पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहलथि अछि जे ओ इत्मीनान स बैस जाइ वाला नेता नहि छथि। रावण स्वर्ग मे सीढ़ी लगेबा लेल सोचैत रहल आ चल गेल। हमर मानब अछि जे काज जे तय अछि ओकरा करि ली। प्रसंग छल बिहार दिवस क आयोजन क। मुख्यमंत्री कहला जे ओ कैबिनेट क अधिकारी कए अगिला बैठक मे एहि आशय क प्रस्ताव अनबा लेल कहलथि अछि। पहली अप्रैल 1912 कए बंगाल स बिहार अलग भेल छल। आब सब साल अप्रैल मे बिहार दिवस क आयोजन कैल जाइत। तारीख पर शीघ्र फैसला होयत।
मुख्यमंत्री कहला जे बिहार क स्वाभिमान जगेबा लेल जे संभव होयत करब। एकर लेल जरूरी अछि जे बिहार दिवस कए हम सब धूमधाम स मनाबी। सब लोक एहि मे हिस्सेदार बनी। आइ हमार समक्ष अस्मिता क संकट अछि। महाराष्ट्र विधानसभा क भीतर जे भेल ओ हिंदी क अपमान क मामला नहि अछि। एहि प्रकारे ऐरे-गैरे लोक क आचरण स हिंदी अपमानित नहि भ सकैत अछि। सवाल देश कए तोड़बाक प्रयासक अछि आ एहि पर केंद्र क चुप्पी क अछि। जेकर हाथ मे संविधान क रक्षा क अधिकार देल गेल अछि ओ हाथ पर हाथ ध कए बैइसल अछि। एहि तरह क संगठन पर प्रतिबंध लगबाक चाही। पता नहि किया केंद्र मनसे पर प्रतिबंध नहि लगा रहल अछि?
मुख्यमंत्री कहलथि जे हुनका चाहला स किछु नहि भ सकैत अछि। ओ लाख चाहि लथि पर जातियता समाप्त नहि भ सकैत अछि। मुदा हुनका उम्मीद अछि जे बिहारक जनताक सहयोग स ओ जातीय दुराग्रह कए समाप्त करि देताह। पूर्व मे बिहारक नेता अपन क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ क लेल समाज कए तोड़बा मे लागल रहलाह। मुदा आब बदलाव आबि रहल अछि। मुदा हमार किछ मित्र कए इ बदलाव नहि देखाइत छैन।