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कहानी : रमानाथ मिश्र क ‘हेमा दीदी’

रमानाथ बाबू संवेदनशील साहित्य क मजबूत हस्ता्क्षर छथि।

November 13, 2019
in फीचर
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पूर्णियाँ जाई वाली बस में अपन सीट लग सामान सब सरिया के, पत्नी के सीट पर बैसा के अपने पान खाई ले नीचां उतरलहुं।
पान खा के जहिना एलहुं त पत्नी एकटा टेम्पो दिस इशारा करते कहलनि,”वैह अहांक हेमा दीदी। वैह छथि ।” हम अकचकेलहुं, मुदा पत्नीक इशाराक अनुगमन करैत टेम्पो पर नजरि पड़ल त ठीके हेमा दीदी छलीह । हेमा दीदी लग एकटा सोलह-सत्रह बरखक युवक सामान सब के टेम्पो से उतारि के व्यवस्थित क ‘ रहल छल। हमर बस के खुजै में पन्द्रह- बीस मिनट देरी छल, हम हेमा दीदी के टेम्पो दिस बढ़लहुं।आ कि पत्नीक सहज व्यग्रतापूर्ण स्वर कान में पड़ल, जल्दीए चल आएब, गाड़ी ने खुजि जाए।। हम हाथ से पत्नी के इशारा करैत झटैक के हेमा दीदी लग पहुंचलहुं। हम पैर छू के जहिना प्रणाम केलियनि कि हेमा दीदी अचानक हड़बड़ेलीह। किछु क्षण अवाक रहैत एक्के बेर हर्ष आ विस्मय से चकित हमरा चिन्हैत बजलीह, ” मन्नू रौ!”

आई अट्ठारह बरख पर हेमा दीदी से भेंट भेल छल। ऐ बीच हम मात्र तीन या चारि बेर ममा गाम गेल हैब। एक्को बेर हेमा दीदी से भेंट नै भ सकल। नौकरी में एलाक बाद सं फुर्सति कत ‘। हमर ममाक पितियौत भाई, सुरेश बाबू, हमर सुरेश ममा। हमर ममा सब के सम्पत्तिक बंटवारा ल’ के नने के समय से झगड़ा चल अबै छलैन। सालों कोर्ट-कचहरी केलाक बाद कानूनी रूपें त मामला खत्म भ गेल छलनि मुदा हमरा जहिया से मोन अछि जावत ममा सब के जूईत चलैत रहलनि आपसी वैमनस्यता बनले रहलनि। बाद में हमर ममियौत भाई सब स्वत: झगड़ा झंझट छोड़ि सुरेश ममाक बेटा सब सं मेल- जोल क’ लेलनि , से बिशुनजी, हमर छोटका ममाक बेटा से ज्ञात भेल।

 

 

त’ हेमा दीदी, सुरेश ममाक बड़की बेटी। हमरा सँ दू बरखक पैघ। नेन्ना मे गर्मी छुट्टी में पन्द्रह- बीस दिन ममा गाम में बितौनाई हमर रुटीन छल। दुनू परिवारक बड़का सब में लाख ने झगड़ा रहऊ मुदा हमरा सब के भिनसर से अन्हार सांझ तक खेलएबाक कार्यक्रम निर्बाध चलैत रहैत छले। हेमा दीदी के अप्पन पिसियौत भाई जगदीश हमरा सब में सबसे पैघ, ओ मातृके में रहि के पढ़ाई क रहल छलाह।जै साल हम छठा से सातवां क्लास में गेलहुं , ओही साल ओ मैट्रिक के परीक्षा देने छलाह। तथापि ओ हमर सभक राजा कबड्डी के सक्रिय सदस्य छलाह।
एक बेर खेलाईत काल तामस में हम हेमा दीदी के खूब जोड़ से धकेल देने रहियैक।ओकर चित्कार आ सब के ओकरा लग दौड़ि के जाईत देखि के हम डर से बारी में नारक- टाल में घुसि के नुका गेल रही। मुन्हैर रैत तक हम नै भेटलियै त कन्नारोहट मचि गेल रहै। राति मे खबासिनी काज क के अपन घर जा रहल छल त टाल लग एकटा पैर बाहर निकलल देखलकै। आंगन आबि के हमर माय के कहलकैन।हमर नानी आ माय खबासिनी संग जाके देखलनि। मां आ नानी हमरा उठा के अनलैन।तेकर बाद तीन दिन तक तक हम खेल से स्वत: वंचित रहि गेल रही।
बाद में हेमा दीदी अपनहिं हाथ पकड़ि के खेलाई ले ल गेल छली। हमरा पूर्ण विश्वास छल जे ओकर हाथ त दु टुकड़ा भईए गेल हेतै। लेकिन ओकरा सही सलामत देखि के जेना विश्वासे नै होई छल।। सैह हेमा दीदी सहोदरो से बेशी अप्पन बहिन जकां हेमा दीदी के प्रेम । छुट्टी समाप्त भेलाक बाद विदा होइतकाल दाड़िम, लताम आ सिंघाड़ा हेमा दीदी से सनेश भेटै छल।
सात बरख बीत गेल।। हमर आई.ए के परीक्षा में दू मास बिलम्ब छल।। सूचना आएल जे नानी अब- तब में छथि। ममा गाम गेलहुं।तीन दिनके बाद हेमा दीदी के विवाह रहनि।

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नानी के हालत देखैत विघ्न के आशंका से सुरेश ममा अपन सासुर से हेमा दीदी के विवाह करेबाक निर्णय लेलैन आ अगिला भिनसरे सासुर जेबाक तैयारी कर चुकी छलाह। परन्तु विधाता के मर्जी, नानी ओही राति स्वर्गवासी भ गेली। हेमा दीदी के विवाह में आखिर विघ्न पड़िए गेलैन। हमहूं परीक्षा नजदीक रहला के कारण बारह दिन के बाद पटना अपन होस्टल चल गेलहुं। जाई से पहिने हेमा दीदी से भेंट करैले गेलहुं। आब ओ हेमा दीदी नहिं रहि गेल छलीह। हुनकर अपूर्व सुन्दरता आ कद-काठी के कारण स्वभाव में गांभीर्य आ शालीनता आवि गेल छलनि।
सुरेश ममाक विपन्न आर्थिक स्थिति के दुआरे हेमा दीदी नवां क्लास के बाद तीक्ष्ण बुद्धि आ तीव्र आकांक्षा के वावजूद आगू पढ़ाई नै क सकली। बच्चा में डाक्टरनी बनबाक हुनकर प्रतिज्ञा ओहिना मोन अछि। हेमा दीदी से कत्तेक त गप्प करबाक इच्छा होई छल मुदा काजक व्यस्तता में फुर्सति कत’ ।विदा से पहिने हेमा दीदी से भेंट भेल। “खूब मोन से पढ़िहें, बड़का हाकिम बनिहें आ गरीब बहिन के मोन रखिहें।“ हेमा दीदी कानि रहल छली।

 

 

…. चारि बरखक बाद पटना में अकस्मात जगदीश भाई से भेंट भ गेल। ममा गामक सभटा हाल- चाल कहलनि। हेमा दीदी के हाल- चाल पुछलियनि त चुप लगा गेला। अनसोहांत लागल। फेर पुछलियनि, की बात जगदीश भाई , कहलहुं नै?  पांच- सात मिनटक चुप्पी के बाद कहलनि,” ओकर पति के ब्लड कैंसर भ गेल छलै। दू मास पूर्व ओकर मृत्यु भ गेलै। एहेन अप्रत्याशित घटना! लागल जेना धरती तीव्र गति से घूमि रहल हो, एकदम अन्हार। हेमा दीदी के वैधव्य के खबरि के बाद सामान्य होएवा में लगभग आठ- दस दिन लागि गेल। जगदीशे भाई कहलनि,” हेमा दीदी के चारि बरखक एकटा बेटी छैन। ” सासुर पूर्णियां से सटले बेलागंज छैन। सासुर में अन्न- पानि के कोनो कष्ट नै । हेमा दीदी के पति हरिहर बाबू लगभग तीन बरख से कलकत्ता में कोनो जूट फैक्ट्री में मैनेजर छलखिन। पति आ बेटी के संग कलकत्ता में हेमा दीदी खूब खुशी से रहि रहल छलीह। दुर्गा पूजा मे हुनकर पति छुट्टी ल के सपरिवार अपन गाम वेलागंज आएल छला। गाम में अचानक तेज बुखार भ गेलैन। स्थानीय डाक्टर के इलाज चललनि मुदा ज्वर नै उतरलनि।

हेमा दीदी दियर के संग क के पति आ बेटी के संग कलकत्ता चल गेली । बड़का अस्पताल में सबटा जांच भेलाक बाद डाक्टर ब्लड-कैन्सर कहलकनि। अपना भरि इलाज होइत रहलनि, मुदा चारि मास के बाद देहान्त भ गेलैन। बहुत इच्छा भेल ,एक बेर हेमा दीदी के भेंट क’ आबी लेकिन साहस नै भेल। ऐ बीच शिक्षा विभाग में अधिकारी के पद पर चुनाव भेलाक बाद हमर पोस्टिंग भभुआ, दक्षिण बिहार में भ गेल छल।

 

सोलह बरखक समय बहुत होई छै।हमर पांचम पोस्टिंग पटना में छल। सात दिन पहिने हमर ट्रांस्फर पूर्णियांँ भ जेबाक अधिसूचना भेटल। हमर पत्नी, उर्मिला, पटना से ट्रांस्फर भ गेला से दुखी छलीह। मुदा कहलनि , चलू पूर्णियां में अहांक हेमा दीदी से भेंट हैत।
पछिला सत्रह बर्ष में आफिस के व्यस्तता आ अपन पारिवारिक उत्तरदायित्वक निर्वाह , हेमा दीदीक स्मरण क्षीण भ गेल छल।
बीच में चारि बर्ष पूर्व हमर ममाक बेटी के विवाह में हम विभागीय व्यस्तताक कारण नहिं जा सकल रही। उर्मिला बेटा वरुण आ बेटी रेखा के संग हमर ममा गाम गेल छली। हेमा दीदी सेहो गेल छलीह।
उर्मिला के पहिले बेर हेमा दीदी से भेंट भेल छलनि लेकिन चारिए- पांच दिन में दुनू में खूब घनिष्ठता भ गेलैन। उर्मिला वापस एलाक बाद से जखैन- तखैन हेमा दीदी आ हुनकर बेटी नीलम के प्रशंसा करैत अघाई नै छलीहे। नीलम से पता चला जे हेमा दीदी के सासुर में भिन-भिनौज भ गेलैन, आब हेमा दीदी अपन खेत- पथार नीक जकां सम्हारि लेने छली। बेटी नीलम एम.बी.बी.एस क चुकल छलखिन। हमरा हेमा दीदी के डाक्टरनी बनैक प्रतिज्ञा मोन पड़ि गेल। नीलम के विवाह सेहो डाक्टर से भेल छलै। ओई समय हमर पोस्टिंग भागलपुर में छल। नीलम के विवाह में सपरिवार एबाक निमंत्रण पत्र हमरा घुमैत- फिरैत अढ़ाई बरख पर पटना में भेटल छले।
अचानक मोन पड़ल, काल्हि अखबार में एकटा डाक्टर दम्पत्ति के अमेरिका जेबाक सूचना निकलल छलैक। अखबार से मिलान कएल त ठीके हेमा दीदी के बेटी- जमाय के फोटो छलैन। पटना के बस स्टैन्ड पर हेमा दीदी के जहिना पैर छू के प्रणाम करै छलियैन कि अकचकेली , मन्नू रौ!
” कत्त’ छें आई -काल्हि? तों नीलम के विवाह में नै एलें?”  किछु क्षण ले हम जेना अतीत में समाधिस्थ भ गेल रही।  हेमा दीदी के आवाज सँं संज्ञा वापस आएल। हलुक रंगक शाड़ी में गरिमामय गौरवर्ण हेमा दीदी हमरा समक्ष छली। अपनै कहलनि, ” नीलम सभक अमेरिका जेबाक तिथि दू मास बढ़ि गेल छलै। आईए हवाई जहाज में दिल्ली से विदा क के आबिए रहल छी। ई हमर जौत छियाह ,हमरा संग दिल्ली गेल छलाह।। हमर बस खुजि रहल छल। उर्मिला जोर से आवाज द’ रहल छलीह। झटकि के आबि के हम बस में चढ़लहुं। उर्मिला के कहलियनि,” देखियौ, हेमा दीदी अपने त डाक्टर नै बनली, बेटी के डाक्टर बना के अपन प्रतिज्ञा पूरा केलनि।
हमर बस खुजि गेल छल। हमर मोन उद्वेलित छल।एहेन कष्टपूर्ण तपस्या सब से संभव छै?  हे भगवान ! बीस बरखक वैधव्य जीवन जेकर मुंह देखि के बितौलनि , दीर्घकाल ले ओकर विछोहक दुख सहन करबाक साहस हेमा दीदी के देवैन।

****समाप्त****

Tags: maithilisahitya

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