सुरेंद्र किशोर
बिहार मे मंडल आंदोलन क पृष्ठभूमि मे सन् 1990 मे लालू प्रसाद क एकटा मजबूत पिछडा वोट बैंक तैयार भेल छल। काफी समय तक ओहि आधार पर चुनाव होइत रहल। लालू प्रसाद इंदिरा गांधी क वोट बैंक कए बिहार मे तोड़ने छलाह। इंदिरा गांधी क वोट बैंक क आधार पर 1969 स 1990 तक चुनाव भेल छल। सन् ’77 जरूर अपवाद अछि।
गत पांच साल मे अपन सरकारी-गैर सरकारी प्रयास स मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू क वोट बैंक क शिलाखंड कए एक हद तक तोड़ि देलथि अछि। आइ बिहार विधानसभा क चुनाव आकहि टूटि रहल पुरान जातीय वोट बैंक क पृष्ठभूमि मे नव मुद्दा क आधार पर भ रहल अछि। वोट बैंक क महत्व एखनो मौजूद अछि, मुदा ओकर स्वरूप बदलि चुकल अछि। वोट बैंक क बदलल स्वरूप मे आब विकास आ सुशासन क बेसी आग्रह अछि। इ बिहार क लेल शुभ संकेत अछि।
जातीय आ सांप्रदायिक वोट बैंक क मजबूत पूंजी क बल पर नेता आओर दल निश्चिंत भ कए विकास आ सुशासन स विमुख भ गेलाह त हुनकर वोट बैंक नहि रहल। आब नहि कांग्रेस क महिला, ब्राह्मण, अल्पसंख्यक आ दलित क वोट बैंक रहल आ नहि लालू प्रसाद क पिछड़ा-अल्पसंख्यक वोट बैंक।
रामविलास पासवान क दलित वोट बैंक सेहो आब तार-तार भ चुकल अछि। ताहि लेल बदलल राजनीतिक परिस्थिति मे लालू प्रसाद मतदाता स एक बेर फेर इ वायदा क रहल छथि जे ओ सत्ता मे एलाक बाद पुरान गलती कए नहि दोहरेताह यानी ओ विकास करताह आ कुशासन राज नहि चलेताह।
ओे तरह-तरह स सवर्ण नेता कए सेहो गला लगा रहल छथि। एहि स पहिने ओ एकटा मजबूत पिछड़ा वोट बैंक क मालिक हेबाक गुमान मे छलाह आ सवर्ण नेता क सामने झुकबाक जरूरत महसूस नहि करैत छलाह। लालू प्रसाद मीडिया स कहला जे हुनकर राजद आब पहिनेवाला राजद नहि अछि। किछु लोक छल, जे हमर शासन काल मे बदनामी हमर गला डाली देलक। हमर सरकार बनत त आब एहन लोक कए सटए नहि देब, मुदा बिहार क राजनीति क जानकारी कहैत छथि जे जखन-जखन लालू प्रसाद चुनाव हारैत छथि, त कहैत छथि जे आब ओ एहन गलती नहि करताह। चुनाव जीतलाक बाद फेर ओहने लोकक संग भजाइत छथि। कमोबेश एहने हाल रामविलास पासवान क सेहो अछि। बिहार कांग्रेस घोषणा केलक अछि जे ओ आब अति पिछड़ा कए तरजीह देत यानी बिहार मे राजनीति क एजेंडा बदलि गेल अछि।
सन् 2005 क बिहार विधान सभा चुनाव मे जतए एनडीए क नारा छल न्याय क संग विकास, ओतहि लालू प्रसाद आ रामविलास पासवान क मुख्य जोर सांप्रदायिक तत्व क विनाश पर छल। एतबा धरि जे लोजपा नेता रामविलास पासवान 2005 क मार्च मे राजद स मिली कए सरकार एहि लेल नहि बनेलाह जे राजद मुस्लिम मुख्यमंत्री क प्रस्ताव कए ठुकरा देलक। आब रामविलास पासवान मुस्लिम मुख्यमंत्री क आग्रह छोड़िकए इ घोषणा करि देलाह जे यदि राजद -लोजपा गठबंधन सत्ता मे आयल त लालू प्रसाद मुख्यमंत्री आ उप मुख्यमंत्री हुनक भाई पशुपति कुमार पारस हेताह। दरअसल, मुख्यमंत्री आ उप मुख्यमंत्री पद क उम्मीदवार क घोषणा क पाछु कम स कम यादव आ दलित वोट बैंक कए बचा लेबाक मंशा अछि।
मुख्यमंत्री क उम्मीदवार क रूप मे लालू प्रसाद आ नीतीश कुमार आब आमने-सामने छथि। एहि लेल मतदाता क दुविधा समाप्त भ चुकल अछि। दूनू नेता क कामकाज लोक क सामने अछि। नीतीश कुमार सन् 2005 मे जखन सत्ता पर काबिज भेलाह, तखने स ओ जातीय वोट बैंक कए तोड़बा क कोशिश मे लागी गेलाह।
नीतीश कुमार कए लगल जे जखन धरि जातीय वोट बैंक क शिलाखंड नहि टूटत, तखन धरि कोनो सार्थक राजनीति या फेर शासन नीति बिहार मे नहि चलि सकैत अछि। जातीय वोट बैंक क रहैत सरकारी विकास क लाभ सब जाती आ धर्म क लोेक कए समान रूप स नहि भेट सकैत अछि।
पहिने इ होइत छल जे नेता आ दल बनेलक त पैघ जातीय आ सांप्रदायिक वोट बैंक, मुदा थोड़ बहुत सरकारी लाभ पहुंचेलक त सिर्फ अपन जातीय समूह कए। भावनात्मक नारा क कारण जातीय वोट बैंक मे शामिल अन्य मतदाता अपन आराध्य नेता क संग नहि छोड़लथि।
नेता निश्चिंत भ सिर्फ राज भोगलक आ आम जन क कए कहे, अपन वोट बैंक मे शामिल विभिन्न जातीय आ धार्मिक समूह क कल्याण क सेहो ध्यान नहि राखल गेल। बिहार पिछड़ैत चल गेल। अपन वोट बैंक कए नेता स्थायी बुझि गलती केलथि। एहि गलती पर आब ओ पचता रहल छथि, मुदा आब देर भ चुकल अछि, किया जे एहि बीच नीतीश कुमार एकटा पैघ लकीर खींच देलथि अछि।
सत्ता मे एलाक बाद नीतीश कुमार तरह-तरह स उपेक्षित अति पिछड़ल जिनकर आबादी बिहार क कुल आबादी क करीब 32 प्रतिशत अछि, कए राजनीतिक आ आर्थिक विकास क लेल कईटा डेग उठेलाह । संगहि नीतीश सरकार द्वारा गठित महादलित आयोग इ रपट देलक जे बिहार क दलित मे महादलित वर्ग सेहो अछि, जेकर आबादी कुल दलित मे 31 प्रतिशत अछि।
एहि मे एकोटा आईएएस, आईपीएस़, डॉक्टर या इंजीनियर नहि अछि। बाद मे किछु अन्य दलित जाति कए सेहो महादलित मे नीतीश सरकार शामिल केलक। ओकर विकास आ कल्याण क लेल विशेष कार्यक्रम चलेलाह। एहि तरह स दलित वोट बैंक सेहो टूटल। एहि तरह स अति पिछड़ा क लेल पंचायत आ नगर निकाय मे आरक्षण क प्रावधान करि आ किछु दोसर कल्याणकारी काज क कारण लालू प्रसाद क पिछड़ा वोट बैंक सेहो आब ध्वस्त भ चुकल अछि। एहि लेल लालू प्रसाद कीमत चुकाकए रामविलास पासवान स चुनावी समझौता क लेल मजबूर भ गेलथि अछि।
संकेत अछि जे जातीय वोट बैंक क राजनीति आब बिहार मे निर्णायक नहि रहल। एकर एकटा झलक 2009 क लोकसभा चुनाव मे सेहो बिहार मे भेटल छल, जखन एनडीए कए कुल 40 मे स लोक सभा क 32टा सीट भेटल छल। गत साल सितंबर मे भेल बिहार विधान सभा क उपचुनाव मे जरूर एनडीए उम्मीदवार बुरी तरह स हारि गेलाह, मुदा ओ चुनाव एकटा विशेष तनावपूर्ण स्थिति मे भेल छल, मुदा ओ स्थिति आब नहि अछि। एखन धरि भेट रहल संकेत स इ साफ भ रहल अछि जे विधानसभा चुनाव मे विकास, कानून व्यवस्था, सुशासन आ समरस समाज महत्वपूर्ण मुद्दा रहत।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार छथि