ईश्वर नाथ झा
नई दिल्ली/ दरभंगा: आधुनिकता क दौड़ मे मिथिला क पंजी सूत्र क संरक्षण लेल पिछला किछु साल स ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ क विभिन्न समूह समय समय पर मांग उठबैत रहल अछि. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय क वर्तमान कुलपति एहि दिस एकटा निर्णायक डेग उठेबाक काज केलथि अछि. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय एक बेर फेर स नये सेशन स पंजी व्यवस्था मे डिप्लोमा क कोर्स शुरू करबाक निर्णय लेलक अछि. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय क एहि र्निणय स मिथिलाक सदियो पुरान एहि सूत्र कए बुझबाक आ जीवित रखबा मे मदद भेटत.
रामशरण शर्मा क समय छल पढाईक व्यवस्था
पूर्व कुलपति रामशरण शर्मा क समय मे पंजी सूत्रक पढाई एहि संस्थान मे होइत छल. मुदा किछु सालक बाद एहि कोर्स कए बंद क देल गेल. वर्तमान कुलपति पंडित शशिनाथ झा आब एक बेर फेर स एहि पंजी सूत्रक पढाई शुरू करबाक र्निणय लेलथि अछि. एहि स मिथिला क पंजी व्यवस्था कए संरक्षण त भेटबे करत संग संग दुनिया क शोधकर्ता लेल सदियो पहिने चंडेश्वर क पत्नी श्री लखिमा ठाकुरक बनाउल सूत्र पर जैनेटिक संबंध पर शोध क मार्ग सेहो खुलत. ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ एखन एहि सूत्रक उपयोग करैत छथि मुदा बाकी समाज लग पंजी डाटा अनुपलब्ध अछि. एकर पढाई शुरू भेलाक बाद उम्मीद कैल जा सकैत अछि जे आन समाज सेहो नव तरह स पंजी डाटा तैयार करबाक काज करत.
12वीं पास क सकैत छथि आवेदन, फरवरी स शुरू होएत कोर्स
एकटा न्यूज़ पोर्टल स गप करैत विश्वविद्यालय क कुलपति डॉ श्री शशिनाथ झा कहलथि जे, “पंजी मे डिप्लोमा क कोर्स शुरू करबा क निर्णय लेल गेल अछि. एकरा लेल आवश्यक व्यवस्था कैल जा रहल अछि. एक साल पहिनेइ कोर्स शुरू हेबाक छल, मुदा कोनो कारणवश संभव नहि भ सकल. आब अगिला साल फरवरी स सत्र क शुरुआत होएत, एहन उम्मीद करैत छी. पहिल बैच मे क़रीब 30टा विद्यार्थी क नामाकन होएत.ताहि लेल शैक्षणिक योग्यता 12वीं राखल गेल अछि. एहि कोर्स मे नामांकन लेल कोनो भाषा आ कोनो क्षेत्रक लोक आवेदन क सकैत अछि.
हरिसिंह देव बनौने छलाह जैनेटिक डाटा संग्रह कए व्यवस्था
मिथिला मे राजा हरिसिंह देव जैनेटिक डाटा संग्रह कए व्यवस्था बनौने छलाह. आधुनिक भारत मे जेना आधार निबंधन सब लेल अनिवार्य अछि तहिना हरिसिंह देव अपन राज्य मे सब लेल पंजीयन अनिवार्य क देने छलाह, जेकरा आजुक समय मे मिथिलाक पंजी व्यवस्था कहल जाइत छै. समयक संग बहुत रास समाज पंजीयन करेबा स दूर होइत गेल, मुदा ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ मे एखना इ डेटा बहुत हद तक अप टू डेट अछि. आजुक समय मे एकर उपयोग मिथिला क ब्राह्मण आओर कर्ण कायस्थ विवाह स्थिर करबा लेल करैत छथि.
लखिमा ठाकुर क बनाउल अछि पंजी सूत्र
13 वीं शताब्दी मे राजा हरिसिह देवक महामंत्री पंडित चंडेश्वर ठाकुरक पत्नी लखिमा ठाकुरक बनाउल पंजी स मनुष्यक जैनेटिक संबंधक जांच होइत अछि. संबंधक संबंध खून स नहि होइत अछि एकर पहिल बेर घोषणा मिथिलाक विदुषी लखिमा ठाकुर केने छलीह आ संबंध टूटबाक सूत्र क रूप में पंजी सूत्र प्रस्तुत केने छलीह, जेकरा स्वीकार करैत राजा हरिसिहदेव अपना व्यवस्थाक अंग बनेबाक फैसला केने छलाह. एहि सूत्रक माध्यम स एक व्यक्तिक दोसर व्यक्तिक संग जैनेटिक संबंध अछि बा नहि तेकर जांच होइत अछि. मेडिकल साइंस सेहो मानैत अछि जे मानवक विकास मे जैनेटिक संबंध में भेल विवाह बाधक होइत अछि. संगहि कइटा बीमारी क रोकथाम आ पहचान लेल सेहो इ आवश्यक मानल गेल अछि. एहि सूत्रक अनुसार कोनो मनुष्य अपन गोत्र मे विवाह स परहेज करै किया त गोत्र क डीएनए सबदिन बनल रहैत छै. आन गोत्र क संग डीएनए क संबंध पुरूष दिस सात आ महिला दिस पांच पीढी धरि बनल रहैत छै. एकर अलावा कईटा सूत्र एहि मे बताउल गेल छै जाहि स जैनेटिक संबंधक टूटबाक सूत्र भेटैत छै. विवाह स पूर्व वर आ कनिया क बीच पंजीकार लखिमा ठाकुर क बनाउल एहि सूत्रक माध्यम स जांच करैत छथि आ डाटा परछियेला पर विवाह क अनुमति दैत छथि. जैनेटिक संबंध में आइ दुनिया भरि मे शोध भ रहल अछि, एहन मे दरभंगा में पंजी सूत्रक पढाई शुरू भेला स एकर वैज्ञानिक पक्ष पर सेहो चर्चा होएत आ एकर वैज्ञानिक शोध क बाट सेहो खुलत.
पंजीकार शक्तिनंदन झा केलथि स्वागत
मिथिला क प्रसिद्ध पंजीकार शक्तिनंदन झा कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय क कुलपति डॉ श्री शशिनाथ झा क एहि फैसलाक सराहना केलथि अछि. ओ कहला अछि जे पंजी सूत्रक महत्व छैक. एहि स कोनो परिवार क सम्पूर्ण परिचय कए बुझबा मे मदद भेटैत छै. ओ कहला ले विद्यार्थी कए पंजी सूत्रक समग्र जानकारी क संग व्यवहारिक ज्ञान देबाक सेहो व्यवस्था हेबाक चाही आ नव समाज क डाटा तैयार हेबाक चाही.