नई दिल्ली । भारत मे शिक्षा क स्वर्ण युग क गवाह रहल नालंदा क गौरव फेर स लौटबाक समय आबि गेल अछि। एहि काज मे भारत नहि, दुनिया क दोसर देश सेहो संग द रहल अछि। भारतीय संसद नालंदा विश्वविद्यालय कए पुनर्स्थापित करबाक भगिरथी प्रयास कए अमलीजामा पहिरेबाक लेल एक डेग बढा देलक अछि। शनिदिन राज्यसभा एहि ऐतिहासिक विधेयक कए मंजूरी द देलक। अगिला हफ्ता लोकसभा स सेहो इ विधेयक पास भ जेबाक चाही।
राज्यसभा मे नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक, 2010 पर भेल चर्चा मे शामिल विभिन्न दल क सदस्य उम्मीद जतेलथि जे इ विश्वविद्यालय भारतीय मूल्य कए एक बेर फेर शिखर पर पहुंचाउत। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओ फेर वैह पहचान हासिल करत, जइसन प्राचीनकाल मे छल। चर्चा क शुरुआत करैत भाजपा क बाल आप्टे कहला जे अंतरराष्ट्रीय स्तर क एहि विश्वविद्यालय क पूरा जोर ज्ञान, चरित्र, शील आ व्यवहार पर केंद्रित हेबाक चाही। ओ सुझाव देलथि जे एकर पाठ्यक्रम देश क संस्कृति कए ध्यान मे राखिकए तैयार कैल जाए।
कांग्रेस क डॉ. कर्ण सिंह कहला जे इ विधेयक विदेश मंत्रालय दिस स आनल गेल अछि, जाहि स प्रतीत होइत अछि जे इ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित भ रहल अछि। लिहाजा आब यदि एकरा अंतरराष्ट्रीय स्तर क बनाउल जा रहल अछि त इ वाकई ओहने हेबाक चाही । भवन एहन हेबाक चाही जाहि स ओहि कालक भान हुए आ ओहि समय क संस्कृति आ समृद्धि परिलक्षित हुए। किया कि पांचम सदी मे विक्रमशिला, तक्षशिला आओर नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा क पैघ केंद्र छल। ओहि समय नालंदा मे 10 हजार विद्यार्थी छलथि। जाहि मे अफगानिस्तान, बुखारा, इंडोनेशिया समेत अन्य देश क दू हजार शिक्षार्थी आ शिक्षक छलाह।
सपा क मोहन सिंह एहि विश्वविद्यालय मे सबटा पुरान लिपि कए संग्रहीत करबाक सुझाव देलथि। बसपा क प्रमोद कुरील दाखिला आ शिक्षक क नौकरी मे अनुसूचित जाति, जनजाति कए आरक्षण क पैरवी केलथि।
लोजपा क रामविलास पासवान आशंका जतेलाह जे कहीं एहि विश्वविद्यालय क प्रबंधन मे आईएएस आ आईएफएस क नियंत्रण न भ जाए। ओ सतर्क केलथि जे विश्वविद्यालय प्रबंधन मे बौद्ध कए सेहो प्रतिनिधित्व भेटबाक चाही। जदयू क एनके सिंह विभिन्न देश क साहित्य कए सेहो एकर पाठ्यक्रम मे शामिल करबाक सुझाव देलथि। राजद क रामकृपाल यादव आ राजनीति प्रसाद सेहो विधेयक क समर्थन केलथि।
चर्चा क बाद विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर कहलथि जे अंतरराष्ट्रीय स्तर क इ विश्वविद्यालय 16 देश क सहयोग स बनत आ एहि मे अंतरराष्ट्रीय संबंध, प्रबंधन, इतिहास, भाषा आ पर्यावरण क अलावा कईटा दोसर विषय सेहो पढाउल जाइत। ओ कहलथि जे सिंगापुर सरकार 50 लाख डॉलर क सहयोग द रहल अछि। एहि स जुडल मामला कए देखबा लेल विदेश मंत्रालय मे एकटा संयुक्त सचिव स्तर क अधिकारी कए जिम्मेदारी देल जाएत। जतए धरि भवन क डिजाइन क सवाल अछि त ओ अंतरराष्ट्रीय स्तर स मंगाउल गेल डिजाइन मे स तय कैल जाएत। बाद मे सदस्य विधेयक कए ध्वनिमत स पारित करि देलथि। एहि चर्चाक खास गप इ रहल जे विधेयक पास भेलाक बाद उपसभापति कहलथि जे राज्य सभाक इतिहास मे बहुत कम विषय पर एहन गंभीर चर्चा भेल अछि, ताहि लेल आजुक इ चर्चा खास रहल आ समयक ज्ञान नहि रहल ताहि लेल निर्धारित समय स किछु काल बेसी चर्चा भ गेल।