पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऊर्जा क क्षेत्र मे गुणात्मक होड़ आ सेवा चयन लेल उपभोक्ता कए आजादी देबाक वकालत करैत अहलाह अछि जे जमाना बदलि रहल अछि, लोकक सामने इ विकल्प रहबाक चाहिये जे ओ कखन, केहन आ केतबा बिजली लेबाक इच्छुक अछि। टेलीफोनक क्षेत्र मे इ स्वतंत्रता आबि चुकल अछि आ बिजली क क्षेत्र मे एकरा एबा स आब बेसी दिन नहि रोकल जा सकैत अछि। ओ कहला जे बिजली बोर्ड क पुनर्गठन स एकर इंजीनियर आ तमाम कर्मचारी क सेवा शर्ते जस क तस रहत मुदा आन विकल्प सेहो खुलत। मुख्यमंत्री अटै्रक्टि्रंग इनवेस्टमेंट्स फॉर डेवलपमेंट ऑफ पावर सेक्टर इन बिहार विषय पर आयोजित एकटा सेमिनार मे इ गप कहलाह। ओ कहला जे बेहतर सेवा क मद्देनजर उपभोक्ता लगइ विकल्प रहबाक चाही जे ओ केकरा स बिजली कीने? बिजली बोर्ड क संग संग निजी निवेशक द्वारा सेहो लोक कए बिजली आपूर्ति हेबाक चाही। निजी निवेशक द्वारा अगर उपभोक्ता कए बिजली बोर्ड स कम दर पर बिजली उपलब्ध कराउल जाइत अछि त ओहि पर सरकार सब्सिडी देबा लेल तैयार अछि। सब्सिडी क उपयोग पारदर्शी तरीका स होएत। हमरा कोयला पर आधारित बिजली पर केवल नहि बल्कि अन्य संसाधन पर आधारित अक्षय ऊर्जा या बायोगैस आधारित बिजली पर सेहो निर्भर रहबाक चाही। ओ कहला जे बिजली बोर्ड क एखन धरि दुरुपयोग होइत रहल अछि। ओकरा सशक्त बनेबा लेल ओकर पुनर्गठन कैल जा रहल अछि। ओकर सुधार क संबंध मे सुझाव क आधार पर नीति बनत। नीति सरकार बनाउत। अपन नीति पर कोई सरकार चुनल जाइत अछि आ नीतिक असफलता पर सरकार खारिज सेहो कैल जाइत अछि। मुख्यमंत्री क इ वाक्य एक प्रकार स 1975 मे बिहारक निजी बिजली घर कए बंद करबाक सरकारी नीति पर प्रहार छल जाहि स आइ बिहार अन्हार अछि।
dekiyo or katek din tak anhar rahait aichh…