सत्यनारायण झा
मिथिला आ मैथिली भाषाक विकास हवाई सर्वेक्षण सं संभव नहि छैक। मैथिली भाषा संवैधानिक अधिकार त पाबि गेल मुदा मिथिलाक सर्वांगिन विकास त’ एखन कोसो दूर अछि। मैथिलीक संवैधानिक अधिकार भेटने काजक इतिश्री नहि भ’ गेलैक। इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया, प्रिंट मीडिया आ अन्य संवाद स्रोत स मैथिलीक लेल मात्र ढोल पिटल जाइत अछि। कतेक गगन बिहारी नेता वोट क्लव पर दिल्ली मे जाकए ओहिठाम दसटा मैथिल कए पकरि इन्क्लाव –ज़िंदा वाद ,आ 5-10 टा मांगक नारा दए अखवार आ टीवी मे अपन वक्तव्य दए मिथिलाक विकासक सहयोगी भ जायत छथि। यद्यपि अगर ओ गगन बिहारी नेता ओतबो नहि करताह त मैथिली क नामो लेवा ताकने नहि भेटत, एहि लेल ओ जरुर धन्यबादक पात्र छथि। एखन तक त’ यैह देखलियइ अछि। लेखक –कथाकार अपन काज बाखुबी निमाहि रहल छथि। मैथिली भाषाक खजाना दिन दिन भरि रहल छैक ताहि मे कोनो संदेह नहि।
मिथिलाक विकासक लेल ओकरा जमीनी लीडरशिप चाही। एहन एहन ग्रुप बनए जे ग्रुप मिथिलाक सुदूर देहात मे घुमि लोक सभ क’ जागृत करए, जेकर भाषा मात्र मैथिली छैक। ओ जे बजैत अछि सैह मैथिली छैक। मैथिलीक संग कतेक षड़यंत्र भ’ रहल छैक। कनेक टेढ़ बाजू त’ मैथिली ,बज्जिका , अंगिका मुंगेरिया आ आर कतेक भाषा मे परिणत भ’ जायत छैक। मुदा से गलत छैक। कोनो भाषा शुद्ध सभठाम नहि बाजल जायत छैक। जे हिंदी इलहाबादक छैक से कतौ दोसर ठामक छैक की ? जतेक प्रान्त ओतेक तरहक हिंदी। बनारस ,पटना ,कोलकोता ,भोपाल ,चंडीगढ़ ,दिल्ली आ दक्षिण भारत कतौक हिंदी मानक नहि मुदा ओ सभ हिंदी छैक। हर भाषा मे वैह गप छैक मुदा मैथिली संग सौतेला जका व्यबहार। एकर मूल कारण जे ग्रासरूट पर हम सभ मैथिल के एखन तक जागृत नहि कयल।
हमरा फिल्ड मे काज करबाक मौक़ा भेटैत रहैत छल। सहरसा,पुरनिया आ कटिहार जिलाक सुदूर देहात मे जाइत छलौ त’ देखियैक मैथिली छोरि कोनो भाषा केकरो नहि बाजल होयक। पुछला पर उत्तर भेटय जे हमरा सभक मातृभाषा हिंदी अछि। ईहो गप मैथिली मे बजैत छल। एक बेर सहरसा जिलाक एकटा कालेज टीचर स गपक काल कहलनि जे हुनकर मातृभाषा हिंदी छनि। हम पुछलियइन जे अहाँक घर सुपौल लग अछि |अहाँक माँ –बाबूजी जाहि भाषा मे अहाँ सं गप करैत छथि ओ कोन भाषा छैक? बेचारे चुप भ गेलाह। कहक मतलब ओ भाषाक प्रति जागरूक नहि छथि। हम हायरसेकेंड्री मे पढैत रही । हमर एकटा मित्र छलाह श्री राम परीक्षण यादव। बोर्ड क’ परीक्षा जखन 6 मास रहलैक तखन ओ एक दिन हमरा कहलनि, दोस्त –हमरा त’ सभ सं बेसी डर हिंदी सं होयत अछि। हम कहलियैन जे मैथिली राखि लिअ। ओ कहलनि मैथिली त’ आओर भारी छैक। हम कहलियैन अपन मातृभाषा अछि,जल्दिये सीख लेब। हुनका हम मददि करय लगलियनि। रिजल्ट आयल। स्कूल मे सभ सं बेसी अंक रहनि। आइ हमर ओ मित्र संयुक्त सचिव भ’ रिटायर क’ गेलाह आ पूर्ण मैथिल छथि।
1- मिथिला आ मैथिलीक विकासक लेल ग्रासरूट पर मैथिल क’ जागृत केनाइ
२-प्राथमिक कक्षा सं मैथिली मे अनिवार्य शिक्षा
3 –जे बहुत अल्ट्रा माडर्न छथि ओ कम सं कम अपन घर में अपन परिवार सं मैथिली मे गप्प करथि। हम त’ कतेक क’ देखलियइन अछि जे पत्नी सं हिंदी मे गप करैत। ओकर प्रभाव त’ बाल- बच्चाक संस्कार पर परतैक। ओ बच्चा अपन भाषा क’ बिसरि जेतैक।
4- जत’ क’ मैथिली जेहन छैक ओहने क’ व्यवहार करू। ओ परफेक्ट मैथिली छैक।
एहि स एकटा गप स्मरण आबि रहल अछि। हम बरस 70-71 मे मोती लाल रीजिनल इंजिनियरिंग कालेज मे पढैत रही। अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समितिक अध्यक्ष स्व डा श्री जयकान्त मिश्र छलाह आ हम सचिव रही। हम सभ मैथिलीक कार्यक्रम समय समय पर करैत रहैत छलौ । विद्यापति पर्व मनेबाक कार्यक्रम बनलैक। स्वागताध्यक्ष केकरा बनायल जाय ? हम कहलियैन हमरा कालेज मे डॉ एसएन सिन्हा, एचओडी छथि, हुनका बनायल जाए। प्रस्ताव पारित भेल। हम सभ डॉ सिन्हा लग गेलौ। ओ कहलनि डॉ राम कुमार वर्मा उदघाटन करताह आ हमरा मैथिली बाजल नहि होयत अछि। डॉ मिश्र कहलखिन, सिन्हाजी, अहाँक घर सीतामढ़ी थीक, मैथिलीक जन्म स्थली। अहाँ अपना घर मे जे बजैत छि सैह मैथिली थीक। ओ गप मानि गेलाह मुदा हुनका डर होइत रहनि, कारण एहि कार्यक्रम मे इलहाबादक तथा बिहारक पैघ हस्ती सभ भाग लइत छलाह |डॉ सिन्हा 3-4 लाइन शुद्ध मैथिली में लिखाल घोखि गेलाह। हम सभ जाइ त’ बे- रोकटोक सूना देथि। जखन कार्यक्रम प्रारम्भ भेलैक त’ ओ एक लाइन बाजि चुप भ’ गेलाह। 1-2 मिनट चुप रहलाह। हुनका डॉ मिश्रक गप मन परलनि आ धारा प्रवाह अपन घर आंगनक मैथिली मे लगभग आधा घंटा तक बजलाह। पूरा हाँल ताली सं गुंजायमान भ’ गेल। तैं पूर्वी चम्पारण सं महानंदाक तट आ नेपालक तराई सं गंगाक तटक बीच मे जे भाषा बाजल जायत छैक ओ शुद्ध मैथिली छैक। प्राथमिक कक्षा सं अनिवार्य मैथिली भाषा मे पढाई भेला सं सबटा गैप स्वतः समाप्त भ’ जेतैक। मैथिली जागरणक लेल नवतुरिया सभ जिला स्तर पर ग्रुप बनाऊ। मानैत छी समय क’ अभाव अछि मुदा एहि मे सं समय निकलय परत। ग्रुप बनैक त’ हमरो नाम द’ सकैत छी।
हे नवतुरिया जागू।
Nischit rup sa Bihar me Maithili sang sadyantra bhel achhi tahi dware Mithilak bibhinn jilak/kshetrak lok sabhak boli ke alag-alag naam del ja rahal chhaik, jakhan ke sabh Maithiliye thik.
bahut neek
neek article aich. Bihar ke education minister sa ai bare mein charch kara ke chahi.
Well analysed. I do support your view that what so ever one speaks is maithili. There is nothing like standarised maithily.