पग पग पोखरि मांछ मखान..मिथिलाक पहचान रहल पोखरि केवल माछ आ मखान लेल नहि बल्कि आब पेयजल लेल सेहो आवश्यक भ गेल अछि। दरभंगा सन शहर स गायब होइत पोखरि आ चापाकल स अबैत आर्सेनिक जल क शिकायतक बीच सुलभ जलक उपलब्धता क समाद बहुत रास समस्याक एक संग समाधान द रहल अछि।
सुलभ इंटरनेशनल दरिभंगामे ‘सुलभ जल’ नामसँ एकटा परियोजनाक शुभारंभ कएलक। अहि परियोजना सँ पोखरिक गन्दा पानिकें स्वच्छ पेयजलमे बदलल जाएत। सुलभ इंटरनेशनल केर संस्थापक बिंदेश्वर पाठक दरिभंगा नगर निगम परिसर स्थित हरिबोल पोखरिमे परियोजनाक नींव रखलथि । पाठक बजलाह जे ‘परियोजना शीघ्र शुरू कएल जाएत। दिसंबर धरि ई चालू भ’ जाएत। अहि परियोजना पर करीब 20 लाख रुपैयाक लागत आओत आऔर अहिसँ 8,000 लीटर पेयजल नितदिन निकालल जाएत। जकर लागत नाममात्र होयत।ओ कहला जे बिहामे शुरू कएल गेल नवोन्मेषी आऔर लागत प्रभावी पेयजल परियोजना प्रदेशमे दुनिया भरि सँ सस्ता भेटत। परियोजनाक तहत 50 पैसा प्रति लीटर उपलब्ध करयबाक वादा कएल गेल अछि। स्थानीय लोक आऔर एनजीओ एकर रखरखाव कार्य सम्हारत समुदायकें सक्रिय भागीदारी सँ ई परियोजना चलत। अहिसँ रोजगार सेहो सृजन होयत।
उल्लेखनीय अछि जे सुलभ पाखरिक जल कए पेयजल बनेबा लेल सतत शोध मे लागल अछि। बिहार मे दरभंगा पहिल शहर अछि मुदा सुलभ एहि तरह परियोजना पर बंगाल मे कई ठाम काम क रहल अछि। प्रायोगिक परियोजना पश्चिम बंगाल केर 24 परगना, मुर्शिदाबाद आऔर नादिया जिलामे सुलभ आऔर एकटा फ्रांसीसी संगठनकें साथ शुरू कएल गेल छल जे सफल रहल।
पिछला मास सुलभ दरभंगाक विधायक समेत किछु गोटे कए बंगाल स्थित अपन सुलभ जल संयंत्र कए देखबा लेल ल गेल छल। आहि दल मे दरभंगाक विधायक संजय सरावगी सेहो छलथि। ओहि ठामक प्राकृतिक आ भौगोलिकताक जानकारी दैत विधायक सरावगी कहैत छथि जे राजधानी कोलकाता आ भारत बांग्लादेश सीमासँ सटल आ शहरकें कांक्रीट जंगल सँ हटिकS एकटा सुंदर सन गाम, नारियल,ताड़क नमगर गाछ, जगह-जगह पर लबालब भरल पोखरि, इनार, ताल, तलैया. सब किछु चकित करय बला दृश्य, अचानक गामक बीचोंबीच बनल एकटा पोखरिक सोझासँ अबैत अछि तीन गोट लोक, तीनू देखमे प्रौढ़, देह भरि कारी-कारी चकत्ता, चर्म रोगी सन, पातर दुबर बेमार सन। खास बात ई जे पोखरिक पानि लग ठाड़ मुस्किया रहल छल। अहि पानि सँ आब डेराइत नहि छल कारण आब ओ ‘जीवनदायी’ बनि गेल छलैए जखन की यएह पानि नौ महिना पहिने कोनो पौराणिक कथा बला सरोवर जकाँ छल जकरघूंट लेलाक बाद लोक बेमार भ’ जाएत छल आओर जानसँ सेहो हाथ धो लैत छल। एतय सालोसाल सँ पिलाक बाद ई हालत बनल तखन अहि पानिमे आर्सेनिक ‘प्रदूषण’ वा ‘जहर’ भरल रहैत छल । तीनू अपन ‘व्यथित’ देहक पीड़ा देखा रहल छल, ओहिमे सँ स्वपन दास बंगलामे मुश्किआएत कहैत अछि … आब त’ हम ठीक भ’ रहल छी। पीड़ा सेहो आब कम भ’ रहल अछि।’पोखरिमे लागल एकटा छोटका संयंत्र दीस इशारा करैत कहैत अछि जे ‘अही कारण सँ हमरा आब खराप पानि पिब लेल नहि भेटैत अछि जाहिसँ हम सभ हमर बच्चा सभ बेमार रहैत छलहुँ।
सुलभ इंटरनेशनल केर संस्थापक आ अध्यक्ष डॉ बिंदेश्वंर पाठक कहैत छथि जे मधुसूदनकाटी कृषक कल्याण समिति (एमकेकेएस) आ एकटा फ़्रांसीसी ग़ैर सरकारी संगठन ‘1001 फाउटेंन्स’ केर साथ मिलिकय एतय गत नवंबरमे सुलभ सेफ ड्रिंकिंग वॉटर प्रोजेक्ट (एसएसडीडब्ल्यूपी) शुरू करबाक एकटा अनुपम डेग बढ़ाओल गेल। जाहि अंतर्गत आर्सेनिक प्रदूषण बला पोखर सहित तीन टा अन्य स्थानक पानिकें शुद्धीकरण संयंत्र लगाओल गेल। उत्तर 24 परगना जिलाकेँ अलावा ई संयंत्र नादिया जिलाकें मायापुर आऔर मुर्शिदाबाद जिलामे सेहो लगाओल गेल अछि।
पाठक कहलखिन जे हम एखन केवल पचास पैसा प्रति लीटर पेयजल ग्रामीण सभकेँ उपलब्ध करवा रहल छी। ई मिनरल वॉटर जकाँ त’ नहि मुदा दुनियामे सभसँ सस्ता सुरक्षित पेयजल अवश्य अछि। ‘बीस लाख रुपैयाक लागत सँ गाममे उपरोक्त तीनू साझीदार सभ मिलिकय आसान आओर सस्ता तकनीकी सँ ई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाओलक अछि। एतय सँ नित दिन 8000 लीटर पानि साफ कएल जाएत। यूवी तकनीक सँ साफ कएल गेल पानिकें ‘सुलभ जल’ नामसँ 20 लीटरकें बोतल मे 10 रुपए प्रति बोतल के’ दर सँ भरिकS घरेघर पहुँचाओल जाएत।
खास बात ई अछि कि देशमे अलग-अलग ब्रांडकें बोतलबंद पानि जतय 15 सँ 20 रुपए प्रति लीटर दर सँ भेटैत अछि आ से जँ केवल पचास पैसामे साफ बोतलबंद पानि उपलब्ध भेल त ई नीक फल कहल जा सकैछ। आब ई पानि ऑगनवाड़ी सदस्य आऔर अन्य साधन सभ सँ घरेघर पहुँचाओल जाएत अछि। हुनकर कहब छनि जे आस्ते आस्ते अहि कामक प्रशिक्षण गामक युवा सभकेँ देल जेतनि आ हुनका बैंक सँ ऋण देलाक बाद ई काज हुनके करय लेल प्रोत्साहित कएल जेतनि। गामकें रोजगारोनुमुखी बनेबाक हमर सपना छल आ ताहि दीस हम अपन डेग बढ़ा देलहुँ अछि। देशभरि के’ युवा अपन अपन क्षेत्रमे प्रदूषणमुक्त जल सहजता सँ सस्ता आ आसान तकनीकी सँ स्वयं साफ कS अप्पन लोककेँ साफ आ शुद्ध पानिक व्यवस्था कS सकैत अछि।
मधुसूदनकाटीमे एहन रोगग्रस्त लोकक इलाज करनिहार डॉक्टर सुबलचंद्र सरकार बजलाह कि अहि परियोजनाक शुरू भेलाक बाद चर्म रोग,फेफड़ा, दिल, लीवर दस्त, पेटकें दोसर रोग सभ आऔर स्त्री रोगक मरीज सभक संख्यामे बेस कमी आएल अछि। समिति केर प्रमुख कहलक जे अहि कारण सँ पहिने गाममे चारि गोटे काल कल्पित सेहो भ’ गेलाह। गाममे रहय वाली सुप्रिया घोष केर मोताबिक पहिने हमरा सभकेँ गहिंरगर ट्यूबवेलकें छानल पानि भेटैत छल से शुरूमे किछु दिन त’ ठीक चलल परञ्च बादमे ओकरा सँ लोकक स्वास्थ ख़राप होमय लागल।
राज्यकें दक्खिन क्षेत्रक 37 ब्लॉक मे रहय बला दोसर लोकक पोखरि मे लागल एकटा छोटका संयंत्र पर्याप्त नहि छल। ओहि क्षेत्रकेँ पानिमे आर्सेनिक मिझरेबाक कारण पिब जोगरक नहि रहल। अहि क्षेत्रक कम सँ कम आठ लाख लोक अहि तरहक दूषित पानि पिब लेल विवश अछि। गामक एकटा अन्य निवासी भुवन मंडल के’ सेहो कहब अछि कि सालोसाल सँ यएह पानि पिलाक बाद आब भरोस भ’ रहल अछि कि हम आऔर हमर बच्चा सभकेँ कम सँ कम पिब जोग साफ पानि आब भेट सकत।
अहि जिलाकेँ संतोष विश्वास बता रहल अछि जे ई सभ तरहक रोग आर्सेनिक बला पानि पिला सँ होयत अछि । एकर इलाज दवाई नहीँ बल्कि साफ़ पानि अछि। एकटा अन्य ग्रामीणकें मोताबिक अहि समस्या सँ निपटेबाक लेल पश्चिम बंगाल सरकार प्रभावित क्षेत्रमे करोड़ों रुपैया खरचि कS आर्सेनिक दूर करय बला संयंत्र लगौलक मुदा हालत जस के’ तस अछि। आब भरोस भेल कि ई नव तकनीकीक प्रयोगसँ जिंदगी आसान भ’ सकत, खासतौर पर जखन सुलभ अहि काज लेल स्वयं ओकरा तैयार क रहल अछि। एकटा ग्रामीण के अनुसार, पोखरिक ऊपरी सतहक पानिमे आर्सेनिक नहि होयत अछि आऔर जँ रहितौ छै तँ मात्रा मानक सँ नीचा। मुदा भूमिगत पानिमे आर्सेनिक केर स्तर बहुत बेसी पाओल जाएत अछि।
आर्सेनिक सँ आसपड़ोसकें आठ लाख लोक प्रभावित अछि। पड़ोसी देश बांग्लादेशक लगभग अढाई सँ चारि करोड़ लोक सेहो आर्सेनिक प्रदूषित पानि पिब सँ विवश अछि , जे विश्व स्वास्थ्य संगठनक मान्य मानक सँ बीस गुना बेसी अछि। भारतमे ई मानक 0.05 प्रतिशत अछि मुदा गाम आ देशभरि मे आर्सेनिक दूषण बला क्षेत्र सभमे कएको गुना बेसी पाओल जाएत अछि। पश्चिम बंगालमे सेहो बड़का आबादी ओहन क्षेत्रमे रहैत अछि जतयकें पानि आर्सेनिक सँ बहुत बेसी दूषित अछि।
पश्चिम बंगाल केर तीनटा जिलामे साफ पानि पहुँचाएबाक सफल योजनाक संगहि सुलभ इंटरनेशनल एकरा देशक शेष भागमे सेहो लS जएबाक सोचि रहल अछि। अगिला पड़ाव बिहार, केरल आऔर तमिलनाडु अछि मुदा संगहि डॉक्टर पाठक कहैत अछि जे हम शुरुआत त’ करब मुदा आगु बढ़ेबाक काज स्थानीय लोककेँ रहतनि हमरा उमेद अछि जे अहि तकनिकीकेँ सभ स्थान पर आंदोलनके रूप प्रदान कएल जेतै। मैला ढोबय बला क्रमिक के’ अहि अमानवीय कुप्रथा सँ मुक्ति दिआक’ समाजक मुख्यधारा मे सामिल करब, उज्जर सारी सभक उम्रकैद भोगि रहल विधवा सभक जीवनकें सम्मान दिआक’ हुनक जीवनमे सतरंगी रंग आऔर एहने सन बहुत रास जनकल्याण योजनाक बाद आब कि साफ पानि पीबाक लेल तरसति लोकक पिआस बुझाब हेतु ई नव आंदोलन? जबाबमे डॉक्टर पाठक केवल मुस्किआ दैत अछि।
यूनिसेफ केर सूचना तंत्रक अनुसार, दुनियाभरि मे 70 सँ बेसी देश सभमे 14 करोड़ सँ बेसी आबादी आर्सेनिक बला दूषित पानि पिब’ सँ प्रभावित अछि जाहिमे सर्वाधिक एशियाक देश अछि। अहिसँ बच्चा सभमे अपंगता तककेँ खतरा रहैत अछि एवम वयस्क सभमे विभिन्न प्रकारक चर्म रोग सँ ल्Sक कैंसर जकाँ रोगक सेहो अंदेशा रहैत छै आ अहिसँ मृत्यु होयबाक खतरा सेहो रहैत अछि। सभसँ पैघ बात जे एकरा इलाज केवल आ केवल अहि दूषित पानि पीबा सँ परहेज राखब अछि।
गामसँ घुरैत काल जीवनदायी बनि चुकल पोखरि लग बच्चा सभ खेल रहल अछि, पुरखक चेहरा बिहुसि रहल अछि, स्त्रीगणक झुंड ठाड़ खिलखिला रहल अछि, गामक एकटा बच्चा प्रमीत सरकार रवीन्द्र नाथ टैगोर केर एकटा कविता सुनौलाक बाद हिन्दीमे कहैत अछि, मैं डॉक्टर बनूंगा। डॉक्टर पाठक ओकर सिर पर हाथ राखि आशीर्वाद दैत कहैत अछि , पढ़ाई पूर करबामे जँ कतहु दिकक्ति होय त’ कहब, घुरलाक बाद ई पोखरि अतेक रमणीय आ आत्मीयता सँ भरल अपना सन किएक लागि रहल अछि..यएह सोचि रहल छी…