उच्च शिक्षा लेल जाहि प्रकार स बिहार मे हंगामा मचल अछि आ केंद्रीय विश्वविद्यालय लेल जाहि प्रकार स राज्य आ केंद्र मे तनाव देखल जा रहल अछि, इ सब सोचबा लेल मजबूर क रहल अछि जे की सही मे बिहार कहियो शिक्षा क केंद्र छल आ की बिहार फेर शिक्षाक केंद्र भ सकैत अछि? की नालंदा स जे यात्रा शुरू भेल छल ओ यात्रा नालंदा पर जा कए रूकत या आगू बढत। की ‘बेरोजगार पैदा करबाक क फैक्ट्री’ क नाम स मशहूर भ चुकल बिहारक विश्वविद्यालय रोजगार क बाट देखेबा मे कामयाब होएत। फेर स ओहि मुकाम तक पहुचबा लेल इ बुझब बेसी जरूरी अछि जे हम ओहि मुकाम स नीचा कोना आबि गेलहुं। की बिना ओ कारण बुझने बिहार मे शिक्षा क विकास क नारा देनिहार शिक्षा क क्षेत्र मे बिहार कए फेर स अगिला पांति मे ढार क सकताह। किछु एहने सवालक उत्तर तकैत पत्रकार सुनील कुमार झा क शोधपरक आलेख अछि जे इ बुझबा मे मददगार होएत जे बिहार मे कोना कालखंड क संग शिक्षा क स्तर खंडित होइत गेल।…. समदिया
———————————————
बिहार, ओ जमीन जाहि ठाम सत्ता अस्त्र-शस्त्र स बेसी ज्ञान स बदलैत रहल अछि। चाणक्य होइत बा महेश ठाकुर एहि जमीन पर कईटा एहन उदाहरण अछि जाहि स इ प्रमाणित होइत अछि जे सत्ता हथियार स नहि ज्ञान स पाउल जाइत अछि। एहन मे समाज मे ज्ञान क प्रसार सत्ता लेल हरदम खतराक कारण रहैत अछि। बहुत लोकक मानब अछि जे मगध कए मूर्ख बना ओकरा पर राज करबाक नीतिक तहत सन् 1123 मे बख्तियार खिलीजी नालंदा विश्वविद्यालय कए बर्बाद क बिहार क शिक्षा क संस्कृति कए तबाह करि देने छल। मुगल हुए बा अंग्रेज या फेर आजाद भारत मे लोकतांत्रिक नेता सब शिक्षा कए केवल गर्त मे ल जेबाक काज केलथि। अंगुरी पर गिनबा योग्य नाम भेटत जे बिहार मे शिक्षा लेल किछु केलथि बा करबाक प्रयास केलथि।
बख्तियार खिलीजी क इ नीति एतबा कारगर साबित भेल जे बंगाल जीतलाक बाद अंग्रेज सेहो एहि इलाका पर ओकर नीति कए जारी रखलक। बागी बिहार मे शिक्षा क विकास काफी कम गति स भेल जाहि स बिहार देशक आन हिस्सा स पाछु होइत गेल। 1608 मे जखन ईस्ट इन्डिया कम्पनी क फरमान लकए अंग्रेज हाकिन्स भारत आयल छल तखने ओकरा एहि जमीनक इतिहास बता देल गेल छल। 1813 मे जारी कंपनी चार्टर क अनुसार देशज भाषा आ विज्ञान क विकास लेल पैघ राशि जारी भेल, मुदा बिहार क राशि कए कलकत्ता, बांम्बे आ मद्रास रेजिडेंसी कए देल गेल। यूरोपिय ज्ञान आ अंग्रेजी पढाई लेल बिहार मे केवल एकटा स्कूल क चयन भेल, जे भागलपुर स्कूल छल।
1835 मे राजा राम मोहन राय आओर लॉर्ड मैकाले स प्रभावित भ लॉर्ड बेंटिक बिहार मे अंग्रेजी शिक्षा कए बढाबा देबा लेल प्रयास केलथि। बिहारशरीफ आ पूर्णिया मे अंग्रेज़ी शिक्षा केन्द्र क स्थापना भेल। अंग्रेजी कए बढाबा देबा लेल एकर जानकार कए सरकारी नौकरी मे राखए जा लागल। 1854 मे बिहार मे शिक्षा क प्रगति लेल अंग्रेज एकटा कमेटी गठित केलक जाहि स शिक्षा क उन्नति पर कार्य हेबाक छल, मुदा एकरा दुर्भाग्य कहल जाए या किछु आओर 1857 क क्रांति क बाद फेर ओ कमेटी दिस ककरो ध्यान नहि गेल। लोक लड़ाई क बीच पढाई कए बिसरैत गेल।
ओना दरभंगा महाराज उत्तर बिहार लेल अपन स्तर स अंग्रेजी स्कूल खोलबाक योजना तैयार केलथि। जेकर बावजूद 1899-1900 क दौरान बिहार मे अवर प्राथमिक स्कूलक संख्या महज 8978 छल। पटना विश्वविद्यालय सेहो 1917 मे जा कए स्थापित भ सकल।
आजादीक बाद राजनेता सेहो अंग्रेज क राखल नीव पर महल ढार करबाक स पाछु नहि रलाह। उपर स राजनैतिक अराजकता आ मुख्यमंत्री क आवाजाही क सबस बेसी असर शिक्षा पर देखल गेल। शिक्षाक स्तर मे समतलीकरण एहन भेल जे पटना विश्वविद्यालय जे देशक सातम पुरान विश्वविद्यालय छी, ओकर गरिमा तक ख़त्म भ गेल। आजादीक बाद बिहार मे शिक्षा पर पहिल पैघ चोट भेल केबी सहाय युग मे। 1967 मे केबी सहाय शिक्षा लेल ‘’सब धन 22 पसेरी’’ क फार्मूला अपनेलथि। सहाय बिहार क प्राथमिक स ल कए उच्च शिक्षा तक कए तहस-नहस क देलथि। इ बिहार मे आजादी क बाद शिक्षा लेल सबस खराब समय कहल जा सकैत अछि। ओ राज्य मे नव विश्वविद्यालय खोलबाक संगहि ओकरा लेल निजी कालेज कए आंखि मूंदि कए सरकारी मान्यता दैत गेलाह। एहि प्रकार स ओ कॉलेजक प्रतिष्ठा कए गर्त मे खसा देलथि। हुनक एहि नीति कए बाद मे जगन्नाथ मिश्र अंतिम मुकाम तक ल गेलाह। ज्ञात हुए जे केबी सहाय क कार्यकाल स पहिने बिहार मे केवल दूटा यूनिवर्सिटी छल। हुनक कार्यकाल मे भागलपुर, रांची आ मगध यूनिवर्सिटी बनल। एहि विश्वविद्यालय लेल ओ निजी कॉलेज सब कए एक दिस स सरकारी मान्यता दैत गेलाह, जाहि स कॉलेज क बीच अंतर मिटाइत गेल आ नीक कॉलेज सबक स्थिति सेहो दोयम दर्जा क होइत गेल।
कॉलेज आ विश्वविद्यालय मे अराजकता आ गुंडागर्दी संयुक्त विधायक दल सरकार आ बिहार आन्दोलन क दौरान शुरू भेल। 1969 मे परीक्षा क दैरान चोरी करबाक मांग करि रहल छात्र कए जिगर क टूकडा कहि सत्ता पर पहुंचल महामाया प्रसाद बिहार मे पहिल बेर गैर कांग्रेसी सरकार क मुखिया भेलाह। हुनक मंत्रिमंडल मे समाजवादी पार्टी क नेता कर्पूरी ठाकुर शिक्षा मंत्री बनलाह। ओ एकटा अजीब सन आदेश पारित केलथि जेकर नासूर एखन धरि बिहार कए कना रहल अछि। ओहि आदेशक अनुसार मैट्रिक मे पास करबा लेल अंग्रेजी अनिवार्य विषय नहि रहल। ताहि समय मे लोक “पास विदाउट इंगलिश” कए कर्पूरी डिविजन नाम देलक फलतः शिक्षा मे अंग्रेजी क स्तर एतबा खसल जे आइ धरि बिहारक छवि ओहि स अपना कए दूर नहि क सकल अछि।
ओना 1972 मे जखन कांग्रेस क केदार पाण्डेय क सरकार बनल त ओ शिक्षा क स्तर उठेबाक प्रयास केलथि आ महामाया बाबूक जिगर क टुकडा सब कए सुधारबाक लेल किछु कठोर निर्णय लेलथि। पांडेय सरकार विश्वविद्यालय क जिम्मा अपन हस्तगत कैल आ सख्त आईएएस अधिकारी कए कुलपति आ रजिस्टार क पद पर बहाल केलक। एकर असर सेहो भेल। विश्वविद्यालय स गुंडाराज खत्म भेल। परीक्षा आ कक्षा बंदूक क साया मे सही मुदा सुचारू भेल। बिहार मे शिक्षा क संस्कृति पटरी पर लौट रहल छल, तखने केंद्र राजनीतिक मजबूरी मे केदार पांडेय कए मुख्यमंत्री पद स हटा देलक। एकर बाद संपूर्ण क्रांति क दौर आबि गेल आ विश्वविद्यालय अध्ययन स बेसी राजनीतिक मंच भ गेल। शिक्षा क सबटा व्यवस्था संपूर्ण क्रांति मे ध्वस्त भ गेल।
बिहार मे अगर शिक्षा क समाधी बनेबाक श्रेय ककरो देल जा सकैत अछि त ओ जगन्नाथ मिश्र क नाम होएत। जगन्नाथ मिश्र कहबा लेल कनिक कनिक दिन लेल तीन बेर मुख्यमंत्री भेलाह, मुदा हुनक नीति पीढी क पीढी प्रभावित करबा योग्य रहल। ओ केबी सहाय क नीति कए आगू बढबैत जाहि कॉलेज लग भवन तक नहि छल तेहन कॉलेज सब कए सरकारी घोषित क विश्वविद्यालय पर बोझ बढा देलथि। संगहि नीक आ अधलाह मे अंतर एतबा मिटा देलथि जे कोनो कॉलेज अपना कए कम आंकबा लेल तैयार नहि रहल। उपर स उर्दू कए दोसर राजभाषा क दर्जा द भाषाई शिक्षा कए राजनीतिक रंग सेहो प्रदान क देलथि। बिहार देश क पहिल राज्य भ गेल जाहि ठाम दोसर राजभाषा कए मान्याता भेटल।
डॉ साहेब स प्रसिद्ध जगन्नाथ मिश्र अपन तीनू कार्यकाल मे शिक्षा विभाग कए अपन राजनीति स्वार्थ क पूर्ति लेल उपयोग केलथि। हुनकर कार्यकाल मे शिक्षण संस्थान राजनीतिक अखाडा भ गेल। डा मिश्र टूटपुन्जिया कालेज सब कए विस्वविद्यालय क मान्यता दिया ओकर शिक्षक सब कए मनचाहा नीक कॉलेज मे पदसथापित करा देलथि। जाहि स प्रतिष्ठित कॉलेजक पढाई प्रभावित भेल। दोसर यूनिवर्सिटी बिल मे संसोधन करि कए बिहार क युनिवेर्सिटी सबहक पहचान ख़त्म क देलथि। नवका यूनिवर्सिटी बिल मे कोनो यूनिवर्सिटी क कर्मचारी कोनो यूनिवर्सिटी मे अपन स्थानांतरण करवा सकैत अछि। जग्ग्न्नाथ मिश्र अपने सबस पहिने एहि बिल क फायदा उठेलाह। ओ बिहार विश्वविद्यालयक एलएस कॉलेज स अपन तबादला पटना विश्वविद्यालयक बीएन कॉलेज मे करा लेलथि। एकर संगहि अपन किछु खास लोकक तबादला सेहो मनपसंद कॉलेज मे करबा देलथि। एहि संशोधन स छोट कॉलेजक शिक्षक पैघ कॉलेज मे चल गेल, मुदा ओहि स बेसी खतरनाक इ रहल जे बहुत अयोग्य शिक्षक बढिया कॉलेज मे जा ओकर प्रतिष्ठा कए खत्म क देलथि। एहन बहुत शिक्षक नीक कॉलेज पहुंच गेलाह जे कहियो न कक्षा लेने छलाह आ नहि प्रयोगशाला गेल छलाह। एहि स योग्य शिक्षक सब मे तनाव बढ़ब शुरू भेल आ ओ पढेनाई कम करैत गेलाह। जगन्नाथ मिश्र क कार्यकाल कुर्सी तबादला लेल सेहो प्रसिद्ध अछि। हुनकर कार्यकाल मे जखन कोनो नीक कॉलेज मे शिक्षक लेल जगह नहि रहैत छल त आन कॉलेज लेल आवंटित शिखक कोटा मे स एकटा पद ओहि प्रसिद्ध कॉलेज कए द देल जाइत छल। एहन उदाहरण देशक कोनो आन राज्य मे भेटब मुश्किल अछि।
1969 स 1990 तक बिहार मे शिक्षा एतबा गर्त मे पहुंच गेल छल जे लालू लेल बहुत किछु करबाक स्कोप नहि रहल। ओ चरवाहा विद्यालय क रूप मे दलित समाज क लोक कए आगू उठेबाक काज केलथि, हुनक नारा छल- घोंघा चुनने वालों, मूसा पकड़ने वालों, गाय-भैंस चराने वालों, शिक्षा प्राप्त करो । मुदा हुनकर इ योजना सेहो राजनैतिक अस्थिरता आ सत्ता परिवर्तन क कारण खटाई मे चल गेल। शिक्षा क हालत बद स बदतर होइत गेल। लालूक राज मे विद्यार्थी पलायन एकटा नव शब्द आयल। उदारवाद क बाद रोजगारपरक शिक्षा लेल बिहारक छात्र आन राज्य लेल पलायन शुरू केलक, जाहि स बिहार कए पैघ आर्थिक क्षति सेहो भेल।
2005 मे नीतीश राज आयल। विकास क नाम पर भेटल वोट स नीतीश सब क्षेत्र मे विकासक गप केलथि। उम्मीद जगल जे शिक्षा क क्षेत्र मे सेहो विकास होएत। मुदा पिछला सात मे शिक्षा क क्षेत्र मे कोनो खास काज नहि देखा रहल अछि। शिक्षकक नियुक्ति त भ रहल अछि, मुदा शिक्षाक स्तर नहि सुधरि रहल अछि, बल्कि एकटा एहन शिक्षित जमात पैदा भ रहल अछि जे मूर्ख होएत।
कुल मिलाकए महामाया प्रसाद स ल कए नीतीश कुमार तक पालतुकरण क नीति अपनाकए विश्वविद्यालय कए अपन राजनैतिक चारागाह बना रखने छथि। आंकडा पर गौर करि त 1970 स ल कए 1980 क बीच बिहार मे शिक्षा लेल सबस बेसी नीतिगत फैसला लेल गेल। एहि दौरान राज्य मे आठ टा सरकार बनल आ सात टा राज्यपाल बदलल गेल। चारि बेर राजभवन स सत्ता क केंद्र बनल। एहि कालखंड मे केवल पटना विश्वविद्यालय मे 11टा कुलपति नियुक्त कैल गेलाह। कुल मिला कए कियो स्थिर रूप स कतहु नहि काज क सकल। एहि दौरान शिक्षा मे व्याप्त राजनीति आ गुंडाराज कए देख कए जानल मानल शिक्षाविद डॉ वीएस झा एतबा धरि कहला अछि जे बिहार मे महाविद्यालय स्थापित करब एकटा लाभप्रद धंधा अछि बशर्ते संस्थापक राजनैतिक बॉस हुए या जनता क नज़र मे ओकर छवि एकटा दबंग क रहए।
बिहार मे वर्तमान शिक्षा : 25 हजार करोड स बेसी जा रहल दोसर राज्य
वर्तमान शिक्षा क अगर गप करि त उच्च शिक्षा लेल बिहार भारत मे एकटा एहन राज्यक रूप मे जानल जाइत अछि जाहि ठामक विद्यार्थी पर बाहरी राज्यक गैर सरकारी संस्थान अपन गिद्ध दृष्टि जमौने रहैत अछि। एकटा अध्यन मे इ दावा कैल गेल अछि जे सब साल बिहार स लगभग 25 हजार करोड टका बाहर जा रहल अछि। अध्ययन क मुताबिक उच्च शिक्षा लेल प्रतिवर्ष एक लाख छात्र बिहार स बाहर जाइत छथि। महाराष्ट्र, राजस्थान आ कर्नाटक सन राज्यक आर्थिक मजबूती मे बिहार स गैल टका एकटा महत्वपूर्ण हिस्सा बनि चुकल अछि। इ स्थिति तखन अछि जखन भारत क दसटा प्राचीन विश्वविद्यालय मे स तीनटा बिहार मे खंडहर बनल अछि। अध्ययन क अनुसार रहब, खाइब, पहिब आ अन्य मूलभूत सुविधा पर आन राज्य मे भ रहल खर्च कए छोडि दी त प्रति छात्र 70,000 टका सालाना ( जे कि किछु राज्य क इंजीनियरिंग मे प्रवेश लेल सरकारी फीस अछि) क हिसाब स 700 करोड़ होइत अछि (ज्ञात हुए जे एकर अलावा संस्थान डोनेशन क नाम पर सेहो काफी चंदा वसूल लैत अछि) बिहार स बाहर चल जाइत अछि। एकर अलावा प्रवेश दियेबाक नाम पर शिक्षा क दलाल क उगाही अलग अछि। बिहार स किछु एतबे राशि कोचिंग, गैर सरकारी संस्थान आ पब्लिक स्कूल क लेल सेहो बाहर जा रहल अछि। ओना आंकडा बता रहल अछि जे एखन धरि एि कोचिंग संस्थान मे ( एकाध कए छोडि दी त) कोनो छात्र राष्ट्रिय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोनो प्रतियोगिता मे अव्वल नहि आबि सकलाह अछि। सरकारी संस्थान क अगर गप करि त एहि मे स ज्यादातर भगवान् भरोसे अछि। किछु मे त व्यवस्था नहि त किछु मे शिक्षक नहि। राज्य क कईटा कॉलेज मे चलि रहल बीसीए पाठ्यक्रम लेल कंप्यूटर विभाग क अपन लैब तक नहि अछि। कईटा विभाग मे लैब अछि मुदा ओ बस नाम लेबा लेल, ओहि मे कोनो सामान नहि अछि। किछु एहने हाल पुस्तकालय सबहक अछि। बिहार क सब विश्वविद्यालय कए अपन पुस्तकालय रहबाक गौरव त अछि मुदा ओकर हालत बद स बदतर भ चुकल अछि। हवादार कोठली क त गप छोडू धुल धूसरित आलमारी सब स पुस्तक निकालबाक प्रयास करब कठिन अछि। कईटा किताब फाटल अछि त कईटा पढबा योग्य नहि रहल। नव किताब क खरीद क त गप जुनि करू। किछु सोधार्थी आ दान क फलस्वरूप किछु पुसतक नव भेट सकैत अछि। उच्च शिक्षा क प्रसारक हालत इ अछि जे मिथिला विश्वविद्यालय क बंटवारा भेलाक बावजूद आलम इ अछि जे मधेपुरा जिले मे स्थापित बी.एन. मंडल यूनिवर्सिटी असगर पाँचटा जिला कए बोझ उठेने अछि।
एक दिस देश क तकनिकी आओर उच्च शिक्षा क हजारटा संस्थान मे ओम्बुड्समैन क नियुक्ति हेबाक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री क घोषणा एखन मूर्त रूप नहि ल सकल अछि। जे शिकायत क निपटारा आ भ्रष्टाचार कए रोकबा मे मदद करत आ दोसर दिस केंद्रीय विश्वविद्यालय आ आईआईटी कए ल कए ओ राजनीति सेहो क रहल छथि जाहि कारण स एहि मे देरी भ रहल अछि जे चिंता क विषय अछि। एहन में केंद्र आ राज्य सरकार कए बिहार मे शिक्षा पर ध्यान देबाक चाही वर्ना बिहार मे विकास क रफ़्तार जाहि तेजी स बढि रहल अछि ताहि स कदमताल अगर शिक्षा क विकास नहि करत त इ विकास कखनो औंधे मुँह खसि सकैत अछि।
maithili news, mithila news, bihar news, latest bihar news, latest mithila news, latest maithili news, maithili newspaper
Excellent piece on deteriorating education right from primary level to higher education! Emough information on education in Bihar in the article barring a few factual error-Jagannath Mishra always remained in L S College Bihar university not never in C M college! Jha has made very good efforts to highlight the actual deterioration of education in bihar. I strongly feel the students and masses should concentrate to agitate for proper education in Bihar and government and private sectors must open maximum education institutions including technical institutes right from rural level to urban areas for proper spread of education. Recently I saw an excellent educational institution coming up near Chunapur defence airforce station near Purnia in private sector-Some people there told me that teaching of the Chunapur educational institutions is very good-Such efforts must be made besides regulations on fee structures by the government as well as provisions for better educational facilities in those institutes for the wards of dalits and backwards, who could not afford costly education price!
mty blog-www.kksingh1.blogspot.com
निःसन्देह बड़ नीक लेख | कर्पूरी ठाकुर आ जगन्नाथ मिश्र दुनू लोग विद्या के अर्थी निकले बाला सिद्ध भेला |
नितीश जी जे करथ मुदा आब जे विद्यार्थिक जमात निकलत ओकरा विद्या के दृस्टिकोन स अर्ध विक्षिप्त कहल जायेत किया त आब जे पढाब बला सब के नियुक्ति भ रहल छै ओ मे से अधिकांश विद्या के दृस्टिकोन स अर्ध विक्षिप्त छथ |
I am Completely agree with Prabhakar Jee,
Quality educaion has declined in nitish goverment.