देश अपन स्वतंत्रताक 68 वर्ष पूरा केलक। एहि 68 वर्ष मे देश कतेको मामले मे सकारात्मक परिणाम देलक आ खूब प्रगति केलक अछि। सामाजिक, आर्थिक आ सांस्कृतिक प्रगतिक सं संग आन क्षेत्र मे सेहो देश उल्लेखनीय प्रगति केलक अछि। मुदा 1947 क परिपेक्ष मे देखिए त 2015 मे किछु एहनो क्षेत्र अछि जे उपेक्षित रहि गेल त किछु एहनो अछि ताहु स बदतर भ गेल। जाहि पर विचार आ मंथन समग्र विकास लेल जरूरी नहि बल्कि अनिवार्य अछि। आशावादी नजरि स निराशावादी समाजक मसला कए उठेबाक हमर सतत प्रयास रहल अछि। आजादीक 69 साल बाद हम अपन शहर, अपन राज्य, अपन देश आ अपन समाज कए कतए आ कोना देखैत छी, ओकरा केहन आ कोना बनेबाक सपना गढैत छी ताहि पर इसमाद किछु विशेष लोक क आलेख अपने लोकनिक समक्ष राखि रहल अछि। आजादीक 69 साल बाद क एहि विशेष आयोजन क आजुक आलेख प्रस्तुत अछि। – समदिया
प्रकाश झा
आजुक समयमे जँ कतौ मैथिलीक कोनो आयोजन भ’ रहल अछि त’ अधिकांशक नाम विद्यापति स्मृति पर्व समारोह रखल जाइत छैक । सबतरि आयोजनक ई ‘हेडलाइन’ एक्के । ‘हेडलाइन’क बाद आयोजनक स्थानक नाम जोड़ि देल जाइत अछि । प्राय: सौंसेक विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक आयोजन समीतिक कर्ताधर्ता उम्रक तेसर पड़ाव पार करनिहार छथि । यानि पचास वसंत अधिकांश लोकनि देख चुकल छथि । अपना शहरमे साल भरि कवि कोकिल विद्यापतिक नाम पर आम मैथिलजन वा कि कॉर्पोरेट सेक्टर स’ अर्थोपार्जन कयल जाइत अछि । कतौ तीन दिना, कतौ दू दिना त’ कतौ एक दिना भव्य आयोजनक परिकल्पना होइछ । आयोजन किएक कयल जा रहल अछि वा कि एकर की लक्ष्य छैक आ आयोजनक परिणति की भेल तकर ब्योरा आयोजन कर्ता एहि ‘ओल्ड इज गोल्ड’ कमीटीए टा कहि सकैत छथि ।
एहि बीच अति महत्त्वपूर्ण, अति समृद्ध (आर्थिक रूपे, मानसिक नै) आयोजन समूह झारखण्ड मैथिल मंच, राँची द्वारा विगत 14 – 15, अप्रैल, 2013 क’ एहने विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक भव्य आयोजन कयल गेल । ई संयोगे जे एहि आयोजन कर्ता लोकनिक नजरि मैलोरंग के नाटक पर अटकलन्हि । आजोजन लेल उत्साहित भ’ हमहूँ सब पहुँचलहुँ । ई पहिल अनुभव अछि एहि मैथिल गौरव कवि विद्यापतिक नाम पर आयोजित होम’ बला विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक ।
आयोजन स्थल पर पहुँचैत देरी ओत्तुक्का व्यवस्था आ भव्यताक दृश्य देखि हम अपन रंगमंडल संग क्षुब्ध भ’ गेल रही । आपसमे बेसीकाल यैह हिसाबमे लागल रही जे एत्तेक पाई कत’ स’ आयल हौयत ? टेंटवला कतेक रुपैया लेने हेतै, लाइटबला कतेकमे साटा केने हेतैक, दू दूटा साइलेंट जेनरेटर, ध्वनि यंत्रक विशाल – विशाल बॉक्समे कतेक पाई लागल हेतैक, लगभग एक हजार कुर्सी लागल छैक कतेक रुपैया लागल हेतैक… आदि आदि । हम सब अपना अपना शहर आ अपन स्थिति के तुच्छ बूझैत आगू बढ़लहुँ । संयोग जे रातिमे पानि – बिहाड़ि तेहन उठल जे सबटा चौपट । तैयो रातिमे कार्यक्रम भेल । हम सब थाकल रही आवास स्थानपर जा सुति रहलहुँ । राँचीक एहि आयोजक लोकनिक अथक प्रयास बुझा रहल छल ।
भोरे जानकारी भेटल जे कार्यक्रम त’ रातिक 2 बजे धरि चलल । मारि फँसि गेलै तकरा बादे बंद भेल । हम चौंकलहुँ ‘मारि फँसि गेलै ?’ से कोना ? – मस्त मस्त गीत हुअ’ लगलै, किछु दर्शक संग आयोजक लोकनि सेहो शराब पिबि क’ मस्त भ’ गेलाह त’ मारि नै फँसतै ? मस्त मस्त माने – दुई अर्थी गीत… जिंस ढ़ीला क’ र’…, छाती मे उठैयै दरद कनी हाथ लगा द’… आदि आदि… ।
आजुक राति हमर नाटक छल तेँ भोरे आठ बजे आयोजन स्थल पर पहुँचलहुँ । मंचक स्थिति देख अचम्भित । मंचक तरमे, अगल बगल, पटेल भवनक खिड़की केबारक दोगमे, रैकक हन्नामे सौंसे महग स’ महग शराबक खाली बोतल छिड़ियायल । विद्यापतिक फोटो पानिमे भीजल । विद्यापतिक कतेको ‘कट आउट’ इम्हर ओम्हर फेंकल । राँचीक एहि धरतीपर हमर मानसिक स्थिति विचलित होम’ लागल । नाश्ता करैत काल भनसीया स’ गप्प शुरु केलहुँ । जानकारी भेटल जे रातिमे गीत – नाद शुरु भेल तकरा बाद जमशेदपुर स’ आयल टीम अपन गीति – नाट्य शुरु करबा लेल जखने मंचपर गेल कि तखने ओहि टीमक एकटा महिला कलाकार सँ एक व्यक्ति अश्लील व्यवहार केलखिन । ई अश्लीलताक अंदाजा एहि स’ लगओल जा सकैत अछि जे टीमक सब सदस्यक संग निर्देशक सेहो घोर आपत्ति जतेलाह । निर्देशक पंकज जी मंचपर चढ़ि जे मोनमे अयलन्हि से कहि अपन प्रस्तुति नै करबाक निर्णय ल’ लेलाह आ रातियेमे जमशेदपुर लेल बिदा भ’ गेलाह । आब आयोजक जे हिनका लोकनि के आमंत्रित केने रहथिन आ जिनका कारण ई लोकनि चलि गेलाह दुनू ग्रुपमे नीक जेना मारि फँसि गेल । मारि शांत भेला उपरांत चंदा देनिहार लोकनि अरि गेलाह जे हम गीत त’ सुनबे करब । गीत शुरु भेल आ दू बजे धरि चलल । खूब अश्लिल गीतक माँग हुअ’ लागल । एहन गीत सुननिहार आ गीतक रसपान करनिहारमे अधिकांश अधबेसू छलाह । फेर मारि पीट बजरल । राष्ट्रपति शासन लागल छैक, तुरंते सेना आ पुलिस आबि गेल तखन जा’ क’ कार्यक्रम रूकल ।
एहन घटनाक विवरण सुनितहि हमर हालतक अंदाजा लगाओल जा सकैत अछि । हमरो नाटक करबाक छल । तीन तीनटा महिला रंगकर्मी हमरो संग छलीह । सब सदस्य संग गप्प केलहुँ । एक मत स’ ई निर्णय भेल जे नाटक करबाक अछि, कोनो व्यवधान भेला पर नाटक रोकि देब । राँचीमे रहनिहार कतेको मित्र लोकनि [हिन्दी भाषी रंगकर्मी एवं अपन दिल्लीक कार्यालय रा.ना.वि.] स’ सेहो सम्पर्क केलहुँ । हम अपन सहायक संग मंच निर्माणमे जुटि गेलहुँ आ अभिनेता लोकनि नाटकक पूर्वाभ्यासमे लागि गेलाह । मंच निर्माण समय मंच पर शनै: शनै: आयोजक लोकनि पधार’ लगलाह । हुनक आपसी वार्तालाप शुरू भेल । हम सब चुपचाप मंचक प्रकाश यंत्र, ध्वनि यंत्र आ पर्दा लगाब’ मे व्यस्त । आयोजकक संख्या आब लगभग दस – बारह टा भ’ गेलनि । राति की भेल छल तकर नीक जेना व्याख्या हुअ’ लागल । आयोजकमे सेहो दूटा ग्रुप भ’ गेल छल । मंचपर जे किछु होयत ओकरा भंडुल करब दोसर ग्रुपक उद्येश्य छल । जानकारी भेल जे हिनको लोकनि के नीक जेना मारि लगलन्हि । एक दोसरके अपन माथक टेटर देखाबैत छलाह त’ कियो पीठक निशान । सबहक उम्र बुझू पचास स’ उपरे छल । हम झारखण्डक एहि भूमि पर सभ्रांत आ समृद्ध मैथिलजनक स्थिति स’ क्षुब्ध । परिस्थिति के भँपैत हम आयोजक स’ आग्रह कयल जे कार्यक्रमक शुरुआत हमरे सबहक नाटक स’ क’देल जाय । आयोजकमे किछु गोटे अत्यंत आत्मीय आ मानसिक सहयोगी । हिनका लोकनि स’ गप्प क’ क’ नीक अनुभव करैत रही । हिनका लोकनिक संख्या बहुत थोड़ छल । मुदा किछु आयोजक पाइयक ठसक मे चूर । फैसला भेल जे नाटक उद्घाटन आ विद्यापति गीतक तुरत बाद होयत ।
रातिक लगभग एग्ग्यारह बजे दर्शकक संख्या लगभग हजार । आयोजक आयोजनमे दुनू पाटी नीक तैयारीमे छलाह । मंचपर हिनका बजबियौन त’ हुनका बजबियौन । हमरा बैच दिय’ त’ हुनका दियौन । अगिला कुर्सी पर ओकरा किएक बैसाओल गेल त’ फलां बाबू किएक पाछा बैसताह । एहने स्थिति – परिस्थितिमे लगभग साढ़े एग्यारह बजे रातिमे शुरू भेल नाटक पैघ नटकिया के । नाटक नीक जेना आगू बढ़ि रहल छल । तीन दृश्यक बाद आयोजकमे एक गोटे आग्रह केलन्हि जे दू सीनक बीचमे गीत नै हेतैक की ? हम कहलियैन – नै नाटक शुरू भेल त’ समाप्ते होयत । चरिम दृश्यक बाद फेर तीन चारि गोटे आयोजक अयलाह आ क’ह’ लगलाह “ जे बहुते गबैया के आनि लेल गेल छैक । जँ ई लोकनि गीत नै गेताह / गेतीह त’ हमर सबहक पाइ बूड़ि जायत तेँ दू सीनक बीच बीचमे गीत देब’ दियौ । नाटक त’ भोर तक चलबे करतै । एत्तुक्का दर्शक भोर पाँच बजे तक रहताह ।” गप्प करथि ओ लोकनि आ शर्मसार भ’ रहल छलहुँ हम । पाँचम दृश्य समाप्त भेल । छठम दृश्य होइत रहै, फेर आग्रह आयल । आब हम नाटक समाप्त क’ देल जाय सैह उचित बूझि अपन अभिनेता लोकनि के मंच पर जयबा स’ रोकि लेलहुँ । सब रंगकर्मीक मनसिक स्थितिक अंदाजा लगाओल जा सकैत अछि । राति बेसी भेल जा रहर छल । सब गोटे अत्यंत दु:खी भ’ बिना किछु खेने अपना आवास पर चलि गेलाह । सुतताह की, सब गोटॆ राति भरि एहि विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक आयोजक लोकनिक मानसिक दरिद्रताक चर्च करैत रहलाह । एहि विषम परिस्थितिमे स्थानीय अभिनेता आदरणीय राजीव जीक मानसिक सहयोग हमर रंगकर्मी के संबंलता प्रदान केलकन्हि से नै बिसरल जा सकैत अछि । हाँ ! एहि तरहक स्थिति स’ हमहूँ सब रूबरू नै भेल रही तेँ हमरा सब लेल ईहो बुझू जरूरीये छल । एहि ठोकर स’ हम सब खूब नीक जेना किछु कठोर सपत नाटकक मादे ल’ लेलहुँ । सिखै त’ छै लोक ठोकरे स’ ने…
आयोजकमे जे लोकनि हमरा सबके निमंत्रण देने रहथि, शर्मसार छलाह । ओ लोकनि बेचारे हमरा लोकनिक सोझा किएक औताह ? दोसरा दिन जखन लगभग एग्यारह बजे ओही स्थान पर गेलहुँ त’ नीक जेना जानकारी भेटल जे आयोजक लोकनि राति भरि दारू पीलाह आ मंचपर अभद्र स’ अभद्र गीतक आनंद सोम रसक संग लेलाह । विद्यापतिक आगू मंचपर : बुढ़बा…. बिहारी नौजवान… आदि गीत स’ समाप्त भेल ई पर्व समारोह ।
एहन आयोजनमे नीक जेना सोम रसक पान होइत आयल अछि जे सुनबामे बेसी काल अबैत अछि । अत्यंत खराब लगैत अछि मुदा, हमर मैथिल समाजक ई त’ परम्परा थिक । विद्यापति सेहो नीक जेना भाँग खाइत छलाह । उगना भाँग पिसब लेल नियुक्ते भेल छल । भाँगक स्थान आब सोम रस [शराब] ल’ लेलक अछि ताहि स’ की ? विद्यापति आ रानी लखिमाक बीचक संबंध पर कतेको विद्वान अपन माथा लगा चुकल छथि । विद्यापति सेहो शृंगार रसक माहिर कवि छथि तेँ हिनका फोटोक आगू ई लोकनि आजुक मेनका / रम्भा आदिक फोटो अपन छातीमे फेवीकॉलस’ चिपकबैत छथि ताहिमे हिनक की गलती ???
राँची स’ बिदा हुअ’ लगलहुँ । स्टेशन तक पहुँचाबय लेल झाँरखण्ड मैथिली मंचक तीन चारिटा पदाधिकारी अयलाह । गेस्टहाउस स’ निकलैत काल “एहि ठाम जे त्रुटि भेल हुए से एत्तैहि बिसरि जायब…” कल जोड़ने ठाढ़ बुजुर्ग अध्यक्ष महोदय… मुदा, हमहूँ की करू ? अपन स्थिति त’ बिसरि गेलहुँ महोदय मुदा पूर्वर्ती कलाकार पीढ़ी के जानकारी देब बेसी आवश्यक अछि । जे एहन एहन भ्रष्ट आयोजकक मानसिकता स’ विचलित नहि होबय ।
एहि ठाम दिल्लीमे हमरा लोकनि के पहुँचइ स’ पहिनहि तथाकथित शुभचिंतक लोकनि अपन सूचनातंत्र स’ ई जानकारी प्राप्त क’ चुकल छलाह । ई लोकनि सेहो अपना के संस्कृतिकर्मी कहैत छथि । अपन कथ्यमे कनी आरो नून मिर्चाई लगा क’ हमर कलाकारक आत्मसम्मान पर कुठाराघात करबाक कोनो मौका नहि चुकलाह अछि । विगत डेड़ महीनामे प्राय: सब सार्बजनिक स्थान पर हिनका लोकनिक मुख्य चर्चाक विषय यैह रहलन्हि अछि । एतेकटा दिल्लीमे ई संख्या मात्र दू गोटेक छनि । आब हम हिनका लोकनिक नाम कोना लिखू ? छथि त’ ई लोकनि बहुत आत्मीय । आम प्रेक्षक हिनका लोकनिक एहि चुटकी के सुनि हमरा सब स’ बेसी हत्प्रभ होइत छथि, एहि निन्दनीय कथामे ई लोकनि किम्हर ठाढ़ छथि ? हम आभारी छी अपन कलाकार के जे एहि विषम परिस्थितिमे सेहो हमरा संग मजबूती स’ ठाढ़ छथि ।
( लेखक मैलोरंग क संस्थापक, स्थापित निर्देशक, आ संपादक छथि । वर्तमान मे एन.एस.डी मे कार्यरत छथि । इ लेखक अपन विचार अछि । )
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