नई दिल्ली। बौद्ध दर्शन क गढ़ आ कहियो दुनिया मे ज्ञान-विज्ञान क सबस पैघे केन्द्र रहल नालंदा विश्वविद्यालय कए पुनर्जीवित करबाक प्रयास अंतिम चरण में अछि।
पंद्रह सौ साल पहिने स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय कए पुर्नजीवित करबा लेल नालंदा संरक्षक समूह बैठकक बाद समूह क अध्यक्ष, नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अमर्त्य सेन कहला- हमसब तीन साल स एहि मुद्दा पर विचार-विमर्श करि रहल छी आ आब हम अंतिम निर्णय लेबाक स्थिति मे छी जे विश्वविद्यालय मे विभाग कौन-कौन होएत आ राजगीर लग जतए पुरना विश्वविद्यालय छल, एकरा ओतहि स्थापित कैल जाएत। एहि विश्वविद्यालय मे एहन कईटा विशेषता होएत, जाहि स दुनिया भरिक छात्र एहि ठाम पढ़बा लेल आउत। बिहार सरकार क प्रशंसा करैत सेन कहला जे राज्य सरकार एहि मामला मे सक्रिय भूमिका निभा रहल अछि आ एकरा लेल ज़मीन अधिग्रहण सेहो करि लेल गेल अछि। सेन कहला जे नालंदा क पुस्तकालय कए सेहो पुनर्जीवित कैल जाएत।
विश्वविद्यालय क संरक्षक समूह क अध्यक्ष आ नोबेल पुरस्कार स सम्मानित अमर्त्य सेन कहला जे समूह क कोशिश विश्वविद्यालय क लेल धन इकट्ठा करब सेहो अछि। समूह पूरा दुनिया स आर्थिक सहयोग क अपेक्षा करि रहल अछि, बशर्ते वो काला धन नहि हुए। सेन कहला जे एहि संदर्भ मे चीन क भूमिका अहम अछि। चीन पूर्वी एशियाई देश क सम्मेलन क सदस्य सेहो अछि आओर एहि तरह स एहि विश्वविद्यालय क संस्थापक सदस्य सेहो अछि। ओ कहला-चीन स हम सहयोग क उम्मीद करैत छी।
सेन कहा-दुनिया क इतिहास मे विश्वविद्यालय हमर सबस पैघ बौद्धिक धरोहर छल। नालंदा संरक्षक समूह क गठन वर्ष 2007 मे कैल गेल छल, जेकर अध्यक्ष सेन कए चुनल गेल छल। सेन शैक्षणिक संस्थान निर्माण कए लकए एकटा ठोस संरचना तैयार केलथि अछि। जाहि स प्राचीन समय क भांति वैश्विक स्तर पर छात्र एहि ठाम अध्ययन क लेल आकर्षित भ सकत।