बिहार सौ सालक भ गेल। एहि अवसर पर राज्य मे कईटा कार्यक्रम आयोजित कैल जा रहल अछि। इ एकटा दुखद गप अछि जे करीब 97 साल बाद बिहार क कुंडली तकबाक प्रयास भेल आ 98 साल भेला पर बिहारक जन्मतिथि तय भेल। पिछला सौ साल स बिहारक कुडली तकबाक प्रति सरकार क उदासी बिहार दिवस पर साफ देखबा लेल भेटल। बिहार त जरूर सौ सालक भ गेल, मुदा बिहारियत पैदा नहि भ सकल अछि। कुवंर सिंह आ चाणक्य क चर्च इ बता रहल अछि जे बतेनिहार कए एखनो बिहारक निर्माण क जानकारी क घोर अभाव अछि। सौ साल भेलाक बावजूद बिहारक प्रशासन एखन धरि इ पता नहि लगा सकल जे आखिर केकर प्रयास स बंगाल स बिहार अलग भेल। एहि स बेसी मजाक क विषय आओर की भ सकैत अछि जे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजुक दिन ओहि व्यक्ति लेल दूटा शब्द तक नहि कहलथि जेकर प्रयास स बिहार क निर्माण भेल। सचिदांनद सिन्हा आ रामेश्वर सिंह सन कई गोटाक योगदान कए बिसरि बिहार दिवस मनेबाक कोनो औचित्य नहि अछि। अगर भारत क आजादी लेल हम कुंवर सिंह स गांधी तक कए नाम जपैत छी त कि बिहार कए बंगाल स अलग करबा लेल आंदोलन नहि भेल अछि, लोक शहादत नहि देने अछि। सौ सालक बाद जखन हम बिहारक जन्म क तारीख तकबा मे सफल भेलहुं त कि बिहारक जन्म लेल आंदोलन करनिहार कए तकबाक काज अगिला सौ साल लेल छोडि देल जाए। आखिर बिहारक इतिहास कए किया नुकायल जा रहल अछि। आखिर नीतीश कुमार कौन बिहारक सौ साल मना रहल छथि।
भोजपुर, मगध या मिथिलाक इतिहास कखनो बिहारक इतिहास नहि भ सकैत अछि। बिहारक इतिहास केवल बिहारक इतिहास भ सकैत अछि। मुदा जाहि प्रकार स गांधी मैदान स ल कए गाम-टोला तक बिहारक इतिहास बताउल जा रहल अछि ओ भ्रमित करबा लेल प्रयाप्त अछि। इ भ्रम सरकार आ प्रशासन लेल लाज क विषय अछि। बिहारक इतिहास मात्र सौ साल पुरान अछि। जाहि बिहारक आइ सौ साल पूरा भेल अछि ओकरा लेल कोनो कुंवर सिंह या चाणक्य प्रयास नहि केने छथि। जाहि बिहारक आइ सौ साल भेल अछि ओ कोनो आजादीक लडाई नहि छल। इ कहबा मे कोनो हर्ज नहि जे बिहार दिवस पर बिहार क जन्मक चर्चा नहि भेल, बाकि सबटा चर्चा खूब भेल। एहि राज्य कए अस्तित्व मे अनबा लेल जे व्यक्ति प्रयास केलथि हुनकर संबंध मे कोनो जानकारी आम लोक कए नहि देल गेल। आखिर बंगाल स बिहार अलग करबा लेल कोना आंदोलन भेल ताहि पर कोनो चर्चा नहि कैल गेल। एहन मे इ सवाल उठैत अछि जे आखिर बिहार दिवस किया और केकरा लेल आयोजित भेल। जेना कोनो बच्चाक जन्मदिन पर ओकर कुलक चर्चा हेबाक चाही, मुदा बच्चा क कुल ओकर माता-पिताक जगह नहि ल सकैत अछि। तहिना बिहार दिवस पर चाणक्य आ कुंवर सिंहक चर्चा तखने नीक लागि सकैत छल जखन बिहारक लेल आंदोलन करनिहार आ बिहारक निर्माण मे योगदान देनिहारक चर्चा होइते। इ पूरा आयोजन इ साबित क देलक जे बिहार मे एखनो बिहारियत क घोर अभाव अछि आ प्रशासन मे बैसल लोक बिहार कए एखनो स्वीकार नहि क रहल छथि। प्रशासन लेल बिहार स बेसी महत्वपूर्ण मगध, भोजपुर आ मिथिलाक इतिहास अछि आ ओ बिहारक इतिहास पर ओकरा थोपबा क प्रयास करैत रहला अछि। इ भ्रम आयोजन में कलाकारक चयन स ल कए शताब्दी क मौका पर पुरस्कार लेल लोकक चयन तक देखल गेल। विश्व क सर्वश्रेष्ट पखावज वादक रामाशीष पाठक कए पूरा समारोह स अलग राखल गेल। अगर सौ सालक दौरान विश्व संगीत मे बिहारक नाम लिखनिहारक गप होएत त पंडित जीक नाम ओहि कतार मे अछि जे अपन विधा मे एकटा संस्थान बनि चुकल छथि। तहिना पिछला 30-35 साल क अन्हार बिहार कए इजोत देनिहार तीटा ‘स’ सम्मानित करबाक सूची मे गायब रहल। पहिल सुलभ, दोसर सुधा आ तेसर सुपर30। इ तीनटा संस्था बिहार कए तखन रोशन केने रहल जखन बिहार मे कोनो रोशनीक उम्मीद नहि कैल जाइत छल। बिहारक सौ सालक तिहास मे इ तीनू संस्था अपन खास महत्व रखैत अछि, मुदा नीतीश प्रशासन लेल एकरा उल्लेख करब जरुरी नहि बुझल गेल। एहन मे कहल जा सकैत अछि जे कोनो आयोजनक तारीख तय करि लेला स ओकर औचित्य पूरा नहि भ सकैत अछि। जरुरत अछि ओहि तारीखक महत्व बुझबाक आ बिहार सरकार एहि मे पूर्णत: असफल रहल। सरकार एक क्षण लेल इ बुझबा या बुझेबा लेल तैयार नहि भेल जे बिहारक इतिहास बिहार दिवसक औचित्य अछि। बिहार सरकार भ्रम मे डूबल एकटा आयोजन करबा मे जरुर सफल रहल, मुदा बिहारियत कए स्वीकार करबा लेल तैयार नहि भेल। आ जा धरि बिहारियत कए स्वीकार नहि कैल जाएत ता धरि इ तरीख बस तारीख बनल रहत।
Dhanyabad sahit, wichar sa solah aana sahmati chi.
Nik aalekh.