पटना। बिहार सरकार आखिरकार उत्तर बिहार दिस तकलक। सरकारक योजना पर अगर विश्वास कैल जाए त बिहार सरकार ओ काज करबाक प्रयास क रहल अछि जे एखन धरि नहि भेल अछि। उत्तर बिहार प्राकृतिक आपदा स ग्रस्त इलाका अछि ताहि लेल एहि ठामक ऐतिहासिक स्थल क गर्भ में नुकायल रहस्य पर स परदा उठायब बहुत जरूरी अछि। एहि स एक दिस मिथिलाक इतिहास कए प्रामाणिकता भेटत त दोसर दिस मिथिलक इतिहास कए नवका आयाम सेहो भेट सकैत अछि। एहि लेल बिहार सरकार उत्तर बिहार मे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आ दिल्ली यूनिवर्सिटी क तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर क एकटा शोध संस्थान खोलबाक तैयारी करि रहल अछि। राज्य में वैशाली जिला क बाद छपरा क चिरांद, समस्तीपुर क पारगढ़, चम्पारण क लौरिया नंदनगढ़ आ केसरिया, दरभंगा क बलराजगढ़, मधुबनी क राजनगर, मंगरौनी आ सरिसब पाही समेत कईटा एहन ऐतिहासिक स्थल अछि, जाहि पर अनुसंधान कार्य बहुत कम भेल अछि। हाल में केपी जायसवाल शोध संस्थान समस्तीपुर क पारगढ़ में खुदाई करेलक अछि, ओहि ठाम मौर्यकालीन अवशेष भटल अछि। एकरा देखैत राज्य सरकार उत्तर बिहार क एहन तमाम ऐतिहासिक स्थल पर शोध कार्य करेबा लेल राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर क इतिहासकार क मदद ल रहल अछि। रिसर्च इंस्टीच्यूट उत्तर बिहार क कौन शहर मे बनाउल जाए एहि पर सरकार मंथन क रहल अछि। सूत्रक कहब अछि जे इ रिसर्च इंस्टीच्यूट बैशाली या दरभंगा में खोलल जा सकैत अछि। फिलहाल रिसर्च इंस्टीच्यूट कए स्थापित करबा मे शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग आओर संग्रहालय निदेशालय क संयुक्त भागीदारी सुनिश्चित कैल जा रहल अछि। एहि दिशा में विस्तृत ब्योरा दैत संग्रहालय निदेशालय शिक्षा विभाग क प्रधान सचिव आओर पर्यटन विभाग क प्रधान सचिव कए एकटा पत्र सेहो लिखलक अछि। पत्र में पर्यटन विभाग स इ अनुरोध कैल गेल अछि जे ओ उत्तर बिहार क ऐतिहासिक स्थल क संरक्षण आ इतिहास पर शोध कार्य लेल दिल्ली यूनिवर्सिटी आ जेएनयू क तर्ज पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर क रिसर्च इंस्टीच्यूट स्थापित करबा संबंधी आवश्यक कार्रवाई मे सहयोग दी। एकर अलावा ऐतिहासिक स्थल कए पर्यटन सर्किट स जोड़बा क दिशा में सेहो त्वरित कदम उठाउल जाए, किया कि टूरिस्ट सर्किट क निर्माण क कार्य पर्यटन विभाग स सम्बन्धित अछि। संग्रहालय निदेशालय शिक्षा विभाग क कहब अछि जे ऐतिहासिक धरोहर आ पर्यटन स्थल पर शोध आ रिसर्च इंस्टीच्यूट स्थापित करबाक मूल उद्देश्य इ अछि जे इतिहास क गर्भ में समा गेल उत्तर बिहार क गौरवशाली आ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत स वर्तमान पीढ़ी कए रूबरू भ सकए आ ओहि धरोहर कए पहचान भेट सकए।