प्रीतिलता मल्लिक
बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) द्वारा कथित तौर पर जमीन आवंटन मे भेल गडबडीक चर्चा आइ सब ठाम अछि। नीतीश क साफ छवि जतए एहि प्रकरण स धूमिल भ रहल अछि ओतहि मुरझा गेल विपक्ष मे नव जान आबि गेल अछि। मुदा एहि मामला मे सबस धडफर मे देखा रहल अछि मीडिया। खास कए चैनलवाला सब। अखबार एखनो समाचाक गंभीरता कए बना कए रखने अछि, मुदा चैनल अपन टीआरपी क कारण एतबा धडफर मे अछि जे आरोप तय करबाक समय तक नहि निकालि पाबि रहल अछि। बिहार क संग चैनल कए पहिनो एहन धडफरी देखल गेल छल। एहि बेर सेहो चैनल तथ्य जुटेबा स बेसी उपमा जुटेबा मे समय खर्च केलक। ताहि कारण स अपन गप अपने कटबा लेल मजबूर होइत गेल। कमालक गप चैनल संग इ होइत अछि जे ओ अखबार जेकां क्षमा सेहो नहि व्यक्त करैत अछि। एतबा उग्र मीडिया लोकतंत्र लेल नीक, मुदा एतबा अगंभीर पत्रकारिता लोकतंत्र लेल खतरा सेहो बनि रहल अछि।
जखन एहि आवंटन क अनियमितता क समाचार सामने आयल त एकटा पैघ घोटालाक आभास भेल। निश्चित रूप स बुझबा मे आयल जे एतबा पैघ आरोप लगेबा स पूर्व चैनल नियम कानूनक छानबीन जरूर केने होएत। बेर बेर गैर कानूनी शब्द क प्रयोग एहि विश्वास कए पुख्ता करि रहल छल जे मामला पैघ अछि आ सरकार कानून तोडि कए जमीनक वितरण केलक अछि। मुदा किछु घंटाक बाद स्थानीय पत्रकारक गैर कानूनी शब्द कए हटा देल गेल और चैनलक राजनीतिक संपादक क अनैतिक शब्द आबि गेल। गैर कानूनी शब्द नेताक मुंह स सुनबा लेल भेटल त बुझबा मे आबि गेल जे इ शब्द हुनके मुंह क छल आ हुनके लग चल गेल। दोसर चैनल सब सेहो नव नव उपमा गढबा लेल नव पत्रकारक फौज ढार करि देलथि, मुदा ककरो लग तथ्य आ नियम पढबा लेल समय नहि छल, नहि त इ बेर बेर नहि सुनबा मे अबितए जे आवंटन स पूर्व विज्ञापन किया नहि निकालल गेल। कोनो पत्रकार कए इ तक बुझल नहि छल जे विज्ञापन निकालबाक अनिवार्यता 2006 मे खत्म करि देल गेल अछि। 2006 स एहि दिस ककरो ध्यान नहि छल। पत्रकार लेल इ पूरा मामला कानूनक नजरि स उठले नहि छल, हुनका लेल मंत्री आ अधिकारीक संतानक नाम मात्र खबरि छल आ इ सर्वमान्य सोच जे गलत आवंटन अछि। अर्थात आजुक पत्रकारिता लेल नेताक नाम मात्र घोटाला कहबाक प्रमाण पत्र बनि चुकल अछि। नहि त पहिने गैर कानूनी आ फेर अनैतिक कहबाक कोन मजबूरी छल।
अखबार मे एखनो एहन कोनो समाचार प्रकाशित करबा स पूर्व दस्तावेजक सूची देखल जाइत अछि, मुदा चैनल क कार्य प्रणाली गैर जिम्मेदाराना रहल अछि। ताहि लेल एखनो पैघ घोटाला अखबारक माध्यम स सामने आबि रहल अछि। चैनल छोट स छोट समाचार देखेबा स पूर्व बाइट लैत अछि मुदा बियाडा क जमीन आवंटन क समाचार मे बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स क कोनो बाइट नहि छल। जखन कि एहि प्रक्रिया स सबस बेसी ओ संस्था प्रभावित भ रहल छल। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स क अध्यक्ष ओ़पी़ शाह एहि मामला पर साफ कहैत छथि जे कोनो गैर कानूनी काज नहि भेल अछि। बियाडा ककरो कम दाम या प्राथमिकता क आधार पर भूमि क आवंटन नहि करि सकैत अछि। ओ अनुभवहीन लोक कए जमीन देबा क फैसला कए सेहो अनैतिक नहि मानि रहल छथि। ओ कहैत छथि जे बिहार मे औद्योगिकीकरण क माहौल बनि रहल अछि आ ऊंच शिक्षा ग्रहण करि व्यवसाय क क्षेत्र मे आबि रहल लोकक स्वागत करबाक चाही। ओ साफ कहैत छथि जे बियाडा ककरो आवेदन कए केवल एहि आधार पर अस्वीकार नहि करि सकैत अछि जे आवेदक कोनो खास वर्ग या समुदाय स अछि। सवाल उठैत अछि जे उद्यमी कए जखन एहि मे कोनो गैर कानूनी नहि देखा रहल अछि त पत्रकार आखिर कोन आधार पर एकरा गैर कानूनी कहबाक चेष्टा केलक। की ओकरा एहि संबंध मे अल्प ज्ञान छल या फेर कोनो कान कारण छल। इ सेहो साफ हेबाक चाही। किया जे बियाडा क प्रबंध निदेशक अंशुली आर्या क अनुसार वर्ष 2006 क बाद नियम मे संशोधन करैत विज्ञापन निकालबाक प्रक्रिया कए समाप्त करि देल गेल छल। अगर इ प्रावधान गलत अछि त 2006 मे एकर विरोध किया नहि भेल। पत्रकार आ विपक्ष तखनो त सक्रिय छल।
वर्तमान प्रक्रिया क संबंध मे बताउल गेल अछि जे राज्य मे बियाडा क जमीन चार प्रक्षेत्र पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा आओर भागलपुर प्रक्षेत्र मे अछि। एहि मे प्रत्येक प्रक्षेत्र मे कईटा शहर अबैत अछि। एहि प्रक्षेत्र मे जमीन लेबा लेल एकटा आवंटन आवेदन पत्र भरल जाइत अछि ओकर बाद प्रोजेक्ट क्लियरेंस समिति (पीसीसी) उद्यमी स साक्षात्कार लैत अछि। एहि समिति मे कईटा विभाग जेना वित्त, उद्योग, वन आ पर्यावरण विभाग क अधिकारी होइत छथि। उद्यमी द्वारा देल गेल विस्तृत परियोजना रपट (डिपीआर) क सेहो समीक्षा कैल जाइत अछि। जखन समिति संतुष्ट भ जाइत अछि त हुनका उद्योग लगेबा लेल जमीन क आवंटन कैल जाइत अछि। आवंटन क बाद सेहो कोनो प्रकार क त्रुटि भेटला पर आवंटन रद्द कैल जा सकैत अछि। उक्त भूमि क आवंटन 90 साल लेल होइत अछि, मुदा तीन साल तक प्रस्तावित काज शुरू नहि भेला पर आवंटनक समीक्षा भ सकैत अछि। एहन मे ककरो गैर कानूनी या अनैतिक आवंटन कोना भेल तेकर विस्तार स उल्लेख हेबाक चाही, मुदा मीडिया आ विपक्ष दूनू एहि उल्लेख स बचैत रहल।
जानकारीक अनुसार बियाडा लग मे एखनो 47टा औद्योगिक क्षेत्र मे कुल 611.4 एकड़ जमीन खाली पडल अछि जाहि पर उद्योग लगेबा लेल कियो तैयार नहि अछि। सबटा औद्योगिक क्षेत्र मे जमीन क दाम अलग-अलग अछि, जाहि मे प्रत्येक वर्ष आमतौर पर दस प्रतिशत क इजाफा कैल जाइत अछि। मांग नहि रहला पर इजाफा नहि करबाक सेहो प्रावधान अछि। सवाल उठैत अछि जे एखन मे मंत्री आ अधिकारी क संतान कए कौडी क दाम मे जमीन कोना देल गेल। जमीन क दाम निश्चित अछि आ ओहि दाम पर आन लोक सेहो जमीनक आवंटन प्राप्त केलक अछि। मंत्री या अधिकारीक संतान लेल अगर दाम स छेडछाड कैल गेल अछि त इ गंभीर गन अछि। मुदा एहन कोनो आरोप नहि अछि। किछु पत्रकार बिना किछु बुझने एकरा घोटाला क संज्ञा दैत आरोप लगेला जे सरकार बियाडाक जमीन कए गैर कानूनी तरीका स उद्योग लगेबाक स्थान पर शिक्षण संस्थान खोलबा लेल द देलक। जखन कि शैक्षणिक संस्थान लेल 20 प्रतिशत भूमि आवंटन क प्रावधान कैल गेल अछि। जमीन आवंटन मे ककरो प्राथमिकता देबाक आरोप प्रतीक्षा सूचीक आधार पर लगबाक चाही मुदा ओकर जिक्र नहि कैल गेल। व्यावसायिक संगठन तक मानैत अछि जे इ पूरा मामला कानून नहि बल्कि मंत्री आ अधिकारीक नाम मात्र देख कए उठाउल गेल अछि। गंभीर मसला पर एतबा गैर जिम्मेदार पत्रकारिता समाज लेल नीक नहि कहल जा सकैत अछि। निश्चित रूप स एहि मामला क गंभीर जांच हेबाक चाही आ कोनो प्रकार क अनियमितता भेल अछि त दोषी कए सजा भेटबाक चाहि, मुदा अगर गैर कानूनी किछु नहि भेल अछि त पत्रकार समाज कए सेहो अपन गंभीरता आ विश्वसनीयता कए कायम रखबा लेल एहन आपाधापी स बचबा लेल प्रयास करबाक चाही।