नई दिल्ली। जखनि किनको भाग्य उदय होएत अछि, त हुनकर सब दिस स सुखद परिणाम सामने अबैत अछि। किछु एहि तरहक स्थिति बिहार क संग भ रहल अछि। जाहि ठाम पूरा विश्व आर्थिक मंदी, ग्लोबल वार्मिंग आ स्वाइन फ्लू स त्रस्त अछि, बिहार मे इ समस्या क कोनो प्रभाव नहि अछि। आर्थिक विकास दर जतय वैश्विक मंदी कए बिहार मे हरा देलक ओतहि प्रवासी चिडिय़ाक रिकार्ड आगमन बता रहल अछि जे एहि इलाका मे जलवायु परिवर्तनक कुप्रभाव नहि अछि। 88 टा हेक्टेयर मे फैलल गोगाबील समूह क मुजबरबील, बघारबील झील आ बलदिया चौर मे हजार स बेसी पक्षी जलक्रीड़ा करैत पाएल गेल। गोगाविल मे अखनि धरि 75 टा प्रजाति देखल गेल अछि, जाहि मे 31 टा प्रवासी प्रजाति क पक्षी शामिल अछि। गोगाविल में पहिल बेर पलाश फिश ईगल कए सेहो देखल गेल। एकर अलावा एशियन ओपन बिल, व्हाइट आइबिस, नादर्न लैपविंग, ललमुनिया, घोंघिल, सफेद बाज, ओपन बिल स्टाक, ग्लासी आइबिज, शावेलर, गडवाल, कूट, लालसर, पीनटेल, गल, टर्न, खंजन, स्नाईक आ चहा आदि पक्षी कए कलरव करै देखल गेल। अंग क्षेत्र मे विलुप्तप्राय गरूड़ पक्षी सेहो निवास करि वंश बढ़ा रहल अछि।
एकर संगहि संग हाल मे देश-विदेश मे स्वाइन फ्लू कए ल कए लोक त्रस्त छल, ओहि समय बिहार एकरा स विमुक्त छल। स्वास्थ्य विभाग क अनुसार बिहार मे एहि बीमारी क नियंत्रण क पाछु लोक क प्रतिरोधक क्षमता मुख्य अछि। मुदा, हवा मे नमी क प्रतिशत कम हेबाक, कम संख्या मे लोक कए देश-विदेश जेबाक आ संक्रमित लोक स कम भेट करबाक सेहो सहायक अछि। देश मे जाहि ठाम 25 हजार स बेसी लोक एहि बीमारी कए चपेट मे आएल छल, ओहि समय बिहार मे अखनि धरि मात्र 7 टा लोक एकर चपेट मे आएल। जाहि मे सब ठीक भ घर जा चुकल छथि।