पटना। धुआं क लकीर हलका करि बिहार नव कथा लिखबा लेल तैयार भ चुकल अछि। इ ओहि विकसित देश क लेल उदाहरण अछि जे कोपेनहेगन मे भेल विश्व जलवायु सम्मेलन मे कार्बन उत्सर्जन कम करबा पर आनाकानी केलथि। इ प्रयास देश क एहन राज्यक दिस स भ रहल अछि जे पर्यावरण संरक्षण आ ग्लोबल वार्मिग कए लकए संवेदनशील अछि। इ विदेशी मुद्रा अर्जित करबाक एकटा पैघ जरिया सेहो बनत। विकास क दौड़ मे आगू बढ़बा लेल आतुर बिहार संगठित तरीका स वायु प्रदूषण कम करि एहि साल यूरोपीय देश कए अपन ‘कार्बन क्रेडिट प्वाइंटÓ बेचबा लेल तैयार भ चुकल अछि। जलवायु पर नजर रखनिहार संयुक्त राष्ट्र संगठन क स्वीकृति भेटला स एहि साल कम स कम 50 लाख यूरो क विदेशी मुद्रा अर्जित हेबाक उम्मीद अछि। कार्बन क्रेडिट प्वाइंट अर्जित करबा लेल सूबा मे कईटा कल-कारखाना क्लीन डेवलप्मेंट मेकनिज्म(सीडीएम) उपकरण लगेलक अछि। इ उपकरण पर्यावरण कए दूषित करि ग्लोबल वार्मिग कए बढ़ावा देनिहार कार्बन गैस क उत्सर्जन कए कई गुना कम करत। एहन पहल करबा मे सबस प्रमुख अछि बिहार हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन(बीएचपीसी)। पश्चिम चंपारण स्थित त्रिवेणी लिंक कनाल आ रोहतास स्थित नासरीगंज प्रोजेक्ट मे एहन उपकरण लगाउल गेल अछि। एहि स हर वर्ष 22 हजार टन कार्बन गैस क कम डिस्चार्ज होएत। जेकरा स 22 हजार कार्बन क्रेडिट प्वाइंट भेटत, जाहि स दस यूरो क हिसाब स 2.20 लाख यूरो भेटत। 10 स 13 यूरो यानी 700 स 910 टका क बराबर अछि। एहि साल अपन 16 आओर प्रोजेक्ट मे एहन उपकरण लगेबाक बीएचपीसी क योजना अछि। एहन करि बीएचपीसी 60 लाख यूरो आओर विदेशी मुद्रा क रूप मे अर्जित करत। ओकरा स प्रति वर्ष 60 हजार प्वाइंट भेटत मिलेंगे। इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) बरौनी रिफाइनरी मे फ्लेयर ग्लास रिकवरी सिस्टम(एफजीआरएस) तकनीक अपनेबाक फैसला लेलक अछि जाहि स साल मे 18,832 टन कार्बन गैस क उत्सर्जन कम होएत। गोपालगंज मे सिधवालिया बायोमास पावर प्रोजेक्ट अपने टर्बाइन मे सीडीएम तकनीक लगेलक अछि। नतीजतन एहि प्रोजेक्ट स एहि साल 1,94,105 टन कार्बन गैस बाहर निकलबा स रूकत। सीमांचल क अररिया जिला मे बायोमास गैसिफायर पर आधारित तापघर मे सेहो एहने उपकरण लागल अछि जे साल मे 70,681 टन जहरीली गैस वातावरण मे घुलबा स रोकत। नरकटियागंज बायोमास पावर प्रोजेक्ट मे बैक-प्रेशर टर्बाइन लगाउल गेल अछि। जे सालाना 8,382 टन कार्बन गैस उत्सर्जित हेबा स रोकत।