मिथिला महोत्सव २०१२ केर उद्घाटन
रूपेश
कोलकाता| मैथिल केर तीर्थ स्थली कोलकाता मिथिलामय रहल. चिरप्रतीक्षित मिथिला महोत्सव केर उद्घाटन आइ (रविदिन, २९ जुलाइ, २०१२) ऐतिहासिक महाजाति सदनक मुख्य प्रेक्षागृह मे भेल. कार्यक्रमक उद्घाटन मैथिल प्रेमी ओ केंद्रीय राज्यमंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय दीप प्रज्ज्वलित क’ कयलनि. कोलकाता मे पहिल बेर ९ दिवसीय मिथिला महोत्सव केर आयोजन कयल गेल अछि. एकर उद्घाटन कें ल’ प्रवासी मैथिल लोकनि मे बहुत बेसी उत्साह छल. प्रेक्षागृह मे विशाल संख्या मे दर्शकक उपस्थिति एकर गवाही द’ रहल छल. समारोह तीन सत्र मे विभक्त छल. पहिल सत्र मे उद्घाटन ओ पाहुन लोकनिक अभिभाषण छल, दोसर सत्र मे सांस्कृतिक ओ पारंपरिक नृत्य-संगीत केर कार्यक्रम छल ओ अंतिम सत्र मे विद्यापति-उगना प्रसंग पर भाव-नृत्य केर आयोजन कयल गेल छल.
उद्घाटन-अभिभाषण:
प्रथम सत्र मे मंचासीन छलाह मैथिली अकादमी, पटना केर चेयरमैन कमला कान्त झा, गीतेश शर्मा (वरिष्ठ साहित्यविद), तारकेश्वर मिश्र (स्थानीय संपादक, प्रभात खबर), सुरेन्द्र सिंह (संपादक, सन्मार्ग), कामदेव झा (मैथिल सेवी), जुगल किशोर झा (मैथिल सेवी ), भोगेन्द्र झा (शिक्षक), स्मिता बक्शी (स्थानीय विधायक) ओ सुदीप बंद्योपाध्याय (केंद्रीय राज्य मंत्री) ओ अन्य लोकनि.
अभिभाषणक क्रम मे सुदीप बंद्योपाध्याय मैथिली ओ मिथिला कें यथासंभव सहयोग केर प्रतिबद्धता जतओलनि. ओ कहलनि मैथिली ओ मिथिला केर लोक कें ओ अपन घरक लोक बुझैत छथि. केंद्र सं ल’ बंगाल धरि प्रभाव मे हुनक दल अछि. ज्ञातव्य अछि जे बंद्योपाध्याय मैथिली कें आठम अनुसूची मे शामिल करयबा मे महत्वपूर्ण भूमिका निमाहने छलाह. स्थानीय विधायक स्मिता बक्शी सेहो सहयोगक प्रतिबद्धता दोहरओलनि. गीतेश शर्मा, तारकेश्वर मिश्र ओ सुरेन्द्र सिंह सेहो मिथिला महिमा ओ जनबल पर जोर देइत वर्तमान ओ भविष्य निर्माणक बात कहलनि. कमला कान्त झा अपन चोटगर मैथिली वक्तव्य मे शायरी केर छउंक लगओलनि आ मैथिली कें रोजी-रोटी केर भाषा बतओलनि. अंत मे महोत्सवक आयोजक मिथिला विकास परिषद् केर अध्यक्ष अशोक झा अपन ओजस्वी वक्तव्य रखलनि. ओ कहलनि जे मैथिली-मिथिला हेतु परिषद् मात्र कोलकाता मे नहि अपितु मिथिला मे जा सेहो अलख जगबैए. कार्यक्रमक बीच मे परिषद् केर काज-राज ओ उपलब्धि विषयक चारि पृष्ठक विवरणिका बाँटल गेल.
ध्यातव्य अछि जे एही मध्य सुदीप बंद्योपाध्याय द्वारा मिथिला विकास परिषद् केर स्मारिका केर विमोचन सेहो कयल गेल.
सांस्कृतिक ओ पारंपरिक नृत्य-संगीत:
दोसर सत्र मे लोकगीत ओ नृत्य अनुपम प्रस्तुति कयल गेल. जाहि मे झरनी, लगनी, झिझिया, डोमकछ, जट-जटिन आदि छल. ई प्रस्तुति प्रवासी मैथिल दर्शक लोकनिक खूब प्रशंसा बटोरलक. प्रशिक्षित बंगाली कलाकार सभ द्वारा मिथिलाक लोक-नृत्य केर दुर्लभ प्रस्तुति भेल.
विद्यापति-उगना प्रसंग पर भाव-नृत्य :
कखन हरब दुःख मोर केर बहुत नीक भाव प्रस्तुति कयल गेल. मिथिला विकास परिषद् ओ मैथिल दर्शक हेतु ई नव नहि किन्तु बारम्बार देखय योग्य कथा ओ प्रसंग थिक विद्यापति-उगना. एहि मे गंगा प्रसंग सेहो जोडल गेल जे एकरा आओर बेसी रोचक बना देलक.
मिथिला महोत्सव केर उद्घाटन समारोह केर सफल आयोजन आ एक उदारहण देखलक मैथिल ओ कलकत्ता. महोत्सवक अगिला कार्यक्रम १२ अगस्त कें महाजाति सदन केर संयुक्त भवन प्रेक्षागृह मे ‘गीतगाइन प्रतियोगिता’ होयत. एहि मे विजय भेल तीन प्रतिभागी कें पुरस्कृत कयल जायत. लोकप्रिय मंच ओ फिल्म कलाकार रामसेवक ठाकुर केर उद्घोषणा एहि कार्यक्रम मे चारि चान लगओलक.
चित्र साभार- भास्कर झा
बड्ड नीक रिपोर्टिंग। रुपेश के धन्यवाद आर हमर शुभकामना। सर्व-सूचना-पूर्ण रिपोर्ट।
Long Live Maithili! Long Live Mithila!
Bahut bahut haardik badhaai Kolkata ke!!
Harih Harah!!