बाट कोनो इलाकाक लेल केतबा महत्वपूर्ण होइत अछि इ ककरो स नुकायल नहि अछि। मिथिला विकासक बाट ताकि रहल अछि। एहन मे मिथिलाक बीच स एकटा एहन बाट गुजरि रहल अछि जे मिथिला क भाग्यउदय जेकां अछि। अपने आप मे एकटा कहानी जेकां अछि। महज एकटा बाट स कोना मिथिलाक भविष्य बदली सकैत अछि इ बुझेबाक कोशिश केलथि अछि डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”। -समदिया
ई थिक स्वर्णिम चतुर्भुज जे बिहार मे “डिहरी ऑन सोन” भऽ कऽ जाइत अछि स्वर्णिम चतुर्भुज मिथिला केँ स्पर्श तक नञि करैत अछि । वास्तव मे किछु “अज्ञात शक्ति” सभ कहियो मिथिलाक स्थिति मे सुधार वा मैथिलक हित नञि चाहैत छल (देखू समकालीन “मिथिला दर्शन” आ आन मैथिली पत्र – पत्रिका सभ)। ओ कहियो नञि चाहैत छल जे मिथिलाक दुहु बँटल भाग एक होअए । ओ कहियो नञि चाहैत छल आ नहिञे एखनहु चाहैत अछि कि मिथिला एकजुट होअए । एहि “अज्ञात शक्ति” सभक हमेशा प्रयास रहल आ एखनहु अछि कि मिथिला एहिना बँटल रहय – दड़िभंगा, कोशी , तिरहुत आ भागलपुर मे । ओ सभ चाहैत अछि जे एहिना रौदी – दाही होइत रहय , मिडीया पर कुदकैत रहय, अनुदानक पेटी अबैत रहय आ अप्पन पेट भरैत रहय । जँ से नञि तऽ एखन धरि किए कोनो स्थाई औद्योगिक परियोजना एहि धरती पर नञि शुरू कऽ सकल सरकार ? बीच मे पं॰ (स्व॰) ललित नारायण मिश्रजी किछु सार्थक प्रयास शुरु कयलन्हि । ललित बाबू केवल मिथिले नहि समग्र बिहारक बारे मे सोचैत छलाह, बहुत कम लोकनि केँ बूझल होयत कि बिहार मे पर्यटनक विकाशक लेल “जानकी सर्किट” आ “बुद्धिस्ट सर्किट” केर मौलिक परिकल्पना मूलभूत रूपेँ हुनिकहि दूरदर्शी सोच छलन्हि । हुनिकर योजनाक अनुसारेँ समस्त भारतक उत्तर व उत्तरपुर्वी सीमा पर एक द्रुतगामी सड़क मार्ग व रेलमार्ग होयबाक चाही । आसाम सँ दिल्ली जयबाक लेल अनेरो रेल कलकत्ता आ पटना सँ घुमैत, समय बर्बाद करैत किए आबय – सहरसा वा मधेपुरा सँ दड़िभंगा अयबा लेल २४ घण्टाक थका दय वला यात्रा किएक – एक अलग सीमावर्ती रेल लाइन व सड़क मार्ग किएक ने हो – ई सभ ललित बाबूक अग्रसोचहि छल (भाइ हम कोनो राजनैतिक दलक पक्ष वा विपक्ष मे नञि बाजि रहल छी, हम मात्र ललित बाबूक अग्रसोचक चर्च कए रहल छी) । पर हुनक हत्याक बात स्थिति फेर जहिनाक तहिना वा ताहू सँ बदतर । मिथिला विरोधी “अज्ञात शक्ति” लोकनि मिथिलाक सभ महत्त्वाकांक्षी परियोजना सभ केँ अर्थाभाव कहि बन्न करवा देलन्हि वा आन ठाम स्थानांतरित करवा देलन्हि । एक्कहि परियोजना जँ मिथिला मे भऽ रहल छल तऽ अर्थाभाव आ आन ठाम चलि गेल तऽ मालामाल – वाह ! कत्तेक नीक सोच ??? …… अजगुत !!!!!! …… आश्चर्य !!!!!! जे हो, पर मिथिला ओहिना बँटल रहल, ओहिना कोशी माए केँ अर्ध्य चढ़बैत रहल । दिन बीतल, मास बीतल, साल बीतल आ सालक साल बितैत रहल । जे केओ मिथिलाक विकाश, प्रगति, उन्नति केर लेल काज करए चाहलक तकरा तथाकथित “मिथिला विरोधी अज्ञात शक्ति” सभ साम – दाम – दण्ड – भेद सँ कात लगबैत रहल ।
बात आयल बिहार मे परिवर्तनक, विकाशक आ ताहि लेल चाही “मौलिक आधारभूत सुविधा” जेना कि बिजली, सड़क आदि । पर ताहू मे मिथिला केँ कात करबाक भरपूर प्रयास भेल आ एखनहु तथाकथित “मिथिला विरोधी अज्ञात शक्ति” सभ द्वारा अथक प्रयास भऽ रहल अछि । सड़कक लेल प्रस्ताव आयल “ईस्ट – वेस्ट कॉरिडोर” नामक द्रुतगामी उच्चपथक, पर तकरो मिथिलाक कात करोट सँ निकालबाक भरपूर प्रारम्भिक प्रयास कयल गेल ।
बाद मे किछु लोकनिक सकारात्मक प्रयास सँ उपरोक्त प्रस्ताव मे सकारात्मक परिवर्तन आनल गेल आ नीचा देल गेल मानचित्रक अनुसार आब काज पुर्ण होयबा पर अछि । ई उच्चपथ आब मिथिला केर कात करोट सँ छूबि कऽ नञि अपितु मिथिलाक बीचोबीच निकलैत अछि, ठीक ओहिना जेना फूल केँ माला बनओनिहार ताग माला केर ठीक बिचोबीच रहैत अछि । रहल बरौनी आ भागलपुर केर बात तऽ एहि क्षेत्र सभ केँ जरूर थोड़ेक क्षति उठाबय पड़ल पर ई सभ क्षेत्र पहिनहु सँ बहुत समृद्ध रहल अछि आ एहि सँ अपेक्षाकृत बहुत कम आहत होयत। बात दड़िभंगा मधुबनी केर सेहो नञि अछि, बात अछि सहरसा, मधेपुरा आ सुपौल सन सन स्थानक जकरा एहि उच्चपथक हमरा जनैत बरौनी आ भागलपुर सँ बेशी खगता रहैक ।
बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी, शिवहर, हाजीपुर, मधुबनी, सुपौल आ सहरसा आदि जिला मुख्यालय यद्यपि सीधे एहि उच्चपथ पर नहि अछि पर बेशी फराको नञि अछि तथा कोनो ने कोनो अन्य योजक (Connecting) राष्ट्रिय राजमार्ग (NH) वा राजकिय राजमार्ग (SH) द्वारा एहि सँ जुड़ल अछि ।
अहाँ कहब जे एहि उच्चपथ सँ की फायदा, एखनहु स्थिति तऽ ओहिना बुझाइत अछि – अपनेक कहब किछु हद तक सही अछि । पर एकर बहुत रास दूरगामी परिणाम होयत । मिथिलाक सांसकृतिक समन्वय व आदान – प्रदान बढ़त। बेतिया सँ पुर्णिञा धरि मैथिल सांस्कृतिक व भाषायी एकरूपता आओत । मिथिलाक पच्छिम मे भोजपुरी, पूब मे बंगाली आ दक्षिण मे मगधक दिशि सँ जे सांस्कृतिक प्रहार भऽ रहल अछि आ पुर्वी, पच्छिमी ओ दक्षिणी मिथिला केँ सांस्कृतिक स्तर तथा भाषायी स्तर पर केन्द्रिय मिथिला सँ फराक करबाक जे दुष्चक्र चलि रहल अछि ताहि पर लगाम लागत । आवागमनक सुविधाक कारण परस्पर परिणय सम्बन्ध बढ़त ( बहुतो लोकनि केँ ई बात अजीब सन लागन्हि पर हमर अनुभवक अनुसार एहि क्षेत्र सभ केँ बीच बहुतो विवाह – प्रस्ताव मात्र एहि लेल अनठा देल जाइत अछि कि एक दोसराक ओहि ठाम जायब दुरूह अछि ) । दड़िभंगा सँ पुर्णिञा केर दूरी एहि उच्चपथ पर लगभग २५० कि॰मि॰ थिक, जँ केओ मात्र ६० -७० कि॰ मि॰ प्रति घण्टाक गतिएँ कोनो वाहन सँ जाथि तइयो करीब मात्र चारि घण्टा लागत , अर्थात लोक एक्कहि दिन मे जा कऽ कोनो काज कऽ कऽ पुनः घुरि कऽ ओएह दिन आबि सकैत अछि । ई पहिने असम्भव सन छल ।
भविष्य मे ई उच्चपथ मिथिला मे पर्यटनक विकाश मे सहायक सिद्ध होयत कारण जे ई मिथिलाक बीचोबीच जाइत अछि आ बहुतो पर्यटन स्थल या तऽ सीधे एहि उच्चपथ पर अछि या एहि सँ थोड़बहि दूरी पर अछि । कोनो आन राज्यक वा आन देशक पर्यटक कतहु जयबा सँ पहिने ओहि ठामक कानून – व्यवस्था आ आवागमनक साधन (सड़क व रेल मार्ग) पर जरूर विचार करैत अछि ।
ई उच्चपथ अपना संगे भविष्य मे मिथिलाक लेल उद्योग आ व्यापार केर नऽव नऽव अवसरि लऽ कऽ आओत से आशा । मिथिला मे उपजाओल मखान दिल्ली या आन ठाम सँ Packaged Fast Food बना कऽ पुनः मैथिल केँ नञि बेचल जाओत से विश्वास । आब ककरो बनैत घऽर, बरसात मे रोड बन्न भऽ जयबा सँ, सिमेण्टक बोरी नहि पहुँचलाक कारणेँ, नहि रुकत । आब पोलियो (Polio / Acute flaccid paralysis) सँ ग्रसित कोनो बच्चा , उचित ईलाजक लेल पटना वा दिल्ली जयबाक लेल, बाढ़िक पानि कम होयबाक ४ -५ दिन प्रतिक्षा नञि करत ।
बहुत बहुत धन्यवाद कुमुद जी ।
बाट कोनो इलाकाक लेल केतबा महत्वपूर्ण होइत अछि इ ककरो स नुकायल नहि अछि। मिथिला विकासक बाट ताकि रहल अछि। एहन मे मिथिलाक बीच स एकटा एहन बाट गुजरि रहल अछि जे मिथिला क भाग्यउदय जेकां अछि ……………… नीक लागल सम्पादकीय वक्तव्य ।
जानकारी लेल धन्यवाद। आ संगहि एकटा नव चिन्तन देखायल जे बहुत सकारात्मक अछि ।
धन्यवाद अतुलेश्वर जी ।
Bahut neek jankari bhetal.
धन्यवाद प्रकाशजी ।