नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्र मे शिक्षा आ स्वास्थ्य क स्थिति अगर सुधरबाक अछि, त ग्रामीण स्कूल आ अस्पताल क प्रबंधन मे स्थानीय नागरिक क हिस्सेदारी बढ़ाब पड़त। इ कोनो कहल-सुनल गप नहि अछि, बल्कि नागालैंड मे इ फॉर्मूला सौ फीसदी सही साबित भ चुकल अछि। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जेहन राज्य मे त इ तरीका कए आजमा कए सार्वजनिक शिक्षा आ स्वास्थ्य योजना क कायाकल्प कएल जा सकैत अछि। किछु एहने विचार वाला सुझाव पेट्रोलियम आ प्राकृतिक गैस सचिव आरएस पांडे अपन नव पुस्तक कम्यूनाइजेशन मे देलथि अछि। इ पुस्तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कए भेंट क गेल अछि। बिहार क बेतिया मे जन्मल पांडे 1972 क नागालैंड कैडर क आईएएस अधिकारी अछि। ओ इ पुस्तक नागालैंड मे सामुदायीकरण क अपन अनुभव क आधार पर लिखलथि अछि। नागालैंड सरकार मे मुख्य सचिव रहैत पांडे ग्रामीण क्षेत्र क स्कूलों आ अस्पताल क रोजाना क काज मे ग्रामीण क भूमिका निर्धारित केलथि। शिक्षक आ डॉक्टर क उपस्थिति स ल कए हुनकर वेतन आवंटन क जिम्मेदारी ग्रामीण समिति कए द देल गेल। एहि स इ सरकारी सुविधा क स्तर मे बेहद व्यापक सुधार देखबाक भेटल। पांडे क मुताबिक इ व्यवस्था स हर वर्ग (सरकार, समुदाय, कर्मचारी) कए केवल लाभ होइत। पांडे कए सामुदायिक सहभागिता पर हुनकर प्रयास आ काज क लेल वर्ष 2007 मे प्रधानमंत्री क पुरस्कार देल गेल छल। एकर बाद वर्ष 2008 मे हुनका सार्वजनिक सेवा क लेल संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार स सेहो नवाजल गेल छल।