फीसक बढैत खर्च, निजी स्कूलक खसैत पढाईक स्तर आ बाट चौराहा पर खुलैत कोचिंग सेंटर पर विचार करैत सरकारी स्कूल दिस लोक झुकाव कए उचित मानि रहल छथि डॉ प्रवीण झा। – समदिया
नोर्वे स डॉ प्रवीण कुमार
सुपर तीस क कन्सेप्ट की थिक? की हुनकर शिक्षक उच्च कोटि क थिकाह? कोनो प्रतिष्ठित स्कूल वा कालेज क परिभाषा भारत मे की रहल अछि? एकर सफलता क सूत्र की अछि ? की ई संभव छैक जे IIT क शिक्षक क काबिलियत बाँकी कालेज क बराबरि हो परन्तु छात्र क काबिलियत बढ़िया हो ? चूंकि ओ त चुनेवे कयला टाप रैंक क कारणे , तेँ एहि मे आश्चर्ये की ? ई त एहने भेल जे दूध से मलाई निकालि कहबै जे मलाई बचल दूध से बेसी स्वादिष्ट अछि।
पिछला दू दिन पहिने समाचार पत्र मे पढल जे केरल क सरकारी स्कूल में एकाएक दू लाख से बेसी विद्यार्थी नाम लिखौलक। एहि लेल गाँव क गाँव सामूहिक निर्णय लेलक जे बच्चा सब कए सरकारिए स्कूल मे पढाएब। आ एहि निर्णय क अनुरूप प्राइवेट स्कूल मे चारिम वर्ग तक पढय बला धीया पूता सब के एकमुश्त सरकारी स्कूल मे बदली करा लेल। प्रतिक्रिया स्वरूप सरकारी स्कूल सब उत्साह से भरि गेल। आब एहन वर्ग क विद्यार्थी सब स्कूल में आयल जे तंगी क कारणे नहि, बेहतरी क लेल दाखिला लेलक।
पंजाब आ हरियाणा क स्कूल सबहक खबरि क उल्लेख करैत कहब जे उन्नत राज्य रहितो एतुका स्कूल सबहक पर्फारमेंस कमजोर रहल। पंजाब क त एक्को बच्चा मैट्रिक पास नहि कयलक त हरियाणा मे पचास प्रतिशत से कमे परिणाम नीक अछि। हिमाचल मे त मात्र एक स्कूल मेरिट लिस्ट मे अछि। एहि राज्य सब मे केरल से उल्टा सरकारी से प्राईवेट दिस झुकाव अछि।
हमर दृष्टिकोण से समस्या स्कूल क नहि एडमिशन ट्रेंड क अछि जे भीड़ जेनअ गेल, माहौल बनल ओतए निष्कर्ष बढ़िया हेतैक आ तखैन सुबिधा सेहो बढतैक। सरकारी स्कूल मे कम उपस्थित देखि सरकारो क मनोबल टूटि जाइत छैक । फलतः एकटा एजुकेशन सेस लगा देलक, यूनिसेफ क किछु गुर्गा दौगोलक, शिक्षा मित्र आ डिजिटल एजुकेशन सबहक नींव दू चारि ठाम राखि देलक आ इतिश्री। सरकारे की करत यदि जनता क अभिरूचिये नहि रहतैक। सूर्योदय यदि प्राइवेट मे होइये त आरती ओम्हरे देखाउ। RTE क तहत ओतै नाम लिखा लिअ।
एक सांख्यिकी क अनुसारे प्राथमिक शिक्षा मे 41 प्रतिशत लोक चुनल जा रहल अछि जे सेकेण्डरी तक अबैत अबैत 65 प्रतिशत भ जाइछ। आब मात्र 35 प्रतिशत हेतु सरकार के मजबूरी मे मेहनत कर के छैक। यदि 70 प्रतिशत सरकार दिस आवि जाथि थ सरकार क मनोवल बढतैक आ शिक्षा मे सकारात्मक माहौल बनत। बेहतरी लेल किछु सरकार देतैक आकिछु जनता जे औखन द रहल अछि।
हम दिल्ली क विषय मे विचार व्यक्त नहि करब। ओतुका स्कूल सब पहिनो ठीक छल एखनो ठीक छैक। तेँ यदि बाँकी राज्य सबहक छात्र सामूहिक निर्णय लेथि जे कम से कम 50 सरकारी स्कूल में घर वापसी करब त ई सुपर 50 भ जायत। फीस क बचलाहा पाई स बच्चा सब कए आई पैड, बढ़िया किताब सब कीन दिऔ, प्राइवेट वाला सेहो त इएह सब करत।
अनुवाद – विनीत