विनीत ठाकुर
पूर्णिया।स्वतन्त्रता दिवस क पूर्व रात्रि अर्थात १४ अगस्त क मध्य रात्रि मे पूर्णिया शहर क झंडा चौक पर स्वतंत्रता क खुशी मे झंडा फहरेबाक परंपरा १९४७ ई सँ आबि रहल अछि। १९४७ ई मे मध्य रात्रि पश्र्चात जखैन आजादी क घोषणा कयल गेल, ओहि रात पहिल बेर एतय झंडा फहराओल गेल आ अहि परंपरा क पालन अद्यावधि कैल जा रहल अछि।
देश मे बाधा बॉर्डर पर सेहो १४ अगस्त क मध्य रात्रि मे तिरंगा फहराओल जाइछ।
झंडा चौक पर मध्य रात्रि मे तिरंगा फहरेबाक प्रथा अंग्रेजी दासता से मुक्त होयबाक घोषणा पश्र्चात शुरू भेल।स्वतंत्रता सेनानी क परिजन के कथनानुसार १४ अगस्त १९४७ केँ भारत क स्वतंत्रता के वार्ता अंतिम चरण मे छल आ स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी सब, यथा शमशूल हक, डॉ लक्ष्मी नारायण सुधांशु, नरेंद्र प्रसाद स्नेही सहित अनेको राष्ट्र भक्त झंडा चौक पर दूपहरिये से जमा भय रेडियो पर क्षणक्षण क खबरि उत्सुकता से सुनि रहल छलाह।
रातिक बारह बाजि एक मिनट पर स्वतंत्रता के घोषणा होइतहिंँ सर्वत्र हर्ष व्याप्त भय गेल आ भारत माता की जय क जयघोष सँ आकाश गुंजायमान भय उठल। तत्काल एकत्रित स्वतंत्रता सेनानी सब झंडा चौक पर तिरंगा फहराय खुशी मनाओल।
स्वतंत्रता सेनानी नरेंद्र स्नेही क पुत्र दिनकर स्नेही जनौलनि जे अहि दिन झंडोत्तोलन में शमशूल हक साहेब क महत्त्वपूर्ण योगदान छल।यावतजीवन ओ स्वयं झंडोत्तोलन क आयोजन कैलनि आ १५ वर्ष पूर्व सुनकर जन्नतनशीन क बादो ई परंपरा कायम अछि।