पटना । पद्मश्री उषाकिरण खान कहलथि अछि जे उपन्यास सोनदाइक सोहाग मिथिलाक स्त्रीक सामाजिक अध्ययनक जीवंत दस्तावेज थीक। ओ शनिदिन बिहार रिसर्च सोसायटीक सभागार में मैथिली साहित्य संस्थानक दिस स आयोजित इसमाद प्रकाशनक पहिल पुस्तक दयानंद मल्लिक रचित उपन्यास सोनदाइक सोहाग क लोकार्पण केलाक बाद समारोह कए संबोधित क रहल छलीह। पद्मश्री खान कलिथि जे एहि उपन्यास कए विस्तार देल जा सकैत छल, मुदा लेखक लग समयक अभाव रहल जाहि स इ नहि भ सकल, मुदा एहि उपन्यास कए कालखंड छोट नहि कहल जा सकैत अछि। ओ कहलथि जे उपन्यास कए कथावस्तु किछु ओहि कालखंड कए देखा रहल अछि आ किछु भविष्यक कल्पना अछि। मुदा एतबा जरुर कहबा लेल अछि जे इ उपन्यास एकटा जीवंत दस्तावेज अछि, किया त एकर पात्र हमर सबहक जीवन मे कतहु नहि कतहु भेटैत रहलीह अछि। पद्मश्री खान कहलथि अछि जे एकरा कालख्ंाड ओ अछि जखन मिथिला मे लड़की लेल आधुनिक शिक्षाक दुहरि खुलि रहल छल। किछु खास वर्ग स आम वर्ग क घर मे बेटी-बहिन कए पढेबाक सोच बनि रहल छल। लहेरियासराय मे स्कूल स्थापित भ चुकल छल। मुदा देखल जाये त संभ्रांत परिवार मे अपन कनिया कए आधुनिक समाजक योग्य बनेबाक प्रयास सदहुं स होइत रहल अछि। एहि उपन्यास मे सेहो इ देखा रहल अछि। पद्मश्री खान कहलथि जे मूलरूप स इ आत्मचर्चा अछि, मुदा रोचकता बनेबा लेल एकरा पत्राचार रूप मे लिखल गेल अछि, जे नीक लगैत अछि। उपन्यसक समीक्षा करैैत पन्ना झा कहलथि जे इ उपन्यास रोचक अछि, मुदा स्त्री कए पाछु ल जाइत अछि। ओ कहली जे स्त्री विमर्श लेल इ उपन्यास एकटा मीलक पाथर साबित होएत। समारोह क मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय क कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा कहला अछि जे मिथिलाक स्त्री मिथिला पंरपराक वाहक छथि। मिथिलाक स्त्री पर विमर्श दरअसल मिथिला पर विर्मश थीक। उपन्यास मे बहुत किछु एहन अछि जे आब समाज मे नहि देखा रहल अछि। हमसब अपन बच्चा कए किताब स दूर क रहल छी, इ एक प्रकार स ओकरा परंपरा स दूर करब अछि। श्री कुशवाहा कहला जे मिथिला मे आब कढाई, बुनाई बा अन्य एहन विधा जेकर जिक्र एहि उपन्यास मे अछि, लुप्तप्राय भ रहल अछि। एहन किताब हमरा लोकनि कए ओहि दिस सोचबा लेल सेहो बाध्य करैत अछि। एहि अवसर पर स्वागत भाषण करैत इंद्रकात झा कहला जे आइ सभागार मे जेहन आयोजन भ रहल अछि ओ एकटा नहि बल्कि कईटा सपना कए साकार क रहल अछि। एहि अवसर पर यूपीएससी में मैथिली विषय ल सफलता पेनिहारि मिथिलाक पहिल बेटी रजनी झा कए सम्मानित कैल गेल। रजनी कहलीह जे हुनका लेल इ क्षण भावपूर्ण अछि। ओ कहलीह जे मैथिली नहि त कमजोर विषय अछि आ नहि एकर पाठ्यक्रम छोट अछि। मातृभाषा रहलाक कारण मैथिली अन्य विषय स बेसी ग्रहण करबा योग्य हमरा लेल रहल। समारोह में राष्ट्रीय पुरस्कार स सम्मनित पहिल मैथिली फीचर फिल्म मिथिला मखान क सह अभिनेत्री प्रेमलता मिश्र कए सेहो सम्मानित कैल गेल। सभाक अध्यक्षता प्रो हेतुकर झा केलथि, जखनकि धन्यवाद ज्ञापन शिव कुमार मिश्र देलथि। सभाक संचालन भैरव लाल दास केलथि। सभा मे बासुकीनाथ झा, विवेकानंद, रमानंद झा रमन, कथाकार अशोक, रत्नेश्वर मिश्र, नाटककार कुणाल, नरेंद्र झा, डॉ पं भवनाथ झा, अमरनाथ झा, जयचंद्र मल्लिक, अमरनाथ चौधरी, पंचानन मिश्र, आनंद मोहन शरण, एसएन द्विवेदी, सुनील कुमार झा, बालमुकुंद पाठक, संजय बिहारी, पत्रकार पियूष मित्र, पत्रकार आशीष झा, वास्तुविद अरुण कुमार, स्पनिल सोमल आदि मैजूद छलथि।