सुनील कुमार झा
नई दिल्ली। टैगोर इन मैथिली थियेटरक सोमदिन अंतिम दिन छल, थकान सबहक चेहरा पर नज़र आबि रहल छल मुदा जोश मे कोनो कमी नहि छल। नियत समय स पहिने सब गोटे “मुक्तधारा ऑडिटोरियम” मे अपन सीट ग्रहण करि चुकल रहथि। आयोजन छल पंचकोशी सहरसा द्वारा आयोजित नाटक “व्यवस्था” क मंचन क। ओना तकनीकी कारण स नाटक किछु देरी स शुरू भेल मुदा अमित कुमार जयजय आ रूपमश्री क अभिनय दर्शक क उत्कंठा क शांत कए देलक। दहेजक व्यथा आ गरीबक बेटी सासुर मे कोना कोन-कोन कष्ट पाबैत अछि सबटा देखा गेल एहि नाटक मे। लागल जेना मिथिलाक गाम घर मे बैसल छी आ दलान परहक खिस्सा सुनी रहल छी। दहेज़ कोना गरीबक माथक बोझ भ जाएत अछि आ कोना गरीब एहि बोझ कए ल क समस्त जिनगी जीबैत अछि, से एहि मे देखा गेल।
रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित आ अमित कुमार जयजय द्वारा रूपांतरित एहि नाटकक निर्देशन उत्पल झा केलथि। कलाकारक अभिनय स नाटक मे आर निखार आबि गेल। देरी स शुरू भेल एहि नाटक मे निरुपमा बनल रूपमश्री क नोर दर्शक कए तामल शांत क देलक। हँसैत-हँसैत नोर पहिल बेर देखार मे आयल त दर्शक सब स्तब्ध भ गेलाह। ज्ञात हुए जे रूपम मैलोरंग स सेहो सम्मानित भेल छथि।
नाटकक निर्देशन लाजबाव छल। उत्पल झा बहुत दिन स मैथिली आ हिंदी रंगमंच पर अपन उपस्थिति दर्ज करा रहल छथि आ हिनकर नाटक मे गाम घरक झलक भेटैत अछि आ अपने सहो गाम घर मे साल मे एक बेर जरुर नाटक मंचित करैत छथि। एहि अवसर पर मैलोरंग क अध्यक्ष देवशंकर नवीन कहलथि जे उत्पल झा मैथिली स जुडल छथि आ निरंतर अपन नाटक द्वारा अपन उपस्थिति कए दर्ज करवैत रहैत छथि से हमरा सबहक लेल गौरव कए गप अछि। एहि अवसर पर महेंद्र मलंगिया पंचकोशी सहरसा क टीम कए मैलोरंग क प्रतीक चिन्ह द कए सम्मानित केलथि। एहि मौका पर ओ कहलथि जे उत्पल झाक अनुराग अखनो गाम दिस अछि, मैथिल समाजक लेल ई बड़ पैघ गप अछि।
आयोजनक अंतिम दिन रविन्द्र नाट्य मे काबुलीबाला क मंचन नहि भ सकल। एहि लेल जरूर सब कए दुख छल। मुदा आयोजक सह निर्देशक प्रकाश झा क ईमानदारी स इ गछब जे ओ अपन अभ्यास स अपने संतुष्ट नहि छलाह ताहि लेल एहि नाटकक मंचन नहि भ सकल मैथिली नाटकक उच्च गुणवक्ता कए देखबैत अछि। ओना प्रकाश झा इ कहला अछि जे जल्दिये सबहक बीच एहि नाटक क मंचन कैल जाएत। अंत मे प्रकाश झा सब गोटे कए धन्यवाद ज्ञापन कय कार्यक्रम समाप्ति क घोषणा केलथि।