने होयत। जतय देश क राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू क समाधि, स्मृति आ पैतृक घर मे बसल हुनकर स्मृति कए संजो कए संरक्षित राखल गेल अछि ओहि ठाम हुनका सब संग कंधा स कंधा मिला कए आजादी क लड़ाई लड़निहार, संविधानसभा क अध्यक्ष, देश क प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद क समाधि, स्मृति आ पैतृक घर सबटा बदहाली आ उपेक्षा क शिकार अछि। हुनकर 125म जयंती पर कोनो वार्षिक राजकीय समारोहक आयोजन नहि करबाक घोषणा करि केंद्र सरकार एक बेर फेर बिहार पुत्र, संविधान निर्माता आ दू बेर देशक राष्ट्रपति हेबाक गौरब पउनिहार देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद कए उपेक्षांजलि अर्पित केलक अछि।
पैतृक घर- जीरादई
हारिए ना हिम्मत बिसारिए ना हरिनाम
जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए। ..इ शब्द, इ वाक्य लिखल अछि देशरत्न क गाम मे अवस्थित राजेंद्र शिशु उद्यान मे लागल हुनकर प्रतिमा क नीचा मे, जे उद्यान आइ मवेशी क चारागाह बनि चुकल अछि। प्रतिमा लग अंकित इ पक्ति हुनकर चाहनिहार कए सांत्वना देबा लेल शायद लिखल गेल अछि। किया कि हुनकर पैतृक घरक हालत सेहो एहि उद्यान स नीक नहि अछि। ओना कहबा लेल हुनको पैतृक निवास कए भारतीय पुरातत्व विभाग संरक्षित स्मारक घोषित केने अछि मुदा ओ सीवानक आनंद भवन नहि बनि सकल। सीवान जिला मुख्यालय स लगभग 16 किलोमीटर दूर जीरादेई गांव मे डॉ राजेंद्र प्रसाद क जन्म तीन दिसंबर, 1884 को मुंशी महादेव सहाय क परिवार मे भेल छल। लगभग 5 बीघा जमीन मे बनल हुनकर निवास मे महात्मा गांधी क सेहो ठहरल छथि, मुदा आइ कईटा कोठली मे खिड़की-किवाड़ तक नहि अछि। देशरत्न क उपेक्षा पर सीवान स नवनिर्वाचित निर्दलीय सांसद ओमप्रकाश यादव कहला जे राजेंद्र बाबू क जन्मस्थली सरकार क नजरि आइ धरि नहि आयल। जीरादेई कए एकटा पर्यटक स्थल क रूप मे विकसित करबाकचाही।
समाधि स्थल -पटना
लकड़ी स झांपल, कुत्ताक आरामगाह
बांस घाट स्थित राजेंद्र बाबूक समाधि स्थल तकबा मे परेशानी भ सकैत अछि। पिछला किछु साल पहिने तरूमित्र नामक संगठन पटनाक स्कूली छात्र स एकटा सर्वे मे इ पूछने छल जे राजेंद्र बाबूक समाधि कोन शहर मे अछि। आंकड़ा चौंका देलक मात्र तीन फीसदी छात्र एकर ठीक उत्तर द सकलाह। जाहि मे स एकटा छात्रा त राजेंद्र बाबूक संबंधी छलीह। हालात एखनो एहि बदलल अछि। साल मे दू दिन धोयल-माजल जाइवाला राजेंद्र बाबूक समाधि पर ओना आम दिन कुत्ताक मौजूदगी देखल जा सकैत अछि। समाधि पर लिखल हे राम मे स हे गायब होइत रहल अछि। लाइट गायब अछि। चौकीदार तकबा स नहि भेटत । छोट सन बनल उद्यान मे फूल कहिया उगल आ कहिया खत्म भेल इ कागजे पर पता लागि सकैत अछि। गौरतलब अछि जे समाधि स्थलक पर एहि छोट सन उद्यानक निर्माण 1984मे कैल गेल अछि। निश्चित रूप स इ स्थल पटना मे राजघाट या शांतिवन स नहि अछि। सच कहि त दिल्ली स्थित कोनो समाधि स्थल एकरा स सौ गुना बेहतर ढंग स बनाउल गेल अछि आ रख-रखाब भ रहल अछि।
जतए गेलन प्राण – पटना
10 गोटे तक नहि अबैत अछि स्मृति क फूल चुनबा लेल
पटना। नहि कतए कोनो बोर्ड आ नहि कोनो एहन इशारा जे आगू जखन घुमब आ बांस क खपच्ची स बनल अस्थायी पुलिया कए पार करब त सामने ओ उपेक्षित खपरैल क घर भेटत, जतए कोनो समय देश क प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद रहैत छलथि। एहि ठाम कए राजेंद्र स्मृति संग्रहालय नंबर-1 कहल जाइत अछि। भवन क बरामदा मे राजेंद्र बाबू क तस्वीर क अलावा और किछु नहि अछि। राष्ट्रपति क पद स जखन राजेंद्र बाबू अवकाश ग्रहण केने छलथि त अपन इच्छा क अनुसार एहि ठाम रहलथि। बिहार विद्यापीठ परिसर स्थित इ खपरैल क आवास स राजेद्र बाबू आजादी क लड़ाई मे अपनेक झोंकने छलथि। महात्मा गांधी सेहो कई बेर इ खपरैल मे ठहरल छलथि। एहि ठाम राजेंद्र स्मृति संग्रहालय सेहो अछि, जतए माह भरि मे तीन सौ टा लोक नहि अबैत अछि। जखन पूरा देश 3 दिसंबर कए देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद क 125 वीं जयंती मनाबैत छल, तखन हुनकर एहि अतिप्रिय स्मृति पर ठीक स रोशनी क प्रबंध नहि कएल छल।
Etihas Gabag achhi je Bihar ke sadikhan upekshit kayal gel, Jakhan ke Makanak Nim se lay ke Deshak nib aur okar vikas me sayad Bihar aur Bihari ke sabse besi yogdan chhaik, rahal baat Rajendra Babu (Deshak Gourab) ke upekshit kay ke kendra sarkar sanghi deshak aan bhagak lok Ee sabit karay chahait acchi je Bihar ke upekshit kay ke rakhla me phayda acchi “Sanga Deshrattan Dr. Rajendra Prasad ke Sat-Sat Naman”