छात्र संघ क माध्यम स योग्य नेता तकबा मे जुटल बिहार
दरभंगा । कई टा प्रदेश मे एहन नेता अछि जेकर संबंध में कहल जाइत अछि जे ओ अंगूठा छाप त अछिए संग-संग एकटा पानक दुकान तक चलेबा योग्य नहि अछि, मुदा राज्य क नीति बना रहल अछि। लोकतंत्रक मे नेताक पाठशाला छात्र राजनीति स शुरू होइत अछि आ बिहार छात्र राजनीति स कईटा नीक नेता देश कए देलक अछि। एक बेर फेर बिहार छात्र राजनीति मे नव प्रयोग करबा लेल तैयार अछि। राज्य क विवि आ कॉलेज मे छात्र संघ क गठन क लेल चुनाव क जगह पर मनोनयन करबाक परिनियम कुलाधिपति अनुमोदित केलथि अछि। एकर मुताबिक छात्र संघ क कार्यकारिणी मे सर्वोच्च अंक पौनिहार छात्र कए नामित कैल जाएत। सबस बेसी अंक पौनिहार अध्यक्ष बनाउल जेताह। एहि परिनियम क आलोक मे छात्र संघ क गठन क प्रक्रिया शुरू भ गेल अछि।
कुलाधिपति स स्वीकृत ट्रांजिटरी परिनियम क प्रावधान क तहत कॉलेज/विवि क सबटा नियमित छात्र संघ क सदस्य हेताह। छात्र स प्रति वर्ष 25 टका नामांकन क समय सदस्यता शुल्क लेल जाएत। कॉलेज मे प्राप्त सदस्यता राशि मे स प्रति छात्र पांच टका विवि छात्र संघ क लेल प्रेषित कैल जाएत। कॉलेज छात्र संघ मे प्रत्येक संकाय स सर्वोच्च अंक प्राप्त करहिार दूटा छात्र क मनोनयन प्रधानाचार्य द्वारा कैल जाएत। एहिमे एकटा छात्रा हेतथि। दूटा खिलाड़ी छात्र क मनोनयन सेहो होएत, जाहिमे एकटा छात्रा क रहब अनिवार्य अछि। एकर संगहि अन्य गतिविधि मे शामिल एकटा छात्रा, एससी/एसटी, बीसी प्रथम आ बीसी द्वितीय कोटी स एक-एक छात्र क मनोनयन सर्वाधिक प्राप्तांक क आधार पर कैल जाएत। एहि मनोनयन मे शामिल छात्र-छात्रा मे सर्वाधिक प्राप्तांक वाला अध्यक्ष आ द्वितीय सर्वाधिक अंक वाला सचिव मनोनीत कैल जाएत। कॉलेज क प्रधानाचार्य हिनकर संरक्षक हेताह।
स्नातकोत्तर विभाग छात्र संघ क संरक्षक छात्र कल्याण अध्यक्ष हेताह, जखन कि कार्यकारिणी क सदस्य क मनोनयन कुलपति द्वारा कैल जाएत। कुलपति प्रत्येक संकाय स सर्वाधिक प्राप्तांक वाला दू-दू टा छात्र क मनोनयन करताह, जाहि मे एकटा छात्रा क रहब जरूरी अछि। एहि प्रकार एससी/एसटी, बीसी एक आ बीसी द्वितीय कोटि स एक-एकटा छात्र क मनोनयन प्राप्तांक क आधार पर कैल जाएत। एहि मे स सबस बेसी अंक अननिहार अंतिम वर्ष क छात्र अध्यक्ष आ प्रथम वर्ष क छात्र सचिव पद पर कुलपति द्वारा मनोनीत कैल जेताह। विवि छात्र संघ मे कॉलेज आ स्नातकोत्तर छात्र संघ क अध्यक्ष आ सचिव सदस्य हेताह। एहिमे सर्वाधिक प्राप्तांक वाला चारिटा छात्र मेधा क्रम मे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव आ संयुक्त सचिव कुलपति द्वारा मनोनीत हेताह। अगर छात्रा क प्रतिनिधित्व एहि मनोनयन क दौरान नहि होइत अछि त कुलपति एकटा खिलाड़ी आ एकटा अन्य गतिविधि स जुड़ल छात्रा क मनोनयन विवि छात्र संघ मे करताह। विवि क्षेत्राधीन राजकीय कॉलेज क प्रधानाचार्य क दिस स सेहो सर्वाधिक प्राप्तांक वाला दूटा छात्र क मनोनयन विवि छात्र संघ मे कैल जाएत। एहि मनोनयन क बाद विवि क प्रत्येक संकाय स मेधा क क्रम मे सर्वाधिक अंक वाला दू-दूटा छात्र क मनोनयन कुलपति द्वारा कैल जाएत। कुलपति विवि छात्र संघ क संरक्षक हेताह। प्रावधान क मुताबिक छात्र संघ क गठन एक वर्ष क लेल होएत। परिनियम मे छात्र संघ कोष क उपयोग आ बजट निर्माण आ संचालन संबंधी सेहो प्रावधान कैल गेल अछि। एहि परिनियम क विरोध राजनीति दल स जुड़ल कतिपय छात्र संगठन क दिस स इ कहैत भ रहल अछि जे छात्र संघ क गठन मनोनयन क बदले निर्वाचन स हेबाक चाही। ज्ञात हुए जे न्यायादेश क अनुपालन क क्रम मे कुलाधिपति क दिस स अलग-अलग गठित दूटा कमेटी क अनुशंसा क आलोक मे एहि परिनियम क स्वीकृति देल गेल अछि। दूनू कमेटी मे तीन-तीनटा कुलपति शामिल छलाह। इ परिनियम राजेन्द्र कृषि विवि आ नालंदा खुला विवि कए छोडि़कए अन्य सबा विवि मे प्रभावी अछि। एहन स्थिति मे विवि स्तर पर विरोध बेमानी लागि रहल अछि, ओना ओ छात्र नेता हंगामा करबा मे लागल छथि जे पढ़बा स बेसी ‘नेतागिरि'(तोडफ़ोड़) मे बेसी समय बर्बाद करैत रहलाह अछि।