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देश मे यूरियाक लेल होबय वला आंदोलन आ हल्ला-हंगामा केना थमल? केना दूर भेल एकर किल्लत ?

June 13, 2018
in समाचार
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आंदोलन रुकय क कारण अछि नीम कोटिंग, इहिसँ यूरिया क बम बनाबय मे होबयवला दुरुपयोग रुकल आ उपलब्धता बढ़ल ।
चारू प्लांट शुरू भेल त अगिला 5 साल मे आयात बंद कए देब आ 10 साल मे निर्यात करय लागब ।

मणिभूषण झा
नई दिल्ली । यूरियाक उपलब्धता कए ल कए देश मे आब कोनो संकट नजर नहिं आबि रहल अछि । एहि यूरिया क लेल देशभरि मे कहियो किसान सबकए पैघ-पैघ आंदोलन होएत छल । मुदा आब हालत ई अछि जे 2012 स 2016 क बीच जहि यूरिया क बिक्री 30 से 30.6 मिलियन टन क बीच होएत छल, एहि साल ओ घटिकय 28 टन भए गेल ।
संकट आओर किल्लत खत्म हेबाक दू टा मुख्य कारण अछि ।

पहिल – आब यूरिया पर 100 प्रतिशत नीम कोटिंग भए रहल अछि । एहिसँ बम बनाबय सनक गतिविधि सबमे यूरिया क गलत इस्तेमाल बंद भए गेल अछि ।

दोसर – मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड सनक योजना लागू हेबाक चलते यूरिया क खपत मे गिरावट आएल । एहि योजना क तहत मिट्‌टी मे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस आऔर पोटेशियम (एनपीके) स्तर कए 4:2:1 पर लेबाक तैयारी भेल ।

यूरियाक आयात 1 साल मे 7.25% घटल

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December 24, 2020

– यूरिया क मांग 320 लाख टन अछि

– 50-70 लाख टन हर साल आयात करय पड़ैत अछि

– 226 लाख टन घरेलू उत्पादन

– 135 लाख टन एहि साल उत्पादन रहा

– 140 लाख टन पछिला साल छल

– 16 हजार टका प्रति टन उत्पादन पर खर्च होईत अछि

– 5,360 रुपए प्रति टन कीमत पर बेचल जाईत अछि

– 7.25% यूरिया का आयात कम भेल

– पिछले साल 40 लाख टन आयात भेल छल

– इस साल 37.10 लाख टन आयात भेल

केना पूरा भेल कमी ?

एहिके तीन पैघ कारण रहल- नीम कोटिंग, छोट बैग और पुरान प्लांट दोबारा शुरू करब।

1) छोट बैग

पहिले किसान कए 50 किलो के बैग में यूरिया भेटैत छल। अप्रैल 2018 सँ सरकार 45 किलो के बैग बनाबय शुरू कय देलक। ई एहिलेल कारगर रहल कियैकि किसान वजन सँ यूरिया के इस्तेमाल नहिं करय छथि। हर साल एहिसँ 7,000 करोड़ टकाक बचत होयत।

2) नीम कोटिंग

– यूरियाक इस्तेमाल कए कम करय लेल दू टा प्रोग्राम चलाओल जा रहल अछि – एसएचसी और एनसीयू।

– एनसीयू 2008 सँ शुरू कयल गेल। तखन मात्र 20% यूरिया के नीम कोटेड करबाक अनुमति छल। 2010 में एकरा बढ़ाकय 35% कयल गेल आ 2015 में 100% कय देल गेल।

– इहिमें एक टन यूरिया के 400 एमएल नीम तेल सँ कोटिंग कयल जाईत अछि। जरूरी फर्टिलाइजर के कंपोजिशन के नीम कोटिंग दय क बदलल गेल अछि। सबटा फर्टिलाइजर आउटलेट्स के लेल आब नीम कोटेड यूरिया बेचनाई अनिवार्य कयल गेल अछि।

एहिके फायदा

– नीम कोटिंग सँ गैर कृषि काज सब में यूरिया के उपयोग नहिं भय सकैत अछि। गलत इस्तेमाल रुकि जाईत अछि नहितँ एकरा विस्फोटक बनाबय में इस्तेमाल कयल जाईत रहल अछि। मिट्‌टी के ज्यादा पोषण भेटैत अछि। गाछ के लंबा समय तक पोषण भेटैत अछि। बेर-बेर फर्टिलाइजर के इस्तेमालक जरूरत नहिं होईत अछि। पैदावार बढ़ैत अछि आ पाई के सेहो बचत होईत अछि। यूरियाक लाइफ सेहो बढै़त अछि।

बम बनाबय में होबय छल इस्तेमाल, नीम कोटेड होबा सँ ई भेल बंद

नॉर्थ ईस्ट आ पश्चिम बंगाल में कतेको बेर बम बनाबय के लेल यूरिया के इस्तेमाल के बात सामने आयल छल। कतेको बेर बम बनाबय वला जगह सबपर सँ यूरिया सेहो बरामद कयल गेल छल। या त एकरा विस्फोटक के तरह इस्तेमाल करय के लेल कैमिकल्स में मिलाओल जाईत अछि वा फेर आरडीएक्स आ टीएनटी के तीव्रता बढ़ाबय के लेल इस्तेमाल कयल जाईत अछि।

3) चारि टा प्लांट दोबारा शुरू कयल जायत

– सरकार यूरिया के चारि प्लांट के दोबारा शुरू करय के फैसला कयलक अछि। एहिना गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), बरौनी (बिहार), तलचर (ओडिशा) आ रामागुनदम (तेलंगाना) प्रमुख अछि। यूरिया प्लांट्स के फेर सँ शुरू करय के लेल सरकार गैस पाइपलाइन बिछाबय के लेल 10 हजार करोड़ टका जारी कयलक अछि।

– न्यू इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के तहत पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में ग्रीनफील्ड अमोनिया यूरिया कॉम्प्लेक्स तैयार कयल गेल अछि जहिके क्षमता 1.3 एमएमटी सालाना अछि। 1 अक्टूबर 2017 से उत्पादन शुरू भय चुकल अछि। सब्सिडी के लेल यूनिट के अपन क्षमता का 50% इस्तेमाल करनाई जरूरी अछि आ एसएसपी यूनिट के लिए 40 हजार एमटी प्रोडक्शन जरूरी अछि।

– चारू प्लांट शुरू भेल त, 5 साल में आयात बंद कर देल जायत, 10 साल में निर्यात करय लागब।

केना तय होईत अछि दाम ?

– यूरियाक मार्केट पूरा तरह सरकार कंट्रोल करैत अछि। कीमत 5350 टका प्रति मीट्रिक टन तय कयल गेल अछि। फर्टिलाइजर मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर के तहत निर्माता, आयात और डिस्ट्रीब्यूशन के लेल साफ निर्देश देल गेल अछि। सिर्फ चार फर्म एकर आयात कय सकैत छथि। कखन आ कतेक आयात होबाक अछि आ ओहिमें की सब्सिडी देल जायत ई सेहो स्पेसिफिक अछि।

– भारत दुनिया में फर्टिलाइजर्स के दोसर सबसँ ज्यादा खपत करयवला आ तेसर सबसँ पैघ उत्पादक अछि। भारतीय फर्टिलाइजर सेक्टर देश में सबसँ ज्यादा रेग्युलेटेड सेक्टर अछि। फर्टिलाइजर बिजनेस सँ जुड़ी हर चीज पर सरकार के कंट्रोल रहैत अछि। सरकार किसान सबके लेल सस्ता फर्टिलाइजर मुहैया कराबय लेल सब्सिडी दैत अछि। पछिला सालक सब्सिडी बिल 70 हजार करोड़ छल। 2018-19 में यूरिया सब्सिडी 45 हजार करोड़ टका रहबाक अनुमान अछि।

– दुनियाभरि में भारत में यूरिया कए कीमत सबसँ कम अछि। बाहर एकर कीमत 86 डॉलर प्रति टन अछि। तहिना साउथ एशिया आ चीन सनके जगह पर भारत सँ दू स तीन गुना ज्यादा दाम अछि।

– 2020 तक यूरियाक दाम नहिं बढ़त। सब्सिडी के लेल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर लागू कय देल गयल अछि।आ एकर कीमत 5360 टका प्रति टन रहत। यानी एक बोरी के कीमत 268 सँ 300 रहत।

– 7 यूरियाक दाम के कम करबाक लेल पछिला 12 साल सँ 5% सब्सिडी देल जा रहल अछि। जबकि डीएपी आ बाकी फर्टिलाइजर्स पर ई काफी कम अछि। ईहै कारण अछि कि किसान यूरिया के इस्तेमाल करय चाहय छथि।

यूरिया

– खुदरा कीमत 270 टका हर 50 किलोक बैग के कीमत

– कीमत निर्धारण सरकार द्वारा

– सप्लाई के कीमत 970 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

– सब्सिडीक संग कीमत 700 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

– सब्सिडी कैल्कुलेशन – सप्लाई के कीमत माइनस खुदरा कीमत

डीएपी

– कीमत 1190 टका हर 50 किलोक बैग के कीमत

– सप्लाई के कीमत 1,810 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

– सब्सिडीक संग कीमत 620 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

– सब्सिडी कैल्कुलेशन – सरकार द्वारा तय

एमओपी

– कीमत 850 टका हर 50 किलोक बैग के कीमत

– सप्लाई के कीमत 1,300 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

– सब्सिडीक संग कीमत 450 टका हर 50 किलो के बैग के लेल

एमआरपी प्रति टन

– यूरिया – 5,360 टका

– अमोनियम फॉस्फेट सल्फेट – 23,124 टका

– नाइट्रोजन फॉस्फेट पोटाश – 22,780 टका

(डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर के 2014 के आंकड़ा)

यूरिया इंडस्ट्री में नुकसान

– राज्यों में लागल यूरिया प्लांट में सँ 50% घाटा में चलि रहल अछि। रिटर्न के बात करी त साल 2016-17 में -0.73% छल।

– यूरिया के निर्यात में सेहो 34% के कमी 2014 के बाद सँ आयल अछि। चारि टा पैघ यूरिया प्रोडक्शन यूनिट 2014 सँ काज कयनाई बंद कर देने अछि।

– 1990 सँ एखन तक 13 यूनिट या त बंद भय गेल अछि वा काम रुकल अछि।

(आंकड़ा सब फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक अछि)

ईसमाद किछु सवाल सबके जवाब जानय के लेल फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी सतीश चंद्र सँ बात करबाक कोशिश कयलथि लेकिन हुनका तरफ सँ कोनो जवाब नहिं भेटल।

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