कुमुद सिंह / आशीष झा
इतिहास दोहरेबाक प्रयास कतहू इतिहास नहि भ जाए, इ शंका प्रबल भेल जा रहल अछि। बिहारक इ इतिहास रहल अछि जे एहि ठामक सोच कहियो जमीन पर ठीक स नहि उतरि सकल अछि। ताहि लेल बिहार स शुरू भेल कोनो काज आन ठाम सफल भ जाइत अछि मुदा बिहार मे ओ अपन वजूद लेल संघर्ष करैत रहैत अछि। चाहे ओ धर्मक स्थापना हुए या कोनो सामाजिक चेतनाक प्रयास। एहि क्रम मे ताजा उदाहरण एकटा सपना अछि जे टूटबाक कगार पर पहुंच चुकल अछि। नालंदा विश्वविद्यालयक खंडहर निश्चित रूप स बिहारक गौरवशाली इतिहासक गवाह अछि आ जखन एहि ठाम एकटा नव विश्वविद्यालय खोलबाक सपना देखल गेल त भारतीय इतिहास कए पुनर्लेखन जेकां बुझायल। नालंदा कए खंडहर बनेबा लेल जिम्मेदार बख्तियार क नाम पर राखल गेल शहर बख्तियारपुर क नीतीश जखन खंडहर मे जान फूंकबा लेल आगू एलाह त इ विश्वास प्रबल भेल जे इतिहास अपना कए दोहरा रहल अछि। ओना त इ काज बहुत दिन पहिने भ जेबाक चाही, मुदा एहि दिस ध्यान गेल पूर्व राष्टपति एपीजे अब्दुल कलाम क आ ओ इ सपना हर बिहारवासीक आंखि मे देबाक प्रयास केलथि जे बिहारक गौरवशाली इतिहास कए वर्तमान संवारबा लेल उपयोगी मानि रहल छल। डॉक्टर कलाम क इ ख़ास पहल, परिकल्पना आओर दिशा-दृष्टि क आधार पर बिहार मे नीतीश सरकार नालंदा इंटरनेशनल युनिवर्सिटी (एनआईयू) खोलबा लेल प्रयास शुरू केलथि आ 446 एकड़ ज़मीन समेत अन्य बुनियादी सूविधा समय स पूर्व उपलब्ध करा देलथि। इ परियोजना एक प्रकार स बदलैत या कहू त गौरवशाली अतीत दिस लौटेत बिहारक पहचान बनि चुकल अछि। मुदा एकरा विडंबना कहल जा सकैत अछि जे आधारभूत संरचना तैयार हेबा स पूर्व डॉक्टर कलाम क सपना आ बिहार क इ ‘ज्ञान केंद्र’ कई प्रकारक आरोप आ सवाल स घेरायल जा रहल अछि। नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करबाक लेल तेज गति स चलि रहल रथ क चक्का अचानक एहन दलदल मे फंसी गेल अछि जाहि स एकर मुकाम तक पहुंचबा मे केतबा दिन आर लागत से कहब मुश्किल भ गेल अछि। महाभारत मे कर्ण क रथक टूटल चक्का कए स्मरण करैत इ डर मन मे बैसल जा रहल अछि जे बिहार अपना कए गौरवशाली इतिहास कए दोहरेबाक प्रयास मे कहीं विफल न भ जाए।
एहि सब कारण स आहत डॉक्टर कलाम अपन दामन पर कोनो छींटा पडबा स बचेबा लेल भलमनसाहत मे भारी मन स एनआईयू कए नमस्कार कहि देलथि अछि। जाहि प्रकार स एहि प्रयासक अग्रदूत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अपना कए एहि विश्वविद्यालय स अलग करि लेलथि अछि ओ कोनो नजरि स शुभ संकेत नहि अछि। सबस दुखद आ चौंका दैत अछि एहि विषय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क टिप्पणी। सब जनैत अछि जे कलाम क सपना कए जमीन पर उतारबाक लेल नीतीश एहि विश्वविद्यालय लेल व्यक्तिगत स्तर पर बहुत प्रयास केलथि आ हर नजरि स एकरा लेल मानक तय केलथि। फेर ‘नालंदा इंटरनेशनल युनिवर्सिटी’ नाम स बनि रहल एहि महत्वाकांक्षी विश्वविद्यालय क प्रथम कुलपति क रूप मे दिल्ली क एकटा कॉलेज क महज रीडर डॉक्टर गोपा सब्बरवाल क नियुक्ति कोना भ गेल। आइ इ सवाल एहि परियोजनाक मौतक कारण बनि रहल अछि आ कलाम कए एहि परियोजना स हटबाक मुख्य कारण बनल अछि। सवाल अछि जे नीतीश एहि मसला पर चुप किया छथि। नीतीश कुमार एहि मामला मे अपन पल्ला किया झाडि रहल छथि। बेर-बेर पूछला पर ओ केवल इ कहला जे आब एनआईयू क सबटा दायित्व केंद्र सरकार पर अछि आ शुरुआती ज़रूरत क अनुसार राज्य सरकार संस्थान कए ज़मीन या अन्य सहयोग द देने अछि ताहि लेल मौजूदा विवाद स राज्य सरकार क कोनो लेना-देना नहि अछि। पिछला सात साल मे पहिल बेर नीतीश एहि परियोजना कए अपना स अलग केलथि अछि। जे परियोजना हुनकर सबस महत्वाकांक्षी परियोजना छल ओकरा केंद्र क जिम्मा देबाक नीतीश क मजबूरी बुझबा मे नहि आबि रहल अछि।
एहि विषय पर वरिष्ठ पत्रकार केके सिंह सेहो कहैत छथि जे के नहि जनैत अछि जे पहिने प्रत्यक्ष आ बाद मे एनके सिंह क ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप स एहि पूरा प्रकरण मे नीतीश कुमार अपन अहम भूमिका निभा चुकला अछि। एहि लेल मेंटर ग्रुप द्वारा कैल गेल कोनो नियुक्ति नीतीश कुमार क सहमति लेने बिना नहि भ सकैत अछि।
आखिर बिहार आ कलाम क शर्त पर नीतीश कुमार एहन फैसला किया लेलथि। नीतीश कुमार एहि विश्वविद्यालय कए विश्वस्तर पर बनेबाक गप करैत रहलाह अछि आ शुरू स एहि पर काज केलथि अछि। एकर सबस पैघ उदाहरण नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री डॉक्टर अमर्त्य सेन क अध्यक्षता मे एहि विवि लेल मेंटर ग्रुप बनाउल गेल, जाहि मे देश-विदेश क ‘चर्चित विद्वान’ शामिल कैल गेलाह। नीतीश कुमार अपने त एहि ग्रुप क सदस्य नहि भेलाह मुदा पूर्व नौकरशाह एनके सिंह कए बतौर सदस्य एहि मे शामिल केलाह। निश्चित रूप स इ मंडली एकटा विश्व स्तर क संस्थान बनेबाक योग्यता रखैत अछि। मुदा जाहि संस्थान क निर्माण लेल विश्वस्तर विद्वान मंथन कए रह छथि ओहि संस्थानक प्रथम कुलपति महज रीडर रेंक क कोना भ सकैत अछि। आखिर कौन योग्यता क आधार पर मेंटर ग्रुप दिल्ली क लेडी श्रीराम कॉलेज मे समाजशास्त्र क रीडर डॉक्टर गोपा सब्बरवाल कए प्रति माह पांच लाख टका स बेसी दरमाहा पर एनआईयू क कुलपति नियुक्त करि लेलक? इ फैसला किया और कोना भेल इ जवाब पूरा बिहार आइ मांगि रहल अछि आ सबहक आंगुर एनआईयू क मेंटर ग्रुप यानी सलाहकार मंडल दिस उठल अछि। एनआईयू क मेंटर ग्रुप पर इ आरोप सेहो अछि जे ओ विदेशी आर्थिक सहायता-राशि बटोरबा मे आ पठन-पाठन क विषय तय करबा मे अपारदर्शी आ मनमानी भूमिका निभा रहल अछि। किछु लोक प्रोफेसर अमर्त्य सेन आओर डॉक्टर कलाम क बीच अहम क टकराव सेहो मानैत अछि। मुदा एहि प्रश्न क उत्तर देबा मे नीतीश सेहो युधिष्ठिर जेकां चुप भ जाइत छथि जे आखिर शैक्षणिक जगत मे डॉक्टर सब्बरवाल क एहन कोन पहचान अछि आ हुनका लग एहन कोन उच्चस्तरीय योग्यता अछि जेकर आधार पर हुनका विश्व स्तर क एहि विशिष्ट विश्वविद्यालय मे प्रथम कुलपति पद पर एतबा ऊंच दरमाहा द कए बैसाउल गेल अछि। तकनीकी रूप स जरूर एहि पद लेल कोनो आधार तय नहि अछि किया जे एहि पद लेल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित योग्यता सन कोना शर्त एनआईयू पर लागू नहि होइत अछि। एकर कारण अछि जे एक साल पूर्व केंद्र सरकार द्वारा बनाउल गेल एकटा अलग क़ानून क तहत एहि विश्वविद्यालय क गठन भेल अछि। मुदा गौर करबाक गप इ अछि जे सम्बंधित केन्द्रीय अधिनियम कए राष्ट्रपति क मंज़ूरी भेटला स पहिने डॉक्टर सब्बरवाल क नियुक्ति मेंटर ग्रुप करि देलक, जखकि एहि पद लेल नियुक्ति विज़िटर क मंज़ूरी स हेबाक चाही। जाहि पद पर डा कलाम कए नियुक्त करबाक घोषणा भेल छल। एतबे नहि सब्बरवाल दिल्ली विश्वविद्यालय क एकटा एसोसियेट प्रोफ़ेसर आओर अपन सखि अंजना शर्मा कए साढ़े तीन लाख टका मासिक दरमाहा पर एनआईयू क विशेष कार्य पदाधिकारी (ओएसडी) नियुक्त करवा लेलथि। सवाल अछि जे जखन देशक सामान्य विश्वविद्यालय लेल यूजीसी क नियमानुसार कुलपति पद पर प्रोफ़ेसर क रूप मे कम-स-कम दस सालक अध्यापन-अनुभव जरूरी अछि त एकटा विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय लेल डॉक्टर सब्बरवाल प्रोफ़ेसर स नींचाक रैंक मे रीडर रहैत कोना चयनित भ गेलीह।
कुल मिला कए डा कलाम क सपना कए एनआईयू क मेंटर ग्रुप या गवर्निंग बोर्ड अपन स्वार्थ सिद्ध करबा मे खत्म कए रहल अछि। बिहार संग एक प्रकार स छल भ रहल अछि आ बिहार कए गौरवशाली इतिहास दिस देखबा स रोकल जा रहल अछि। मेंटर ग्रुप एखन धरि देश-विदेश मे कईटा बैसार केलक अछि जाहि पर कुल दो करोड़ स बेसी टका खर्च भ चुकल अछि। बावजूद एकर एहि विश्वविद्यालय मे पढाई की आ कहिया स होएत एकर कोनो ब्योरा नहि उपलब्ध अछि।
पढ़ाई क विषय पर सेहो विवाद ढार भ चुकल अछि। नालंदा विश्वविद्यालय क शैक्षणिक विशिष्टता मे शामिल बौद्ध साहित्य-दर्शन स जुडल अध्ययन कए मेंटर ग्रुप क शासी निकाय द्वारा एक प्रकार स निकाली देल गेल अछि। ‘नालंदा महाविहार’ कए एहि ठाम पठन-पाठन स हटा देबाक एहि प्रयास स क्षुब्ध बोद्ध विरोध करि रहल छथि। पिछला जुलाई मे अंतरिम शासी निकाय क बैसार नालंदा मे भेल छल। एकर बाद राजभवन मे राज्यपाल देवानंद कुंवर क अध्यक्षता मे नालंदा महाविहार क बैठक मे कईटा बौद्ध विद्वान मौजूद छलाह। हुनकर राय छल जे बौद्ध साहित्य कए लोकप्रिय बनेबा क तमाम उपाय एहि ठाम कैल जाए। नालंदा नवनिर्माण महाविहार स केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान (लेह) आ वाराणसी क केंद्रीय तिब्बत साहित्य अध्ययन संस्थान जुडल अछि, मुदा, बौद्ध विद्वान स कोनो राय लेने बिना शासी निकाय विषय तय करि लेलक। एहन गलत डेग तखन उठाउल गेल जखनकि 28 जून 2007 कए तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी शासी निकाय क अध्यक्ष डा. अमर्त्य सेन कए पत्र लिख कए साफ करि देने छलाह जे नालंदा विश्वविद्यालय कए बुद्धिस्ट आ सेकुलर लर्निग क केंद्र क रूप मे विकसित करबाक अछि। एकरा लेल बौद्ध साहित्य क संवर्द्धन मे दिलचस्पी लेनिहार देशक सक्रिय भागीदारी क सेहो गप कहल गेल छल। मगर एहि दिशा मे कोनो काज नहि भेल।
दोसर दिस एनआईयू कहबा लेल इ घोषणा केने अछि जे वर्ष 2013 तक पढ़ाई शुरू भ जाएत, मुदा काजक गति देख विश्वास करब मुश्किल अछि। एखन धरि बस दिल्ली क आरकेपुरम मे बिहार सरकार ढाई लाख टका मासिक किराया पर मकान उपलब्ध करा देने अछि जाहि मे एनआईयू क कार्यालय चलि रहल अछि। सच पूछू त नालंदाक नाम पर दिल्ली की करि रहल अछि आ नालंदा एखनो अपन उद्धार क बाट किया ताकि रहल अछि। एहन मे युधिष्ठिर जुनि बनू नीतीश, बाजू आखिर मामला की अछि।
बहुत नीक प्रयास
hamra sabh ke ummeed chhal je Nalanda University kono tarhak rajneeti sa door rahat muda Bharat me bina rajniti ke kichhu sambhav nahin achhi.
yadi atisayok ti bujhay ta maf karb.
Jahiya Nalanda Viswavidyalya ke renascence ke bat sunba men ayal chhal tahiya bar besi khusi, garv aur jigyasa jagal chhal. Karan, Sarkar dis se lel gel adhiktar faisala sab se kiyo ne kiyo marmahat hoit chhathi. Ohi kram me Sri N.K. Singh ke article “Renascence of Nalanda” padhba lel bhetal. Sang- sang ekta aas jagal je aab Bihari hebak garv bhersak bujhi sakab. Hamhun ohi dharna ke man wala chhi je atit Biharak garv ke chhal muda wartman me ehan kichhu nahi jahi par garv kari. Nalanda se sambandhit sab ghatna par jigyasu najari rakhalahun. Jena-jena ghatnakram badhait gel, man me asanka aa bhay uttapann hua lagal, kahin “Air castle” ne bha jay. Dr. Kalam aa Dr. Sen ke bich matbhinnata, VC ke niyukti, videsh me hoi bala ekar baisar, aa antatah Nitish Ke chuppi. Hamara asanka ke prabal ka rahal achhi. Bihar me rahnihar ahi ke virudhh me kono awaj nahi lageta. Hunka sab ke Kisanganj me Aligarh University ke virodh aa Gadahpachisi bina bital yuvak-yuvati ke apaharn ke samarthan aa virodh se fursat kata achhi. Bihar me prabhawi print media me seho ehi lel besi kalam nahi chalal achhi. Itihas ta apana ke awasya dohraot, muda Naalanda ke sthapna nahi, loot aa bidhwans ke lel. E vinash bhersak Bakhatiyar Khilji ke akraman se paigh hoyat.