नई दिल्ली। सामा खेलए गेलहुं भाई आंगन हे, आहे भौजौ लेलथि लुलुहाई छोडू ननदो आंगन हे—सामाक गीत जेना एकर हकीकत बता रहल अछि। एक दिस बाजारवाद क कारण मिथिला मे सामा-चकेबा पर्व बिलायल जा रहल अछि, तो दोसर दिस रांची आ राजधानी दिल्ली मे एकर सामुहिक आयोजन भ रहल अछि। भाई-बहिन क स्नेह क प्रतीक एहि लोकपर्व कए सामूहिक आयोजान सबस पहिने रांची मे शुरू भेल। पिछला दू साल स राजधानी मे सेहो एकर आयोजन भ रहल अछि। एहि साल सेहो कार्तिक पूर्णिमा क दिन राजधानी क त्रिवेणी कला संगम मे “माटी” आ “यूथ ऑफ मिथिला” एकर सार्वजनिक आयोजन केलक। जाहि मे पैघ संख्या मे मैथिल जनसमुदाय शामिल भेल। सच पूछल जाए त दिल्लीक त्रिवेणी परिसर मे सामा-चकेवा क पौराणिक गीत क बोल मिथिलाक क परंपरा कए जीवंत बना देने छल। मैथिल बहिन एक दोसरक आंचर मे पानक पात पर राखल शिरि कए एक दोसर स बदलि भाई क दीर्घायु हेबाक कामना केलथि। ”मोर भैया जीबो कि तोर भैया जीबो” क जप स पूरा वातावरण सामामय भ गेल छल। चुगलाक मूंछ मे आगि लबा सामा खेलक पूर्णाहूति देल गेल। एहि मौका पर एकटा छोटसन संस्कृतिक कार्यक्रम सेहो भेल। कार्यक्रमक दौरान अपन संबोधन मे “यूथ ऑफ मिथिला” क अध्यक्ष भवेश नंदन झा कहलथि जे अपन संस्कृतिक धरोहर कए संरक्षित करबा आ ओकरा आधुनिकता स जोडि कए आगू ल जेबा क दायित्व मिथिलाक युवाक कांध पर अछि। एहि मौका पर वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा कहला जे संस्कृतक धरोहर कए बचेबा लेल मीडिया क योगदान अहम अछि। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डा. संजीव मिश्रा, प्रभाष कुमार दास आ डा.के आर शर्मा, माटी क सचिव मधुरेंद्र कुमार, यूथ ऑफ मिथिला क उपाध्यक्ष कमलेश किशोर झा सहित अमिताभ भूषण, मैलोरंग क प्रकाश झा, कुंदन कात्यायन, मंजूषा दास, भारती दयाल, मुकेश झा ,जयराम विप्लव, दीनबंधु सिंह, विशाल तिवारी, गौतम कृष्ण, आमिर खुसरो, संतोष कुमार आदि सेहो अपन विचार रखलथि।