मुजफ्फरपुर। मुंबई मे बिहार क बारे मे जे सुनने रही, ओ कोनो डरावना सपना सन छल, मुदा हकीकत मे जे बिहार कए देख रहल छी, ओ खूबसूरत आ सुहावना अछि। बिहार स बाहर एकर स्थापित छवि दुनियाक सबस पैघ झूठ अछि। इ कहब अछि मराठी माटी क हिन्दी फिल्म क चर्चित संगीतकार स्नेहा खानवरकर क। स्नेहा एक माह क बिहार प्रवास पर छथि। एआर रहमान स हिन्दी फिल्म मे संगीत क जे एकटा नव युग क सूत्रपात भेल अछि, ओहि स युवा संगीतकार मे जमीन स जुड़ल संगीत क प्रस्तुति कए लकए एकटा जुनून अछि। अपन एहि जुनून क संबंध मे स्नेहा कहैत छथि जे बिहार क संबंध मे तमाम प्रकार क गप सुनने रही, बिहार एबाक हिम्मत नहि होइत छल, मुदा जखन फिल्म वासोपुर साइन केेलहुं त ओकरन् कहानी आ पृष्ठभूमि देखि कए लागल जे मुंबई मे बैसकए एकर संगीत क प्रस्तुति करब बेमानी होएत। संग-संग अपन कला साधना क अपमान सेहो। लिहाजा हम बिहार एबाकठानी लेलहुं आ हमर इ यात्रा जिनगीक सबस पैघ खोज छी।
फिल्म ‘एलएसडीÓ स कॅरियर कए गति देनिहारि स्नेहा कहैत छथि जे हम बुझैत छेलहुं जे बिहार मे भोजपुरी गीत क तड़का मात्र अछि, मुदा एक सप्ताह मे हमर सबटा सोच बालूक महल जेना ध्वस्त भ गेल। एहि ठामक संगीत मे जे मिठास आ संवेदनशीलता अछि ओकर गहराई मापब कोनो कला साधक क लेल चुनौती अछि आ ओकर सौभाग्य सेहो। बेरई गांव क मुसहर टोला मे कारिख महाराज स जुड़ल आस्था आ भक्ति क गीत सुनालाकबाद स्नेहा सुधबुध हेरा बैसलीह। ‘वासोपुरÓ फिल्म क संगीत देबाकतैयारी मे एक माह क प्रवास पर आयल खानवरकर कहैत छथि जे एहि फिल्म क कहानी 80 क दशक क अछि। माफिया परिवार क चारि पीढ़ी क कहानी एहि फिल्म क पृष्ठभूमि अछि। लिहाजा फिल्म क संगीत मे बिहार झारखंड क माटी क खुशबू स महकेबाक जिम्मेदारीहुनकर अछि। एहि फिल्म मे बिहारी शैली क संगीत त हेबे करत संग-संग साज-आवाज क दुनिया सेहो बिहारी प्रतिभा स निखरत। ओ कहलीह जे फिल्मक कहानी मे बिहार क असली चेहरा तकबा मे दिक्कत भ सकैत अछि, मुदा फिल्म मे बिहारी संगीत क एहन पुट भेटत जाहि स देश-विदेश मे जे सुनत ओकर बिहार क बारे मे धारणा बदलि जाएत।