भागलपुर। भागलपुर स भागल बंगाली लेल इ समाद विशेष रूप स देल जा रहल अछि। पिछला 15 साल मे भागलपुर क संस्कृति मे जे बदलाव आयल छल, ओ धीरे-धीरे खत्म भ रहल अछि। एहि बेर फेर पुरान रूप मे लौटेत भागलपुर देखि मन गदगद भ गेल। स्थानीय ब्राम्हण टोला स एकर शुरुआत भेल अछि। पूरा समाज लेल एहि ठाम स्थापित बड़ी काली महरानी क विसर्जन शोभा यात्रा अइ प्रेरणा क स्रोत बनल अछि। एहि ठाम क पूजा समिति स जुड़े लोक अतीत क परम्परा कए आइ पैर अक्षुण्ण बनेबाक काज केलथि अछि। एहि कारण स विसर्जन शोभा यात्रा मे न त कोनो अश्लील आ फूहड़ गीत बजल आ न शराब क नशा मे धुत भ कोनो भक्त देवी क सामने नृत्य केलक। एहि बेर पुरान परम्परा क अनुकूल भक्त मां काली कए नम आंखि स सोमदिन विदाई केलक। एहि स पूर्व रविदिन देर राति श्रद्धालु देवी कए कंधा पर उठाकए मां काली क जयकारा क संग सबौर बाजार क्षेत्र मे विसर्जन शोभा यात्रा निकाललक। एहि दौरान सड़क क दूनू दिस भारी संख्या मे भक्तगण अपन डबडबाइल आंखि स नमन करि देवी कए अश्रूपूर्ण विदाई द रहल छलाह।