प्रिति लता मल्लिकपटना| बिहार क बिजली संकट क निराकरण लेल लगातार मंथन कैल जा रहल अछि। सरकारक संग संग एहि मामलाक जानकार सेहो एहि मे लागल छथि। एहि क्रम मे किछु जानकार क साफ तौर पर कहब अछि जे समस्या बिकराल अछि मुदा एकर निराकरण संभव अछि। जानकार क कहब अछि जे राज्य सरकार क ठोस पहल आ केंद्र दिस स कनि उदारता देखाउल जाए त संकट काबू में आबि सकैत अछि। बिजली बोर्ड स जुडल एकटा पदाधिकारी कहला जे केंद्र स गाडगिल फॉर्मूले क तहत 1695 मेगावाट क पावर परचेज एग्रीमेंट अछि। एहि मे स चारि सौ मेगावाट पनबिजली अछि, जे अधिकतम सांझ क समय चारि घंटा भेट सकैत अछि यानी 24 घंटा मे मात्र 13 सौ मेगावाट बिजली केंद्र बिहार कए उपलब्ध करा रहल अछि।
केंद्र क लग मे 776 मेगावाट इस्टर्न रिजन क अनएलोकेटेड कोटा क बिजली अछि। इ सिर्फ बिहार क हिस्सा अछि। कारण, इस्टर्न रिजन क सदस्य राज्य मे बिहार कए छोडि कए सिक्किम, पश्चिम बंगाल, झारखंड आओर ओड़िशा सरप्लस स्टेट अछि। केंद्र यदि अपन नजरिया उदार करए, त बिहार कए 776 मेगावाट अतिरिक्त बिजली भेट सकैत अछि, जखनकि केंद्र एहि कोटा स 176 मेगावाट हैदराबाद आओर 54 मेगावाट गुवाहाटी कए द रहल अछि। अर्थात जहि बिजली पर बिहारक हक अछि ओ आंध्रप्रदेश कए देल जा रहल अछि। आंकडा कहैत अछि जे साउर्दन रिजन मे सेहो 1070 मेगावाट अनएलोकेटेड बिजली अछि। हैदराबाद कए ओहि कोटा स बिजली देल जा सकैत अछि।
बिहार सरकार एहि मसला पर गंभीर जरूर अछि मुदा ओ कोनो डेग नहि उठा रहल अछि। पिछला पांच साल मे दामोदर घाटी परियोजना आठ हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क प्लांट लगेबा क काज शुरू कए रहल अछि। एकर करीब आधा भाग शुरू भ चुकल अछि। ओहि ठाम बिजली सरप्लस अछि। बिहार डीवीसी स करार करि सकैत अछि। हाल मे डीवीसी पुरान प्रोजेक्ट क संग 25 सौ मेगावाट बिजली दिल्ली कए उपलब्ध करेबा लेल करार केलक अछि। हालांकि, अगिला 10 साल तक ओकरा एहि बिजली क जरूरत नहि अछि। एहि करार क तहत केंद्र कए भेट रहल बिजली मे स अधिकतम दू हजार मेगावाट बिहार कए भेट सकैत अछि।
जानकारक मानब अछि जे कोनो राज्य मे बिजली बनेबा लेल तीनटा चीज चाही। जमीन, पानी आ कोयला। झारखंड, ओड़िसा आ छत्तीसगढ़ मे देश क 70 प्रतिशत कोयला उपलब्ध अछि। झारखंड मे 24 प्रतिशत ,छत्तीसगढ़ मे 22 प्रतिशत आओर ओड़िशा मे 24 प्रतिशत कोयला अछि। छत्तीसगढ़ मे असगर 75 साल मे साठ हजार मेगावाट बिजली बनेबा जोकर कोयला क भंडार उपलब्ध अछि। झारखंड मे उपलब्ध क कोयला क भंडार स सेहो अगिला 75 साल तक 70 हजार मेगावाट बिजली बनाउल जा सकैत अछि।
उपलब्ध कोयले स यदि बिजली झारखंड या छत्तीसगढ़ मे बनाउल जाए, त एकर कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन एक टका 40 पाई प्रति यूनिट आउत। मुदा झारखंड आओर छत्तीसगढ़ क कोयला हरियाणा आ पंजाब पठा कए बिजली बनाउल जाए त कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन दू गुना स बेसी भ जाइत अछि। पर, छत्तीसगढ़ स बिहार कए बिजली देबा मे 60 पाइ आ झारखंड स बिहार अनबा मे 40 पाइ प्रति यूनिट खर्च आउत।
झारखंड आ छत्तीसगढ़ क संग साझेदारी करबा लेल बिहार सरकार कोनो पहल नहि करि रहल अछि। बिहार सरकार इ जनैत अछि जे जाहि राज्य क लग मे कोयलाक भंडार अछि ओहि ठामक सरकार कए खुद बिजली उत्पादन यूनिट लगेबा स ओहि राज्य क शेयर 51 प्रतिशत भ जाएत।
केंद्र प्राथमिकता क आधार पर कोल लिंकेज या कोल ब्लाक देत। बिहार क लेल उपयुक्त समय अछि, किया कि भाजपा शासित झारखंड आ छत्तीसगढ़ मे घरेलू पावर प्लांट बहुत कम अछि। एहि दूनू राज्यक संग संयुक्त उपक्रम लगा कए बिहार अपन जरूरत क मुताबिक बिजली हासिल करि सकैत अछि। एहि स अगिला चार साल मे बिहार जीरो कट क स्थिति मे पहुंच जाएत।
बिहार मे 10 करोड़ 40 लाख क आबादी अछि मुदा औद्योगीकरण नहि अछि । एहि कारण स बिहार मे बिजली क खपत छत्तीसगढ़ क मुकाबला मे आधा अछि। लिहाजा जीरो पावर कट क लक्ष्य आसान अछि। नव फॉर्मूला क तहत एनटीपीसी स सेहो राज्य सरकार करार क सकैत अछि। कोनो राज्य जमीन आ पानी उपलब्ध करेबाक जिम्मेवारी लैत अछि त एनटीपीसी ओहि राज्य मे बिजली प्लांट लगाउत। संबंधित राज्य कए कुल उत्पादित बिजली मे स 50 प्रतिशत हिस्सा भेटत। जहां तक कोल लिंकेज आ कोल ब्लाक क गप अछि त ओ केंद्र सरकार अपन संस्थान कए आसानी स उपलब्ध करा दैत अछि। एनटीपीसी क संग एहि प्रकार क समझौता स बिहार कए लाभ भेट सकैत अछि,मुदा बिहार सरकार देश मे मौजूद विकल्प पर ध्यान देबाक बदला में भूटान पर ध्यान केंद्रीत कए रहल अछि। जखन कि ओकरा देश मे मौजूद विकल्प पर ध्यान द तत्काल कार्रवाई करैत विभिन्न राज्य सरकार आ एजेंसी स करार करबाक चाही।
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