भागलपुर। बिहार मे पर्यटन एकटा नव क्षेत्र विकसित भ रहल अछि। ग्लोबल वार्मिंक क कारण जतए भारतक आन पक्षी विहार वीरान भ रहल अछि, ओतहि बिहार वीरान पड़ल पक्षी विहार मे प्रवासी पक्षी क कई टा विलुप्त प्रजाति क दर्शन स पक्षी वैज्ञानिक आह्लादित छथि। बिहार पर्यटन विभाग एहि मौका कए फायदा उठेबा मे लागि गेल अछि। विभाग कहब अछि जे उत्तर बिहार कए प्रमुख जल क्षेत्र कए संरक्षित कए ओहि ठाम पर्यटन क अवसर बढ़ेबा योजना तैयार कएल जा रहल अछि। ओ दिन दूर नहि, जखन एहि प्रवासी पक्षी कए देखबा लेल देश-विदेश स लोक बिहार आउत। मालूम हुए जे, पड़ोस क कटिहार जिला मे गोगाविल पक्षी विहार अछि। एकरा फेर स संरक्षित करबा लेल विभागीय प्रयास शुरू भ गेल अछि। पूर्णिया वन अंचल क फोरेस्ट कन्जरवेटर यूएस झा कहलथि जे गोगाविल पक्षी विहार आ कजरा धार कए संरक्षित करबा लेल सरकार कए पत्र पठाउल जा रहल अछि। जानकारी हुए जे कटिहार क गोगाबील पक्षी विहार कए बिहार सरकार वन्य प्राणी अधिनियम-1972 क तहत 1990 मे पक्षी विहार क रूप मे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित केने छल, मुदा 2000 मे केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम मे संशोधन करि देबा स ओकर प्रतिबंधित क्षेत्र क दर्जा छिना गेल आ ओ निजी स्वामित्व मे चलि गेल।
दोसर दिस, बिहार-झारखंड क 14 अधिसूचित जलक्षेत्र मे सर्वेक्षण आ अध्ययन क काज इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क द्वारा शुरू करि देल गेल अछि। एहि दौरान एहि क्षेत्र मे पहिल बेर दुर्लभ प्रवासी पक्षी ‘पलाश फिश ईगलÓ सेहो देखल गेल। संग संकटग्रस्त पक्षी क चारिटा प्रजाति सेहो एहि ठाम पाएल गेल।
‘इम्पारटेंट बर्ड एरियास इन इंडियन प्राइरिटी साइट्स फॉर कंजरवेशनÓ पुस्तक मे बिहार-झारखंड मे पक्षी क 300 टा प्रजाति चिह्नित कएल गेल अछि। एहि म स 200 टा प्रजाति भागलपुर आ आसपास क जलक्षेत्र मे विचरण करैत अछि। कुल 131 टा प्रजाति संकटग्रस्त अछि, जखनि कि 23 टा प्रजाति विलुप्त हेबाक कगार पर अछि। इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क आ वेटलैंड इंटरनेशनल क बिहार-झारखंड को-आर्डिनेटर अरविंद मिश्रा कहलथि जे बर्ड सेंचुरी आ वेटलैंड एरियाज मे पक्षी क सर्वे आ गणना क काज शुरू करि देल गेल अछि। ओ कहलथि जे पहिने चरण मे गोगाविल आ कजरा धार क सर्वे कएल गेल अछि। 88 टा हेक्टेयर मे फैलल गोगाबील समूह क मुजबरबील, बघारबील झील आ बलदिया चौर मे हजार स बेसी पक्षी जलक्रीड़ा करैत पाएल गेल। गोगाविल मे अखनि धरि 75 टा प्रजाति देखल गेल अछि, जाहि मे 31 टा प्रवासी प्रजाति क पक्षी शामिल अछि। ओ कहलथि जे गोगाविल में पहिल बेर पलाश फिश ईगल कए सेहो देखल गेल। एकर अलावा एशियन ओपन बिल, व्हाइट आइबिस, नादर्न लैपविंग, ललमुनिया, घोंघिल, सफेद बाज, ओपन बिल स्टाक, ग्लासी आइबिज, शावेलर, गडवाल, कूट, लालसर, पीनटेल, गल, टर्न, खंजन, स्नाईक आ चहा आदि पक्षी कए कलरव करै देखल गेल। अंग क्षेत्र मे विलुप्तप्राय गरूड़ पक्षी सेहो निवास करि वंश बढ़ा रहल अछि। ओ कहलथि जे बेगूसराय क कांवर झील, दरभंगा क कुश्वेश्वरस्थान झील, बेतिया क सरैयामान झील, विक्रमशिला गंगेटिक डालफिन अभयारण्य, आयूषी इको पार्क क सेहो क्रमानुसार सर्वे क काज एहि माह क अंत तक पूरा करि लेल जाएत। बिहार-झारखंड क्षेत्र क एहि अध्ययन मे मंदार नेचर क्लब क सदस्य क संग पटना, दरभंगा क शोधकर्ता, प्रोफेसर आ पक्षी प्रेमी क अलावा वन विभाग क पदाधिकारी शामिल हेताह। ओ कहलथि जे सर्वे आ गणना क काज पूरा हेबाक बाद अंतत: निष्कर्ष निकालल जाएएत, मुदा एतबा त तय अछि जे एहि क्षेत्र क आबोहवा प्रवासी पक्षी कए भा गेल अछि। संगे इ सेहो सुखद संकेत अछि जे क्षेत्र क ईको सिस्टम ज्यादा बिगड़ल नहि अछि।