नई दिल्ली/दरभंगा। लगैत अछि जे राज दरभंगाक ट्रस्टी जखन धरि मिथिला आ महाराज कामेश्वर सिंहक नामोनिशान नहि मिटा देताह, ताबत धरि चैन स नहि बैसताह। 1962 मे महाराजक विवादास्पद मौत क बाद हुनक संपत्ति कए जेना बेचल गेल ओ सबहक सामने अछि। इ लोकनि महाराजक डीह (रामबाग)तक बेच देलथि। ट्रस्टी क नजरि आब दू सौ साल तक मिथिलाक राजधानी रहल भौरा गढ़ी पर अछि। 16म शताब्दी मे खंडवाला राजवंशक संस्थापक महेश ठाकुरक पुत्र महाराजा शुभंकर ठाकुर भौरा गढ़ी कए अपन नूतन राजधानी बनेने छलाह। एहि ठाम स लगभग दू सौ साल तक मिथिला पर राज कैल गेल। 18म शताब्दी मे जा कर मिथिलाक राजधानी दरभंगा बनाउल गेल। एतिहासिक महत्व आ सौ साल स पूरान महल हेबाक बावजूद भौरा गढ़ीक संरक्षणक कोनो प्रयास सरकारक दिस स एखन धरि नहि भ सकल अछि। दोसर दिस एक-एक करि दरभंगा राजक सब किछु बेच देनिहार ट्रस्टीक नजरि आब भौरा गढ़ी जमीन पर टिकल अछि आ ओ एकरा बेचबा लेल आफन तोडऩे छथि। मिथिला राजक सबस पूरान एहि निशानी कए बचेबा स बचेबा लेल लोक सामने आबि रहल अछि। मिथिलाक इतिहास पर शोध करनिहार तेजकर झा क कहब अछि जे मिथिला मे धार्मिक महत्वक अनेक पूरान पीठ अछि, मुदा राजनीतिक महत्वक पूरान डीह कम अछि। एकर पाछु झा क कहब अछि जे मिथिलाक भौगोलिक कारक जिम्मेदार अछि। बाढ़ आ भूकंपक कारण स पूरान डीह पर बनल महल नहि बचल आ जे बचल से संरक्षणक अभाव मे नष्ट भ गेल। झाक कहब अछि जे भौरा डीह समस्त मैथिलक धरोहर छी आ एकरा बेचब या नष्ट करब मिथिलाक इतिहास कए खत्म करबाक समान अछि। ओ एकर तुलना बख्तियार क नालंदा विश्वविद्यालय कए नष्ट करबा स केलथि। दोसर दिस मधुबनी निवासी संजय कुमार आ श्वेता सिन्हा सन किछु आओर लोक केंद्र आ राज्य सरकार कए भौरा गढ़ी क जमीन बेचबा पर प्रतिबंध लगेबा लेल अनुरोध पत्र लिखलथि अछि। संगहि भारतीय पुरातत्व विभाग कए सेहो पत्र लिख इ मांग कैल गेल अछि जे एहि डीहक संरक्षण लेल कार्रवाई कैल जाए।
के छथि ट्रस्टी
महाराज कामेश्वर सिंहक निधनक बाद दरभंगा राजक संपत्ति कए देख-रेखक जिम्मा एकटा ट्रस्ट कए सौंपल गेल। पटना हाइकोर्ट क सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश एहि ट्रस्टक पहिल मुख्य ट्रस्टी छलाह। हुनक संग दू टा आओर ट्रस्टी छलाह। जेना-जेना हिनकर सबहक निधन भेल, दू टा मिल कए तेसर ट्रस्टीक चयन करैत गेलाह। जाहि स परिवारवाद कए बढ़ाबा भेटल। गिरिंद्र मोहन मिश्रक पुत्र मदनमोहन मिश्र ट्रस्टी बनि गेलाह। फेर महाराजक एकटा संबंधी पिछला दरबजा स ट्रस्टी बनि गेलाह। मुदा मदनमोहन मिश्रक निधनक बाद सबस छोट राजकुमार शुभेश्वर सिंहक ज्येष्ठ पुत्र राजेश्वर सिंह कए ट्रस्टी बना देल गेल। इ पहिल ट्रस्टी भेला जे महाराजक संतान छलाह। द्वारिका नाथ झाक निधनक बाद सबटा नियम कए शिथिल करि शुभेश्वर सिंहक दोसर पुत्र कपिलेश्व सिंह कए सेहो ट्रस्टी बना देल गेल। इ पहिल मौका छल जखन दूटा सहोदर भाई तीन सदस्यीय ट्रस्टीक सदस्य अछि। तेसर ट्रस्ट्री छोटी महारानीक क संबंधी उदयनाथ मिश्र छथि, जे महारानीक स्वार्थ देखबाक अलावा कोनो काज करबा मे कोनो रूचि नहि रखैत छथि।कुल मिला कए ट्रस्ट शुभेश्वर सिंहक परिवारक हाथ मे चल गेल अछि आ महारानीक हिस्सेदारी ट्रस्ट मे कम भ गेल अछि। राजपरिवारक एहि खानदानी झगड़ा मे मिथिलाक धरोहर पिछला पचास साल स एक-एक करि बिका रहल अछि। जे बचल अछि ओकरो बेचबाक प्रयास भ रहल अछि। अंतर एतबा अछि पहिने महाराजक परिचित, फेर संबंधी आ आब महाराजक संतान एहि काज मे लागल अछि।
It is very disheartening to note that places of such historical importance are being neglected. We should not forget one thing, by insulting our heritage structures or heritage places, we only create bad name for us. Biharis are no less defamed even now. Please stop these type of insensitive behaviour with our heritage. Respect History then only present will respect you. Hoping sanity will prevail.
our request to all trustees of three member committee kindly save the heritage of mithila and raj darbhanga.our sugestion to aquire those all property for what u r not getting royalty which is out of bihar and abroad . come forward in mithila domain and revive your position which was maintained by maharaja darbhanga dynasty we all r with u contact me 08879391007 but kindly dont do any such activities if it is true.