पटना। नेताजी सुभाष चंद्र बोसक आत्मकथाक मैथिली अनुवाद पटना मे लोकार्पित भेल। एहि अवसर पर विधान परिषद सभापति पंडित ताराकांत झा कहला जे ओ एहि किताब कए अनुवाद कहब मुश्किल अछि। एहि मे मौलिकताक खुशबू विद्यमान अछि। पटनाक गांधी संग्रहालय मे स्व अंबिका नाथ मिश्र द्वारा लिखित ”एक भारतीय यात्री” नामक एहि किताब कए लोकार्पित करैत पं झा कहला जे नेताजी सन लोकक जिनगी आम लोक लेल उपलब्ध होएब एकटा पैघ गप अछि। ओ कहला जे मैथिली कए समाप्त करब असंभव अछि। एकर सतत विकास भ रहल अछि आ नव नव विधा मे सेहो एकर पहुंच तेजी स देखल जा रहल अछि। पं झा कहला जे इ दुखद अछि जे आजुक लोक लग इ जानकारी नहि अछि जे 1700- 1800 ई क आसपास अदालतक कार्रवाही सेहो मैथिली मे लिखल जाइत छल। ओ कहला जे इतिहास हमरा बहुत किछु बतबैत अछि आ नेताजी सन लोकक बारे मे पढब हरदम किछु सिखबाक मौका दैत अछि। ओ प्रकाशक स अनुरोध केलथि जे 1921-22 क बाद क जीवनी सेहो किताबक रूप मे प्रकाशित हेबाक चाही। ज्ञात हुए जे इ पुस्तक नेताजीक 1922 तक क जीवनी पर आधारित अछि। एहि अवसर पर विधासभाक अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी कहला जे अगर आजाद भारत कए किछु दिन लेल नेता जी क सेवा भेट गेल रहिते त आइ भारतक प्रशासनिक ढांचा किछु आर रहिते। एहि अवसर पर मैथिलीक विद्वान गोविंद झा सेहो अपन राय रखलथि। कार्यक्रम मे छत्रानंद सिंह झा”बटुक भाई”, रामानंद झा रमन समेत कईटा लोक शामिल छलाह। मंच संचालन लेखकक पुत्र आ प्रकाशक निर्भय मिश्र केलथि। इ पुस्तक एखन पटनाक बाजार मे उपलब्ध अछि।
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इतिहास हमरा इ सिख्बैत अछि जे हम सब इतिहास सं किछु नै सीखैत छि..ओना निक समाद भेटल…बहुत धन्यवाद..!!
धन्यवाद निर्भय भायकें जे कमला परिसरक ई काज जे बहुत पहिने भेल छल ओ प्रकाशित भेल। आब पाठक लोकनिक कर्त्तव्य अछि जे एहि पोथीकें अपन घर आनी आ पढ़ि ।