सावित्री कुमारी
दरभंगा । दरभंगा क कामेश्वर नगर परिसर स्थित मोतिमहल में 1248 ई. क लिखल स्तम्भ लेख बरामद कैल गेल अछि। एहि स्तम्भ लेखक बरामदगी किछु नव छात्र क जिज्ञासा क परिणाम थीक। जानकारी क अनुसार ललित नारायण मिथिला विश्विविद्यालय क प्राचीन इतिहास क किछु छात्र जिज्ञासा मे एकरा दुनिया क समझ अनलथि अछि। दरअसल किछु दिन पहिने कुलपति साकेत कुशवाहा नरगौना पैलेस स प्रचीन इतिहास विभाग कए मोतिमहल स्थानांतरित करबाक आदेश देलथि।
उल्लेखनीय अछि जे मोतिमहल क निर्माण 1806ई. आसपास तिरहुत सरकार महाराजा छत्र सिंह मुख्य सचिवालय क रूप मे भेल छल। 1934 क भूकंप मे इ महल ध्वस्त भ गेल आ ओकर बाद एकर एतिहासिकता पर कहियो शोध नहि भेल। 3 दिसंबर कए जखन किछु छात्र माटी मे धंसल एकटा कारि पाथर क स्तम्भ कए देखलथि त जिज्ञासा मे ओकरा बाहर निकालि जखन साफ केलथि, त जिज्ञासा आओर बढि गेल। 201इंज लम्बा, 22 इंज चौरा आ 70 इंज मोट स्तंभ कए ऊपर तिरहुता लिपि किछु लिखल भेटल। एकर जानकारी तत्काल पटना मे जानकार लोकनि तक पहुंचायल गेल। स्तंम्भ क फोटो पटना पठाउल गेल। एकर बाद पटना क महावीर मंदिर क प्रकाशन विभाग पदाधिकारी भवनाथ झा लिपि कए अनुदित केलथि आ कहलथि जे एहि पर जे तथ्य लिखल अछि ओहि स ज्ञात होइत अछि जे इ पांच पंक्ति क स्तम्भ लेख 1248 ई. क अछि। इ लक्ष्मण सवंत 139 अर्थात सन 1248 बा 1258 ई. क अछि। इ लेख श्रीसंकेश्वरक नामक महाराज क जौ ढेर कए सूचित करैत अछि। इ स्तंभ कोनो खेत खलिहान बा बाज़ार मे लागल छल जे सूचित करैत होएत जे स्तम्भ क निकट जे अनाज अछि ओकर मालिक श्रीसंकेश्वरक नामक महाराज छथि। लेख मे महाराज कए सप्रक्रिय कहल गेल अछि जे महाराज लेल विशेष विरुद्ध अछि बा समस्त प्रक्रिया विराजमान क संक्षिप्त रूप अछि। एहि स इ सेहो सिद्ध होइत अछि जे ज्ञान क धारा मिथिला मे जल क भांति बहैत छल।