नई दिल्ली । आईआईटी क पूर्व छात्र आ इंजीनियर सत्येंद्र दूबे क हत्या क बाद बिहार मे सडक निर्माण मे निजी भागीदारी क कल्पना मुश्किल भ गेल छल। मुदा हुनक हत्याक आठ साल बाद बिहार अपना कए एतबा बदलि लेलक जे इ सेक्टर निजी क्षेत्र स निवेश हासिल करबा मे कामयाब भ गेल। पिछला छह साल मे इ सेक्टर जबरदस्त बदलाव क सबूत द रहल अछि। बिहार मे एहन सेक्टर मे भेल निवेश काफी महत्वपूर्ण स्थान रखैत अछि। बिहार लेल इ आर खुशीक गप अछि जे एक संग दूटा परियोजना मे निजी भागीदारी लेबा मे ओ सफल रहल अछि। बिहार मे दूटा टोल रोड प्रॉजेक्ट निजी भागीदारी स बनत। इ सेहो महत्वपूर्ण अछि जे टोल रोड लेल ऑपरेटर कए इ यकीन भ चुकल अछि जे ओ एकर संग्रह मे कामयाब रहताह। इ भरोस लालू राज क 15 साल क दौरान ऑपरेटर कए कहियो नहि भ सकल छल। एहि दूनू परियोजना कए पूरा भेला स राज्य मे परिवहन व्यवस्था त बेहतर हेबे करत संगहि निजी क्षेत्र मे विश्वास बहाली सेहो मजबूत होएत। एहि सड़क परियोजना क ठेका अटलांटा इंफ्रास्ट्रक्चर कए भेलट अछि। एकर उप निदेशक उल्हास एन भोले कहला जे बिहार आब ओ बिहार नहि रहल, बहुत बदलि गेल अछि। बिहार मे आब काज कैल जा सकैत अछि। बिहार मे 2006-07 स एखन धरि कुल 23,606 किलोमीटर सड़क तैयार भ चुकल अछि। एकर अलावा 1,657 किलोमीटर नेशनल हाइवे क मरम्मत क काज भ रहल अछि। हालांकि, इ सबटा परियोजना सालाना भुगतान स पूरा भेल अछि, कियाकि एहि मे निजी बिल्डर टोल रोड बनेबा लेल तैयार नहि छल। दरअसल, बिल्डर कए डर छल जे लोक स ओ टोल नहि वसूल पाउत। भोले कहला जे हमरा टोल कलेक्शन मे कोनो समस्या नजरि नहि आबि रहल अछि। वित्त मंत्रालय क एकटा अधिकारी कहला जे वित्त मंत्रालय क तहत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रूवल कमेटी गंगा प्रोजेक्ट कए मंजूरी द चुकल अछि। 2008 मे बिहार राज्य सड़क विकास निगम क टेंडर लेल सिर्फ चारिटा बोली लागल छल। जखनकि एहि बेर 16टा कंपनी एहि परियोजना लेल आवेदन केने छल।