पटना। राज्य सरकार एकटा नीक फैसला लेलक अछि। निश्चित रूप स सरकारक इ फैसला लोकक पारिवारिक जीवन पर असर देखाउत। भौतिकवादी दुनिया आ उदारवादी समाज मे माई-बाप क उपेक्षा बढल जा रहल छल, एहन मे आब कम स कम बिहार मे माइ-बापक उपेक्षा करब आब संज्ञेय अपराध भ गेल। दोषी कए जेल मे देल जा सकत। एहन मामलाक सुनवाई लेल सबटा अनुमंडल मे न्यायाधिकरण गठित होएत। एहि तरह स सरकार ओहि माई-बाप कए बुढाबा सुखमय बना देलक अछि जे अपन बच्चा स उपेक्षा झेल रहल छथि। एहि विषय मे जानकारी दैत कैबिनेट सचिव कहला जे मंत्रिपरिषद क बैसार मे माता-पिता आओर वरिष्ठ नागरिक क भरण-पोषण आ कल्याण अधिनियम 2007 कए बिहार मे सेहो लागू करबाक प्रस्ताव कए स्वीकृति द देल गेल अछि। एकरा लेल सबटा अनुमंडल मे एकटा न्यायाधिकरण बनत। अनुमंडलाधिकारी एकर अध्यक्ष हेताह। एकर निर्णय क खिलाफ जिला परिवार न्यायालय मे अपील कैल जा सकैत अछि। कानून क अनुसार कोनो बुढ व्यक्ति लेल भोजन, घर आ चिकित्सा क इंतजाम करब आब ओकर बालिग बेटा, बेटी, पोता, पोती क दायित्व होएत। सौतेला भेला प सेहो इ दायित्व स मुक्ति नहि भेट सकैत अछि। जिनका संतान नहि अछि हुनकर खास संबंधी, यानी विधिक उत्तराधिकारी कए इ जिम्मेदारी होएत। बूढ क कोनो प्रकारक अवहेलना आब संज्ञेय अपराध होएत। दोषी कए 3 मास क जेल या 5000 टका क आर्थिक दंड या दूनू संग-संग भ सकैत अछि। ओना राज्य सरकार गरीब कए आश्रय देबा लेल सब जिला मे वृद्धावस्था आश्रम खोलत, जाहि मे 150 गोटे क व्यवस्था होएत।