दरभंगा। लक्ष्मी विलास पैलेस (आनंदबाग) क दरबार हाल मे 26 साल बाद संगीत समारोह भेलाक बाद दरभंगाक एकटा आओर संगीत क गढ रहल बेला पैलस मे संगीत क गूंज सुनबा लेल भेटल। बेला पैलेस एक बेर फेर अपना कए संगीत क सरोवर मे डूबा लेलक। बेला पैलस (डाक प्रशिक्षण केंद्र) क सभागार मे आयोजित समारोह मे शास्त्रीय संगीत क प्रस्तुति पर उपस्थित श्रोता मुग्ध होइत रहलथि। ज्ञात हुए जे 20म शताब्दी क लगभग सबटा महान गायक एहि सभागार मे अपन प्रस्तुति द चुकल छथि। केएल सहगल होइथि या बिस्मिल्लाह या फेर पंडित रामचतुर सब एहि ठाम प्रस्तुति लेल आतुर रहैत छलाह। सच कहल जाए त 20म शताब्दी मे संगीत क इ एकटा महत्वपूर्ण पीठ छल, जाहि ठाम संगीत आ संगीतज्ञ कए पूजा होइत छल। राज बहादुर विशेश्वर सिंह क संगहि बेला पैलेस क संगीत साधना सेहो खत्म भ गेल। मुदा एहि ठामक इतिहास नहि मिटाउल जा सकैत अछि। इतिहासक गौरवशाली परंपरा कए एक बेर फेर जीवंत करबा लेल संगीत संकल्प क दरभंगा शाखा आ विश्वविद्यालय संगीत आ नाट्य विभाग क संयुक्त तत्वावधान मे बेला पैलेस मे अंतरराष्ट्रीय शास्त्रीय संगीत समारोह क आयोजन कैल गेल। एहि कार्यक्रम मे पुणे स आएल डॉ. विकास कशालकार आ धनंजय हेगड़े गायन प्रस्तुत केलथि। एहि मौका पर वाराणसी क डॉ. संजय वर्मा गिटार आ पुण्डरीक भागवत तबला पर प्रस्तुति द कार्यक्रम कए मोहक बना देलथि। कार्यक्रम क संयोजिका लाव ण्यकीर्ति सिंह काव्या कहलथि जे कार्यक्रम क माध्यम स शास्त्रीय संगीत क संगहि बेला पैलेस क एहि सभागार कए सेहो नव जीवन भेटल अछि। एहि मौका पर दूटा पुस्तक क लोकार्पण सेहो कैल गेल।