पूनम झा
शरद ऋतु क आश्विन माँसक पुर्णिमा तिथि (29 अक्टूबर) कए दूधसन उज्जर ठहाठहि इजोरियाक एहि राति कए कोजगराक राति क नाम सँ ख्याति प्राप्त कयने, ई पावनि सम्पूर्ण मिथिलांचल मे महा चर्चा एवं उत्साह-उमंगक संग मनाओल जाइत अछि । बंगाल मे एकरा लख्खी पूजा सेहो कहल जाइत अछि। मिथिला मे एहि दिन लक्ष्मीक अन्नपूर्णा रूप क पूजा होइत अछि। मिथिला मे एहि दिन पचेसी (लूडो क पुरान रूप) खेलेबाक रिवाज अछि। जुआ रूपी खेल सेहो एहि दिन बहुत लोक खेलाइत अछि।
की छि कोजगरा
एहि राति कए मूलतः जागरण क राति मानल जाइत अछि,तैं एकर नाम जगरा भेल आ के जगति छथि तैं को जगरा भय गेल । समस्त मिथिला शक्ति पीठ मानल जाइत अछि । एहि कड़ी सँ जोरल एकटा पद्धति मिथिलाक परम्परा वनि गेल अछि, जे कोनो शुभ कार्य वा पूजन मे पहिने ओहि स्थल पर जतय ओ शुभ कार्य होयतैक अरिपण देल जाईत अछि । स्थान के चिकठानि माँटि सँ नीपि कय चाउर के पीसल पीठार सँ अरिपण के चित्रकारी कयल जाइत अछि । जनिका मांझ ठाम सिन्दुर के रेख सँ पहिने गोसाओन के स्थान सुरक्षित राखि-ओही चित्र पर समयानुसार शुभ कार्य कयल जाईत अछि । अरिपण पर पुरहर राखव आर्थिक सम्पन्नता तथा पुरहर पर दीप जरायव सुखद समृद्धि के द्योतक मानल जाईत अछि । कोजगरा पर्व मुख्य रुप से आर्थिक सम्पन्नता हेतु आश्विन पुर्णिमा के रात्रि मे जागरण कय लक्ष्मीक अराधना मे लीन रहवाक अछि शास्त्रोचित वात ई अछि, जे एहि राति लक्ष्मीक पूजन विधान करी वा नहि एकर मान्यता कम अछि, मुदा जौ एहि राति के कोनो रुपे जागि कय गमावी, तऽ लक्ष्मी के प्रसन्न करवाक साधन मानल गेल अछि ।
अगहन सँ अषाढ़ तक जे नव दम्पत्ति के विआह होइत छैन्हि हुनकर कोजगरा आश्विन मासक पुर्णिमा के राति मे मनाओल जाईत अछि । प्रतिवर्ष नव दम्पत्ति के कोजगरा होईत अछि, अर्थात विआहक बाद कोजगरा अवैत अछि । होइत छैक जे कान्यापक्ष क ओतय सँ वर पक्षक परिवारक वर (दुल्हा) सहित सभ सदस्य के नव वस्त्र आ संग मे चूड़ा दही, केरा मिठाई आ पर्याप्त मरवान के १०-२० भार साजि कय, किंवा भरियाक कमी रहला सँ स्थानीय कोनो व्यवस्था सँ पहुंचायल जाइत अछि । चूड़ा, दही, केरा, मिठाई जे कन्यापक्षक ओतय सँ अबैत छैक, ओकर भोज अपना समाजिक सम्बन्ध के मुताबिक वर पक्षक ओतय होइत अछि, संगे समस्त परिवार नव वस्त्र (जे कन्या पक्ष सँ अवैत अछि) धारण करैत छथि । आंगन के माँझठाम अरिपन देल जाइत अछि, तथा ओहि पर आसन दय वर के चुमाओन कएल जाइत अछि । तदुपरान्त दुर्वाक्षत सँ वर के दीर्घ आयु के मंगल कामना करैत गोसाओन के गोहरवति स्त्रीगण समाज वर के गोसाओन के अराधना मे लऽ जाईत छथि। वर गोसाओन के मनाय कय अपना सँ श्रेष्ट पुरजन, परिजन एवं समाज के चरण स्पर्श करैत छथि तथा सुभाशिष प्राप्त करैत छथि । एहि पावनि मे वर पक्ष समाजक हर समुदाय के लोक के हकार दय अपना ओहिठाम वजाबति छाथि तथा सनेस मे आयल मखान एवं वताशा (मिठाई) मिलाकय प्रयाप्त रुपेण बाँटि कय पान सपारी दय विदा करैत छाथि । एहि पावनि मे मखानक प्रधानता अछि । मखान एक प्रकारक विशिष्ट मेवा फल अछि । किशमिश, काजू, नारिकेर एवं अन्य कोनो मेवा मे जे पौष्टिक तत्व पायल जाइत अछि, मखान मे एकसरे ओ सभ पौष्टिक तत्व छैक । मिथिलाक जे भौगोलिक संरचना अछि, एहि मे जलक जमाव श्रोत वेसी छैक । जतय पर्याप्त मात्रा मे पोखरि धार नम्हर-नम्हर झील डावर आदि जल जमाव स्थल अछि, ततय मखान होइत अछि ।
मिथिलाक भू-भाग पर मरवानक उपज आदि काल सँ जतेक होईत अछि ओतेक उपज एहि विशिष्ट मेवा क आओरो कोनो ठाम नहि अछि । अखाढ़क अन्त तक मरवान के नवका फसिल पानि सँ निकालि साओन भादव मास तक एकर लावा अ;अग कयल जाइत अछि । गाम घर सँ वजारक दुकान तक मे ई मेवा वहुतायक रुप मे भेटैत छैक । चूँकि एहि क्षेत्र के ई विशिष्ट मेवा फल जीवन के अति विशिष्ट तत्व के पूर्ण करय वला फलक उपज अधिक होइत अछि, संगहि वर्षा ऋतु के कुप्रभाव सँ मानव जीवन मे अनेकानेक रोग के संचार होइत छैक जाहि बहुत रोगक निवारण के क्षमता मखान मे छैक । मखान सुपाच्य मेवा अछि तथा एकर सेवन अपच, कम भूख, पेटक अन्य गड़बड़ी, शक्ति के संचार मे अत्यन्त लाभदाई अछि । मखान के घी मे भूजि कय भूजाक रुप मे एवं एकर खीर बना कय खयला सँ शरीरक संतुलित अहार के कमी तत्व के पूरा करैत अछि । एकर सेवन, आशिन आ कार्तिक मास मे अति लाभदाई छैक, तै समाजक लोक के स्वास्थ्य के मंगल मामना करैत एहि पावनि मे मखान बाँटय के प्रथा प्रचलित भेल अछि । पान सुपारी मिथिलाक सम्मान मे अति विशिष्ट स्थान प्राप्त कयने अछि , तै पान सुपारी दय समाजक सम्मान कयल जाइत अछि । तदुपरान्त राति भरि जागरण करवा हेतु पचीसी खेल, नाच गान के आयोजन कयल जाइत अछि । एहि तरहे राति भरि चहल पहल मे वीति जाईत अछि । एना जागरण मे महत्व गौण अछि, तै एकर प्रधानता कम आंकल जाईत अछि मुदा एहि रातुक जागरण लक्ष्मी प्राप्ति मे सिद्धि दाई अछि । एहि पावनि के महत्व दिनानुदिन मिथिला मे घटल जाईत अछि, मुदा एकर रश्य अदायगी अवश्य होईत अछि । (साभार : मिथिला लाइव )
Sampurna mithilawasi ke kojagra pabani ke badhaai aa subhkaamna.
i am very happy.