“हम एकटा एहन तकनीक आओर ओकरा ओकरा लेल डिजाइन तैयार केलहुं अछि जाहि स अहां मानव मल स बिजली पैदा करि सकैत छी। एखन धरि मवेशी क गोबर पर आधारित बॉयोगैस संयंत्र क बारे मे अपने लोकनि सुनने आ देखने होएब। इ मानव मल पर आधारित बॉयोगैस स संभव अछि। एकरा लेल हम एकटा जेनरेटर विकसित केलहुं अछि जाहि मे डीजल क जरूरत नहि अछि। इ 100 फीसदी मानव मल स उत्पन्न बॉयोगैस पर काज करि रहल अछि।”
सुलभ संस्थापक आ स्टॉकहोम वाटर प्राइज विजेता डा विंदेश्वर पाठक
नई दिल्ली। कियो ठीक कहल क अछि जे जखन कियो गंदगी क परिभाषा बदलबाक ठानि लैत अछि तखन जे परिवर्तन अबैत अछि ओहि स समाज कए सबस बेसी भला होइत अछि। किछु एखने काज करबा मे लागल छथि मिथिला पुत्र विन्देश्वर पाठक। स्वच्छता क क्षेत्र मे दुनियाक अग्रणी संगठन सुलभ इंटरनेशनल इ तकनीक विकसित केलक अछि जाहि स अहां शौचालय क टंकी मे राखल मल स एतबा बिजली पैदा करि सकैत छी जाहि स अहांक घरक लगभग सबटा जरूरी काज पूरा भ सकैत अछि।
अपन एहि अदभुत तकनीक क सफल प्रयोग पर सुलभ इंटरनेशनल क संस्थापक डाक्टर विंदेश्वर पाठक कहला अछि जे हुनक संस्था एकटा एहन तकनीक विकसित केलक अछि जाहि स मानव मल स भरपूर बिजली पैदा कैल जा सकैत अछि। ओ कहला स एहि तकनीक पर बहुत दिन स शोध भ रहल अछि मुदा इ कहबा मे खुशी भ रहल अछि जे आखिरकार एहि तकनीक क सफल प्रयोग करि लेल गेल अछि। सुलभ अपन पालम स्थित कार्यालय क एकटा सार्वजनिक
शौचालय मे जेनरेटर स्थापित केलक अछि, जे मानव मल स बिजली उत्पन्न करि रहल अछि। एहि जेरनेटर क बिजली उत्पादन क्षमता 3.5 केबी अछि। जाहि स 30 यूनीट तक बिजली पैदा भ रहल अछि।
डॉ. पाठक कहला जे एहि तकनीक क सबस पैघ विशेषता इ अछि जे एहि प्रणाली क तहत मानव मल कए फ्लश क पानी क संग बॉयोगैस संयंत्र तक पठेबाक व्यवस्था कैल गेल अछि। एहि मे मल कए मैन्युअल तरीका स देबाक जरूरत नहि अछि।
ओ कहला जे बॉयोगैस कए विभिन्न उदेश्य क लेल प्रयोग होइवाला एकटा बहुउदेश्यीय बॉयोगैस संयंत्र क डिजाइन सेहो तैयार कैल गेल अछि, जेकरा सार्वजनिक शौचालय स आसानी स जोडल जा सकैत अछि।
ओ कहला जे इ तकनीक स बनल बिजली क प्रयोग भोजन बनेबा लेल, प्रकाश आओर बिजली स जुड़ल अन्य काज क लेल कैल जा सकैत अछि। बॉयोगैस संयंत्र मे बहुत सामान्य विधि स रंगरहित, गंधरहित आओर पैथोगन मुक्त गैस तैयार कैल जाइत अछि। एहि बॉयोगैस संयंत्र कए हाउसिंग कॉलोनी या कोनो बहुमंजिला मकान वाला सोसाइटी मे आसानी स स्थापित कैल जा सकैत अछि।
खुलल मे शौच कए लकए स्वास्थ्य संबंधी ढेर बीमारी होइत अछि। एहन मे मानव मल स बॉयोगैस पैदा करबाक एहि तकनीक क पैघ स्तर पर प्रयोग कैल जा सकैत अछि। खासकए सार्वजिनक शौचालय स तैयार कैल गेल बॉयोगैस क ढेर फायदा अछि। एहि स्थान पर बॉयोगैस डाइजेस्टर स्थापित करि स्वच्छता आ सामुदायिक स्वास्थ्य क क्षेत्र मे उल्लेखनीय लाभ हासिल कैल जा सकैत अछि।
गौरतलब अछि जे सुलभ एसईटी (सुलभ बॉयोगैस प्लांट इफ्यूलेंस ट्रिटमेंट) क नाम स ढेर प्रयोग करि रहल अछि, जाहि स बॉयोगैस संयंत्र कए आओर बेसी उपयोगी बनाउल जा सकए। एहि प्रयोग क तहत सुलभ पैथागॉन मुक्त बॉयोगैस पैदा केलक अछि, जाहि मे बॉयोकैमिकल ऑक्सीजन मौजूद रहैत अछि, जेकरा पानी मे आसानी स छोडल जा सकैत अछि। एहि स जल प्रदूषण क खतरा नहि क बराबर रहैत अछि।
उल्लेखनीय अछि जे सुलभ संस्थापक कम दाम पर शौचालय क शुरुआत बिहार क पटना स केने छथि, जे सुलभ शौचालय क नाम स देश भरि मे लोकप्रिय अछि। एकर प्रयोग हर दिन 10 मिलियन लोक करैत अछि। एखन धरि सुलभ इंटरनेशनल लगभग 7,500 सार्वजनिक शौचालय तैयार केने अछि। शौचालय क तहत स्वच्छता संबंधी सुविधा मुहैया करेबा स डॉ. पाठक समाज मे अलख जगा रहल छथि। सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन स्वच्छता क क्षेत्र मे क्रांति क मिसाल कायम केने अछि। संगहि इ लोकक सोच मे सेहो बदलाव अनबाक कोशिश केलक अछि।