पटना । राज्य सरकार भारत क प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद क समाधि कए राष्ट्रीय मानक क पर्यटन स्थल क रूप मे विकसित करबा लेल आखिरकार सक्रिय भेल। एहि क्रम मे समाधि स्थल क बगल मे स्थित विद्युत शवदाह गृह (बांसघाट) कए हटेबाक प्रक्रिया शुरू भ गेल अछि। मुख्य सचिव स्तर पर भेल बैठक मे सहमति बनल जे स्वाधीनता आंदोलन क आलोक मे इतिहास क चमक स मंडित एहि स्थल कए एहि प्रकार स विकसित कैल जाए जे शब्द भले चुक जाए, तामीर बजबा लेल तैयार रहे। पर्यटन विभाग क प्रधान सचिव रश्मि वर्मा क कहब अछि जे दिल्ली मे जेना शांति वन आ राजघाट कए विकसित कैल गेल अछि आया ताहि तर्ज पर पटना मे देशरत्न क समाधि स्थल कए पर्यटन केन्द्र क रूप मे विकसित कैल जा रहल अछि। पर्यटन विभाग कए समाधि स्थल क सौंदर्यीकरण क लेल प्रथम चरण मे ढाई करोड़ भेट चुकल अछि। समाधि स्थल क पार्क कए गंगा दिस खंभा (पिलर) पर आओर विस्तारित(चौड़ा) करबाक योजना अछि। हालांकि गंगा करीब तीन किलोमीटर दूर छथि, तथापि विस्तारित पार्क स पूरा पाट क संग गंगा क सौंदर्य आंखि मे भरल जा सकत। समाधि स्थल क कैम्पस मे एकटा खूबसूरत पार्क बनेबाक क योजना अछि जे राति मे रंगीन रोशनी क द्वीप मे बदलि जाएत। लोक क बैसबा लेल आधुनिक सुविधा क बेंच लागत। पार्क क संग छोटसन कैफेटेरिया आ प्रसाधन क निर्माण क सेहो योजना अछि। समाधि स्थल क पार्क सौ फुट चौड़ा होएत। समाधि स्थल स दक्षिण नगर निगम क खाली पड़ल भूमि मे सेहो पार्क बनेबाकविचार अछि। बता दी जे समाधि स्थल क वर्तमान स्थिति बेहद दयनीय अछि। 28 फरवरी, 1963 कए देशरत्न क देहावसान भेल आ पटना क बांसघाट पर गंगा नदी क कछैर मे दाह संस्कार कैल गेल। एक सालो बाद तीन दिसंबर, 1985 कए तत्कालीन मुख्यमंत्री बिन्देश्वरी दूबे आ तत्कालीन राज्यपाल वेंकेट सुबेश्या समाधि स्थल क कैम्पस मे पार्क क निर्माण करेने छलाह, मुदा एकर स्थिति मे कोनो सुधार नहि भेल। उम्मीद अछि जे हुनकर समाधि स्थल पर लागल दोहा- ‘हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहियेÓ, लोक फेर पढि़ सकत।