सुदर्शन कुमार
जयपुर । भारतीय वनजीवन संस्थान (डब्ल्यूआईआई) विक्रमशिलाक 60 किमीक गंगीय क्षेत्र मे जलपरी (डॉल्फिन), कछुआ, उल्ट आ घनी सन भयावह जल प्राणीक गिनती करबाक योजना तैयार केलक अछि। सम्भवत: पहिल बेर कोनो सरकारी एजेंसी एहि तरह कोनो गणना एहि इलाका मे करै जा रहल अछि। ओना 1991 मे सुलतानगंज स कहलगांव धरि डॉल्फिन लेल सुरक्षित क्षेत्र घोषित कैल गेल छल। एहि सर्वेक्षण लेल केंद्रीय वन एंव पर्यावरण मंत्रालयक तहत एकटा स्वायत्त निकायक गठन कैल गेल अछि।
एहि संबंध मे भागलपुरक वन पदाधिकारी एस सुधाकर कहलथि जे हुनका स अधिकारी गणनाक संबंध मे एकटा रिपोर्ट मंगलथि अछि। जाहि मे मुख्य रूप स सर्वेक्षण लेल उचित समयक जानकारी मांगल गेल अछि। अखन ई टीम झारखंड क साहेबगंज जिला मे सर्वेक्षणक काज क रहल अछि।
ज्ञात हो जे डब्ल्यूआइआइ स संबद्ध इ सर्वेक्षण नमामी गंगे परियोजनाक हिस्सा अछि। एकर माध्यम स जलक गुणवत्ता पर तुलनात्मक अध्ययन सेहो होएत, जाहि स नदी जल कए शुद्धि करबा मे मदद भेटत।
डॉल्फिन विशेषज्ञ अरविंद मिश्र कहला 1998 मे ओ सुलतानगंज स फरक्का (बंगाल ) तक एकटा सर्वे केने छलाह जाहि मे मंडल नेचर क्लब, भागलपुरक समन्वयक आरके सिन्हा आ गोपाल शर्मा सेहो शामिल छलाह। 2015 मे तिलक मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर जूलॉजी विभाग विक्रमशिला जैव विविधता अनुसंधान आ शिक्षा केन्द्र क जनगणना मे 207 डॉलफिन दर्ज कैल गेल छल। विशेषज्ञ सबहक कहब अछि जे पिछला किछु साल मे स्थिति मे बदलाब आयल अछि जे अखन तक पता नहि चलि सकल अछि। एहि सर्वेक्षण स स्थिति साफ होएत।