पटना। रेडीमेड वस्त्र क उत्पादन मे आब बिहार क सेहो खासा योगदान भ रहल अछि। बदलैत बिहार क संग इ उद्योग एहि ठाम नव रूप मे ठार भ रहल अछि। मुदा एहि नव उद्योग कए ठार हेबा स पहिने केन्द्र सरकार एहि पर अपन नजरि गडा देलक अछि। एहि साल क केन्द्रीय बजट मे रेडीमेड गार्मेट उद्योग पर दस फीसदी उत्पाद शुल्क लगेबाक प्रस्ताव बिहार मे एहि उद्योग कए जनमला क संगहि मारबाक प्रयास जेकां अछि।
बिहार मे रेडीमेड वस्त्र क उत्पादन बढ़बाक संगहि एकर बाजार सेहो तेजी स बढ़ि रहल अछि। राज्य मे कार्यरत 100टा स बेसी छोट-पैघ इकाइ क सालाना कारोबार करीब 100 करोड़ स बेसी पहुंच चुकल अछि। बिहारी रेडीमेड वस्त्र झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश आदि राज्य मे सेहो जा रहल अछि। पैंट-शर्ट, जीन्स, कुर्ते-पायजामा, शेरवानी आ खादी वस्त्र एहि ठाम मुख्य रूप स तैयार भ रहल अछि। किछु बिहारी ब्रांड अपन खास पहचान बना रहल अछि। बिहार गारमेन्ट्स मैन्युफैक्चरिंग एंड डीलर्स एसोसिएशन क अनुसार साल भरि मे केवल यार्न क दाम बढ़ला स सूती कपड़ा क दाम पहिने स 130 फीसदी तक बढ़ि चुकल अछि। एहन मे बजट उत्पाद शुल्क लगेबा स रेडीमेड कपड़ा क दाम आओर बढ़त। एहि स बिहार कए सबस पैघ घाटा होएत किया जे बिहार मे रेडीमेड उद्योग एखन पनपब शुरू भेल अछि, उत्पाद शुल्क लगबा स इ चौपट भ जाएत। एसोसिएशन क कहब अछि जे एक दिस राज्य या केंद्र सरकार एहि लेल प्रोत्साहन नहि द रहल अछि दोसर दिस उत्पाद शुल्क लग कए बिहार मे एहि उद्योग कए जनमबा स रोकि रहल अछि।