सनातन धर्म मे तीर्थ नदी कए कहल गेल छै। नदीक पूजा सनातन संस्कृतिक एकटा प्रमुख भाग अछि। मुदा आइ ओ नदी आरती तक सिमटी कए रहि गेल अछि। गंगा आरती जरुर होइत अछि। नर्मदा एखनो पूज्य छथि। गंगा सागर आ प्रयाग मे एहनो तीर्थ होइत अछि। सिमरिया मे माघ करबा लेल एखनो भीड जुटैत अछि, मुदा पिछला 100 साल मे अगर किछु मानस पर स हटल अछि त वो पोखरि आ नदीक प्रति हम अहांक श्रद्धा। आइ समाज मे पोखरि आ नदीक महत्व खत्म भेल जा रहल छै। पोखरी नुका रहल छै आ नदी हेरा रहल छै। पिछला सप्ताह पत्रकार पुष्य मित्र पूर्वी मिथिलाक सौरा नदीक हेरायल रूप पर चर्चा केलथि। सौरा एकटा जीवंत नदी छल। ओकर पूरातन नाम सौरया (सूर्य) छल। एहि नदीक नाम पर एकटा पैघ रजवारा सेहो छल, जेकर नाम सौरा इस्टेट या सौरया इस्टेट छल। वंशहीनता कारण सौरया इस्टेट खत्म भ गेल। मिथिला विश्वविद्यालयक प्रथम कुलपति डॉ मदनेश्वर मिश्र सौरया इस्टेटक आखिरी महारानी पर एकटा किताब सेहो लिखने छथि। सौरया इस्टेट जेकां आइ सौरया नदी सेहो मानस पटल से दूर जा रहल अछि। जखन कि सौरया नदी स प्रेरित भ किछु लोग सौरया इस्टेट जेकां कोसी कए सेहो भूगोल बनेबाक प्रयास करैत रहलाह, मुदा सौरया नदी कए बचेबाक प्रयास नहि भेल। इ आलेख इंडिया टूडे क विशेष संवाददाता मंजीत ठाकुर पिछला सप्ताह लिखलथि अछि। ओकर अनुदित क साभार प्रकाशित कर रहल छी। – समदिया
ब्रिटिश छाप लेने शहर पुरैनिया मे एकटा नदी अछि, सौरा (सौरया). इ नदी बहुत दुखित भ गेल अछि. सूर्य पूजा स सांस्कृतिक संबंध रखनिहारि नदी सौरा आब सूखा रहल अछि आओर लोक सब एकर पेट मे घर आ खेत बना लेलक अछि। भू-माफिया क नजरि एहि नदी कए खत्म क रहल अछि आओर आब नदी मे शहर क कचरा फेंकल जा रहल अछि। देश मे नदीक सूखबाक या मृतप्राय भ जायब आब खबरि नहि बनैत अछि। चुनावी घोषणा पत्र मे अमूमन एकर जिक्र नहि होइत अछि। बिहार एखनो जल संसाधन मे संपन्न मानल जाइत अछि आ अतिवृष्टि त कई बेर लोक कए दिक् सेहो केलक अछि। एहि बेर त राज्य क उप-मुख्यमंत्री सेहो बेघर भ गेल छलाह।
मुदा एकर बरअक्स एकटा तीत सच्चाई इ सेहो अछि जे एक समय मे बिहार मे लगभग 600 नदी क धारा बहैत छल, मुदा आब ओहिमे स अधिकतर या त सूखा गेल या फेर अपन अस्तित्व कए बचेबा लेल संघर्षरत अछि। नदी विशेषज्ञ क कहब अछि जे नदी क एहि धारा क वजह स नहि केवल क्षेत्र क अर्थव्यवस्था कए मजबूत कैल गेल छल, बल्कि एहि स क्षेत्र क भूजल सेहो रिचार्ज होइत छल, मुदा आइ हालात बदलि चुकल अछि। विशेषज्ञ क कहब अछि जे केवल बिहार मे लगभग 100टा नदी, जाहिमे लखंदी, नून, बलान, कादने, सकरी, तिलैया, धाधर, छोटी बागमती, सौरा, फालगू आदि शामिल अछि, खत्म हेबाक कगार पर अछि।
पूरनिया मे नदी कए बेचबाक लेल अभियान चलेनिहार अखिलेश चंद्रा क अनुसार, इ नदी लंदन क टेम्स जेकां छल, जे पुरनिया शहर क बीचों-बीच स जाइत छल, अब पूणत: सूखा चुकल अछि आओर एहि मे आब शहर क कचरा फेंकल जाइत अछि। अखिलेश अपन एकटा रिपोर्ट मे लिखैत छथि, कहियो ‘पुरैनियां’ मे एकटा सौम्य नदी बहैत छल सौरा. कोसी जेकां एकर केशराशि सामान्य दिन मे छितरैत नहि छल। जे ‘जट’ कहियो अपन ‘जटिन’ कए मंगटिक्का देबाक वादा क ‘पू-भर पुरैनियां’ अबैत छल, ओकरा इ कमला नदी जेकां देखइत छल। जटिन जखन अपन कोख बचेबा लेल पुरैनियां अबैत छल, त गुहार लगबैत छल, “हे सौरा माय, कनी हौले बहो…ननकिरबा बेमार छै…जट स भेंट क बेगरता छै……आओर सौरा नदी शांत भ जाइत छल। अपन लेख मे अखिलेश सौरा कए ‘जब्बर नदी’ कहैत छथि। जब्बर एहन जे कहियो सूखाइत नहि छल। मुदा आइ समय ओकरा सूखा देलक। लोकक जरुरत बदलि गेल, लोकक स्वार्थ एकरा सूखा देलक। नदी क दाना-पानी बंद भ गेल अछि। लोक सांस थामि कए एकरा मरैत देख रहल अछि। अखिलेश लिखैत छथि, हमर मजबूरी एहन अछि जे हम शोकगीत सेहो नहि गाबि सकैत छी।
असल मे, बदलैत भारत क एकटा विडंबना इ सेहो अछि जे हम सब जाहि प्रतीक कए मां क दर्जा दैत छी ओकर दुर्गति भ जाइत अछि या चाहे घर क बूढ़ी मां हो आ गंगा, गाय आ हां, सौरा नदी. एकरा दोसर शब्द मे कहि सकैत छी जे हमरा जाहि प्रतीक क दुर्गति करबाक होइत अछि ओकरा हम सब माई क दर्जा द इैत छी। चंद्रा लिखैत छथि जे पूरनिया शहर कए दू हिस्सा मे बंटनिहारि सौरा नदी कए सौर्य संस्कृति क संवाहक कहल जाइत अछि, मुदा पिछला किछु साल स एहि नदीक सूखल जमीन पर कारोबारी नजर गडि चुकल अछि। नतीजतन, अनवरत कल-कल बहैत नदी क जगह पर कंक्रीट क जंगल पसरि रहल अछि।
एक समय छल जखन सौरा नदी मे आबि पूरनिया आ लगपास क इलाक मे सैकड़ा स बेसी धार मिलैत छल आ एकर प्रवाह कए ताकत दैत छल, मुदा आब एहन धारा गिनती क रहि गेल अछि। एहि धारा क पेट मे जगह-जगह पक्का मकान ढार क देल गेल अछि। नतीजतन सौरा क चौड़ाई कम होइत जा रहल अछि। हालांकि सौरा बेहद सौम्य-सन देखबा मे छल, एकर बहुत सांस्कृतिक महत्व छै. एकर नामकरण कए ल कए एखनो शोध कैल जा रहल अछि, मुदा इ मानल जाइत अछि जे सूर्य स सौर्य आ सौर्य स सौरा भेल। जेकर तारतम्य पूरनिया क पूर्वी अंतिम हिस्सा स सटल सुरजापुर परगना स जुड़ बुझाइत अछि।
पूर्णिया-किशनगंज क बीच एकटा कस्बा अछि सुरजापुर, जे परगना क रूप मे जानल जाइत अछि। बायसी-अमौर क इलाका कए छूबैत एकर हिस्सा अररिया सीमा मे प्रवेश करैत अछि। इ इलाका महाभारतकालीन मानल जाइत अछि, जतय विशाल सूर्य मंदिर क जिक्र आयल अछि। पुरातत्व विभाग क एकटा रिपोर्ट मे सेहो सौर्य संस्कृति क इतिहास क पुष्टि होइत अछि। ओना यैह ओ नदी छी, जतए आइ सेहो छठि महापर्व क मौका पर अर्घ देनिहार क पैघ जमघट लगैत अछि। अररिया जिलाक गिधवास लग स सौरा नदी अपन आकार लेब शुरु करैत अछि। ओहि ठाम इ नदी काफी पातर धारा क आकार मे निकलैम अछि आ करीब 10 किलोमीटर तक वैह रूप मे बहैत अछि। श्रीनगर-जलालगढ़ क चिरकुटीघाट, बनैली-गढ़बनैली क धनखनिया घाट आ कसबा-पूरनिया क गेरुआ घाट होइत सौरा जखन बाहर निकलैत अछि त एकर आकार व्यापक भ जाइत अछि। पूरनियाक कप्तानपुल अबैत-अबैत एकर पैघ स्वरूप दिखबा लेल भेटैत अछि। इ नदी आगू जाकए कोसी मे मिल जाइत अछि। एकटा समय छल, जखन सौरा एहि इलाका मे सिंचाई क सशक्त माध्यम छल. मुदा, बदलैत दौर मे न केवल एकर अस्तित्व पर संकट देखा रहल अछि, बल्कि एकर महत्ता सेहो विलुप्त होइत जा रहल अछि।
नदी क लगपास क हिस्सा पर आइ कंक्रीट क जंगल देखा रहल अछि पूरनिया मे सौरा नदी क पाइन क सबटा लिंक चैनल बंद भ चुकल अछि। अंग्रेज क समय सौरा नदी क पाइन निकलबा लेल लाइन बाजार चौक स कप्तान पुल क बीच चारिटा पुल बनाउल गेल छल। ऊपर स वाहन आ नीचा स बरसात क समय सौरा क अतिरिक्त जल निकलैत छल। आइ पुल यथावत अछि, मुदा ओकर नीचा स नदी क धारा नहि बहैत अछि। नदीक धार मे मकान बनि चुकल अछि। एम्हर मूल नदी क आकार सेहो काफी छोट भ गेल अछि नदी क कछैर स शहर पहुंच गेल अछि। हालांकि सोशल मीडिया पर आब पूर्णियावासी सौरा कए बचेबाक लेल सक्रिय भ गेलथि अछि। फेसबुक पर सौरा नदी बचाओ अभियान नाम क एकटा पेज बनाउल गेल अछि आओर पूर्णिया शहर क नाम पर बनल पेज पर सेहो लगातार सौरा क बारे मे लिखल जा रहल अछि। स्थानीय अखबार क मदद स सौरा स जुड़ल अभियान पर लगातार लिखल जा रहल अछि आओर जागरूकता सेहो पसरि रहल अछि, मुदा असली मसला त भू-माफिया क चंगुल स सौरा कए निकालबाक अछि। और ताहि स पैघ दोष एक इंच और जमीन कब्जा क लेबाक हमर अहांक बुनियादी लालची प्रवृत्ति। सौरा कए संजीवनी देनिहार धार कए मुंह बंद कैल जा रहल छै। एहन मे लगैत अछि जे अगिला पुश्त सौरा कए ‘सरस्वती’ क रूप स्मरण करत आओर ओकर अस्तित्व तकबाक प्रयास करत। दुख अछि जे पुरैनिया क सौरा नदी दूसर सरस्वती बनि रहल अछि।