दरभंगा। अकबरकालीन दस्तावेज पर जड़ल ताला आखिरकार टूटल। राज्य सरकार क पदाधिकारी आ दरभंगा राजक प्रतिनिधिक क उपस्थिति मे पिछला 60 साल स तोड़ल ताला तोड़ल गेल। एकरा लेल मंत्रिमंडल सचिवालय विभागक एकटा टीम दरभंगा पहुचल छल। दरभंगा क रामेश्वर सिंह क्षेत्रीय अभिलेखागार क तिजोरी खोलैत काल पैघ संख्या मे आम लोक सेहो परिसरक आसपास जमा छल। एहि अभिलेखागार क निर्माण दरभंगा क राजा रामेश्वर सिंह क स्मृति मे कैल गेल अछि। ज्ञात हुए जे एहि ठाम रखल तिजोरी क चाबी सरकार स हरा गेल छल आओर एकर दोसर चाबी बनब संभव नहि छल। एहि तिजोरी मे ओ दस्तावेज भेटल जेकर माध्यम स अकबर रामनवमीं क दिन सन् 1499 मे राज पुरोहित क्षत्रपति ठाकुर क पुत्र पंडित महेश ठाकुर कए दरभंगा राज क बागडोर सौंपने छलाह। राज्य अभिलेखागार क निदेशक विजय कुमार कहला जे तिजोरी मे मुख्य रूप स 18हम सदी मे लिखल अकबरनामा, फिरदौस रचित शाहनामा, राज घरानाक 21 पीढ़ीक वंशावलीक मूल प्रति, 19सम सदी क कांग्रेसी नेता स कैल गेल पत्राचारक किछु दस्तावेज आ अंगरेजक संग राज दरभंगा क भेल एकरारनामक मूल प्रति शामिल अछि। विजय कुमार कहला जे इ सबटा दस्तावेज अमूल्य अछि। सबटा दस्तावेज कए पटना ल जेबाक फैसला कैल गेल अछि, मुदा स्थानीय सांसद सहित कईटा समूह एकर विरोध करि रहल अछि। दरभंगा क अनुमंडलपदाधिकारी एहि गपक खंडन केलथि जे तिजोरी स कोनो आभूषण निकलल अछि। ओ साफ कहलथि जे तिजोरी मे मात्र दस्तावेज राखल छल जे अपनाआप मे अमूल्य संपत्ति अछि। ज्ञात हुए जे एहि संदभ मे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय क इतिहास विभाग क प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र आ अन्य इतिहासकार मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग क प्रधान सचिव गिरीश शंकर क ध्यान एहि कात समय-समय पर आकृष्ट करबैत रहला अछि। मिश्रक समाद अछि जे दरभंगा क क्षेत्रीय अभिलेखागार मे अकबर कालीन आ अन्य कई महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध अछि, जे रखरखाव क अभाव मे नष्ट भ रहल अछि।
की छल दरभंगा राज
तुगलक साम्राज्य क पतन के बाद मुगल बादशाह अकबर इ महसूस केलथि जे मिथिला मे कोनो ब्राह्माण कए राजा बनाकए ओहि क्षेत्र मे शांति स्थापित कैल जा सकैत अछि आओर एहि स बेहतर राजस्व सेहो अर्जित कैल जा सकैत अछि। अकबर एहिना केलथि। दरभंगा राज 2410 वर्ग मील तक फइलल छल। इ उत्तर बिहार स ल कएपूर्वी बिहार क पूर्णिया तक फइलल छल। अशोक पेपर मिल, वाल फोर्ड, कोलकाता, तीनटा चीनी मिल क संगहि ‘द इंडियन नेशनÓ, ‘आर्यावर्त’, ‘मिथिला मिहिरÓ जइसन समाचार पत्र क प्रकाशन क लेल सेहो राज परिवार मन पड़ैत अछि। एकरा संगहि दरभंगा एविएशन क हवाई जहाज बिहार मे उड़ैय वाला पहिल निजी एयरलाइंस छल। 18 सर्किल मे 4495 गाम एहि राज क अंतर्गत छल, जेकर देखरेख 7500 कर्मचारी करैत छलाह।
अकाल व स्वतंत्रता आंदोलन
ओना त इ धारणा अछि जे राज परिवार क प्रतिबद्धता अंग्रेजी हुकूमत क प्रति छल। मुदा दरभंगा महाराज आजादी क आंदोलन मे आंदोलनकारी क खूब आर्थिक मदद गुपचुप करैत रहला। स्वयं महात्मा गांधी 21 मार्च, 1947 कए एकटा पत्र मे लिखने छथि जे दरभंगा महाराज हुनकर पुत्रक समान छथि। बंगाल क ऐतिहासिक दुर्भिक्ष मे महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह तीन लाख टका क मदद ओतुका लोक लेल देने छलाह।
आजादी क बाद जखन सरकार जमींदारी प्रथा क उन्मूलन केलक त दरभंगा राज सेहो समाप्त भ गेल। दिल्ली, कोलकाता, रांची, मुंबई, मसूरी, वाराणसी, इलाहाबाद जइसन अनेक जगह पर ‘दरभंगा हाउसÓ आइयो राज परिवार क स्मृति क केंद्र अछि। ‘कोलकाता ओल्ड एंड न्यूÓ, ‘मिथिला ए यूनियन रिपब्लिकÓ,’ द जीनियोलाजिकल हिस्ट्री ऑफ इंडियाÓ,’द क्नाइट्स आफ इंग्लैंडÓ सन अनेक पुस्तक मे दरभंगा महाराज क ऐतिहासिक संदर्भ संकलित अछि।
badd neek muda rajprivar chori jan besi sn besi jan privark smachar par dhyan del jayt tan neek.
समाद पढि बहुत नीक लागल ।
अहिना अनवरत समाद अवैत रहय ई शुभकामना ।
गोपी रमण चौधरी
जमशेदपुर, झारखण्ड ।