पंकज
बिहार क पंद्रहवी विधानसभा क चौंकादइवाला आ ऐतिहासिक चुनाव परिणाम पर गप करबा स पहिने दूटा चुनावी सत्यकथा पर गौर करि। इ दूनू कहानी दशक क उनींदापन क बाद करवट बदलैत बुद्ध-महावीर क एहि प्रदेश क हकीकत बयां करबा लेल काफी अछि।
पहिल दृश्य मुजफ्फरपुर क। ओहिठाम मतदान क दिन एकटा दियर अपन भाउज कए बूथ तक बड सम्मानपूर्वक नाव स लकए अनलक। नीक जंका बुझा कए जे फलां पार्टी कए वोट देबाक अछि। मतदान क बाद बड़ ईमानदारी पूर्वक भाउज कहैत छथि जे ओ अपन दियरक बताउल पार्टी क बदला मे अपन मनपसंद उम्मीदवार कए वोट देलहु। बस आब की छल, तमसा आगबबूला दियर ओकरा चाकू स गोद कए हत्घ्या करि दैत अछि।
दोसर कहानी सेहो एहि चुनाव क दौरानक। एक दुखित व्यक्ति कए देखबा लेल नेताजी अस्पताल जाइत छथि। ज़रूरत पड़ला पर अपन खून सेहो दान करैत छथि। आखिर मामला वोट क जे छल, मुदा स्वस्थ भेलाक बाद वोट मांगबा पर ओ मतदाता बड़ साफगोई स कहैत अछि जे अहांक एक बोतल क बदला दू बोतल खून हमर शरीर स निकाली लेब, मुदा वोट हम अपन पसंदीदा उम्मीदवार कए देब।
मतलब, बिहार आब काफी दिन क बाद अपना कए फे़र स चिन्हबाक प्रयास शुरू करि चुकल अछि। दुष्यन्त क गज़ल क भांति इ बिहार नव त अछि मुदा असावधान नहि। जतए एहि ठामक महिला आब अपन फैसला खुद लेबा लेल आतुर छथि। अपन ताकत चिन्ह ओ अपन भविष्य पिता-पति या बेटा क हाथ मे देबाक बदला अपन चूल्हा-चौकी स आगू निकालि रहल छथि, ओतही इ नव बिहार अपन कए बहलेनिहार लोक आ नेता कए चिन्ह चुकल अछि। एक बोतल खून क बदला मे शरीर क सबछा रक्त निचोड़ लेनिहार खटमल स पीछा छुडेबाक कला सिख चुकल अछि। सवाल केवल पार्टी विशेष या व्यक्ति विशेष क हार या जीत क नहि अछि। तेजी स बदलैत एहि ज़माना मे अपन तकदीर गढ़बा लेल कियो सरकार क मुंह ताकबाक दौर स बिहारी काफी आगू निकलि चुकल अछि। सरकार क मतलब ‘किछु देनिहार’ संस्था होइत अछि, इ कम स कम आम बिहारी, लालू युग स बिसरि चुकल छल। आगू बढ़बा मे इ सहयोग सेहो करैत अछि, इ सेहो बीतल ज़माना क गप भ चुकल छल।
बिहार क सन्दर्भ मे सरकार क मतलब इ होइत अछि जे अहांक खेत मे मेहनत स लगाउल धान क बालि कए अहां स कियो छीन नहि लिए। सरकार क मतलब इ जे अहां कए आगू बढ़बा मे कियो रुकावट न डाले, मतलब इ जे घर स बाहर गेल कोनो महिला क पति, ओकर बच्चा सांझखन कए सही सलामत घर लौट कए आबि जाए। बिहार क सरकार ओ जे अपन मेहनत आ प्रतिभा स देश आ दुनिया क कोन-कोन मे जे अपन स्थान बनेबा लेल प्रयासरत प्रवासी बिहारी कए मज़ाक़ क पात्र न बना दिए। बिहार मे सरकार क मतलब इ जेकर शुभंकर कोई विदूषक नहि हुए। जतए राजनीति क मतलब मखौल स किछु आगू क गप हुए। जतए गाडी-गौज कए राजनीति क भाषा न बनाउल जाए। निश्चित रूप स राजनीति जइसन नीरस प्रकल्प मे हास्य एकटा महत्वपूर्ण तत्व भ सकैत अछि, मुदा अगर किछु सस्ता मजाक क कीमत मे अहांक जिनगी मजाक बनि जाए, एतबा कीमत क अदा करै चाहत? कोनो जोकर नहि केवल राजनीति क केन्द्रीय तत्व भ जाए, बल्कि एकटा समूचा राज्य क पहचान भोंडा मजाक मे बदलि जाए, एहि विडंबना कए त विडंबना सेहो नहि कहि सकैत छी।
एहि चुनाव परिणाम क बाद बिहार वास्तव मे एकटा लंबा सुरंग क यात्रा केलाक बाद भोर क लालिमा कए निहारि रहल अछि। एहि तरह क परिपक्व जनादेश दकए सूबा मानू अपन बनाउल नकारात्मक पहचान स पीछा छुडेबाक एकटा गंभीर प्रयास केलक अछि। निश्चित रूप स गप केवल नितीश कुमार कए चुनि लेबाक नहि अछि। जंगलराज कहल जाइवाला शासन स त बिहार पांच साल पहिने पीछा छुड़ा लेने छल। इ परिणाम महत्वपूर्ण त एहि मामला मे अछि जे इ आशंका क समाप्ति क आगाज़ करैवाला अछि। गंभीर विश्लेषक सेहो एहि ठाम एकटा गप जोड़ब नहि बिसरैत छथि जे बिहार मे कखनो जाति स इतर कोनो राजनीतिक समीकरण क गप नहि भ सकैत अछि। एहि बेर तमाम छवि क भांति एकरो तोड़बा मे राज्य कए कनि सफलता भेटल। चुनौती क अंबार त स्वाभाविक बिहार क क्षत्रप क माथ पर अछि, मुदा अपन समझ स अगर ‘सोशल इंजीनियरिंग’ जइसन भद्दा शब्द कए नीतीश बिहार क राजनीति क शब्दकोष स हटा सकथि त वास्तव मे एहि स पैघ सफलता, दुनिया कए सबस पहिने लोकतंत्र क पाठ पढेनिहार राज्य द्वारा एहि स पैघ कोनो सन्देश नहि देल जा सकैत अछि। सबस पैघ उपलब्धि भ सकैत अछि हुनकर, संगहि अन्य भौतिक चुनौती क बरक्श सबस पैघ चुनौती सेहो यैह अछि।
आइ अगर जीत क कारक क गप करि त केवल दूटा मुद्दा बहस क केन्द्र मे अछि। चाहे त इ जीत विकास क मानल जा रहल अछि या एकटा नव तरह क समीकरण, नव सोशल इंजिनयरिंग क। पहिने इ मानल जा रहल छल जे कम स कम बिहार मे अहां जाति क आंकड़ा आ ओकर प्रतिनिधित्व करनिहार पार्टी क बारे मे अध्ययन करि क्षेत्रवार परिणाम क अनुमान लगा सकैत छलहुं। पिछला बेर सेहो राजग क विजय सबस बेसी एहि गप पर निर्भर रहल छल जे कांग्रेस, राजद आ लोजपा एक संग लड़ि नहि सकल, फलतः वोट क बंटवारा क कारण लालूराज क खात्मा संभव भेल। एहि बेर नव गप इ भेल जे नीतीश रणनीतिक तौर पर दलित क ठेकेदारी सेहो रामविलास पासवान स छिनबा मे सफलता हासिल केलथि। ‘महादलित’ नाम स एकटा नव शब्द क ईजाद करि विकास क मुख्यधारा स ओहि वर्ग कए जोड़ि वास्तव मे एकटा अवसरवादी समीकरण कए हवा ओकरे हथियार स निकालि देलथि। जेना कि एकटा विश्लेषक लिखलाह- जातीय राजनीति क एखनो उस्ताद लालू यादव छथि। जातीय विद्वेष पैदा करि राज करबा क हुनकर कुशलता मे आइ सेहो कोनो फर्क नहि आयल अछि। वास्तव मे लालू आइ सेहो जाति क राजनीति शास्त्र क कुशल अध्यापक छथि। बस राजग महज़ एतबा काज केलक अछि जे एहि पाठ क ‘सिलेबस’ बदलि देलक अछि आ बदलल समीकरण कए समझ ओकर काट निकालबाक समय लालू-रामविलास कए नहि भेटल, फलतः ओ अपन गति कए प्राप्त केलथि। एहि तरह मुस्लिम वोट मे सेंध लगाकए ओहि ठाम सेहो पिछड़ा ‘पसमांदा’ मुसलामान कए विभिन्न योजना स अलग करि रहल-सहल कसर सेहो पूरा करि देल गेल।
हालांकि विशुद्ध तौर पर केवल एहि समीकरण क जीत कहब वास्तव मे एहि जनादेश क संग न्याय नहि होएत। खास करि जेना ऊपर उद्धरण देल गेल अछि, जाहि तरह स महिला घर स निकलि अपन मर्जी स अपन भविष्य चुनए चाहलक अछि त ओकर कारण सेहो वैह छल, नौकरी आ पंचायत समेत हर मामला मे महिला कए आगू आनल गेल, लेकिन अगर ज़हर कए ज़हर स काटबाक काज राजग कए करै पडल हुए त शायद इ ज़रूरी छल। गौर करबा योग्य गप इ अछि जे इ समीकरण सेहो सकारात्मक तरीका स विकास क योजना मे ओहि वर्ग कए प्राथमिकता द कए कैल गेल, न कि संपन्न कहै जाइवाला वर्ग कए गडिया कए या ओकरा बेईज्ज़त करि कए। बस केवल एतबे गप अछि जे नीतीश आओर लालू मे फर्क करैत अछि। यैह गप दूनू क नीयत क फर्क सेहो बता दैत अछि। काल्हि आ आजुक बिहार कए सेहो अहां एहि फर्क स देखि सकैत छी। हालांकि नीतीश क सामने चुनौती क अंबार त अछि ये। बिहार क अपेक्षा पर खरा उतरब, भरोसा कए कायम राखब, इ वास्तव मे एकटा पैघ लक्ष्य अछि मुदा अगर अहांक नीयत सही हुए त निश्चित रूपे बिहार अपन बनाउल मानदंड स आगू सेहो जाएत.
बहरहाल, बिहार क सबस पिछड़ल मान जाइवाला जिला क एकटा सुविधाहीन गाम स जखन इ आलेख लिखि रहल छी, तखन अंतिम सांस गिनैत रावण मन पडैत अछि। पुरान ‘सिलेबस’ क ज्ञाता हेबाक बावजूद लालू यादव जे-जे गलती केलथि, जाहि तरह राज्य कए पतन क चरम बिंदु तक पहुंचेलाक बाद आइ लालू, राजनीतिक रूप स अंतिम सांस गिन रहल छथि, तखन विजेता समूह खास क विजयी पक्ष क छोट कहल जा रहल भाई क लेल ‘लक्ष्मण’ क भांति इ ज़रूरी अछि जे वो हुनका स सबक लथि। वास्तव मे केवल अगर राजग इ सोच लिए जे हमरा एकटा पैघ लकीर खींचबाक अछि आ लालू द्वारा कैल गेल गलती कए दोहरेबाक नहि अछि त निश्चित रूप स इ गठबन्धन अपन ओहि भरोस पर ज़रूर खरा उतरत, जेकर जीत एहि चुनाव परिणाम स साबित भेल अछि। सही अर्थं मे इ जीत त एखन केवल बिहारी मे बहाल आत्मविश्वास, ओहि मे पुनः पैदा कैल गेल भरोस क भेल अछि।
मधुबनी जिलाक रहनिहार पंकज कुमार झा संप्रति रायपुर स प्रकाशित दीप कमल क संपादक छथि।