बिहार बदलि रहल अछि। इ समाद एखन धरि बिहार स आबि रहल छल, मुदा पहिल बेर इ शंखनाद दिल्ली स भेल। बिहारक विकास लेल चिंतित पत्रकार मे एक, जागरण क स्थानीय संपादक निशिकांत ठाकुर पिछला हफ्ता अपन एकटा आलेख मे बदलैत बिहार क ओ छवि प्रस्तुत केलाह, जे एखन धरि जागरण क आन संपादकक आलेख मे नहि देखबा मे आयल छल। एकर एकटा कारण इ भ सकैत अछि जे बिहार मे जागरण क एकोटा संपादक बिहारी नहि छथि, जखन कि निशिकांत जी दिल्ली मे रहियो कए बिहार स कहियो दूर नहि भ सकलाह। जाहि अखबार मे किछु साल पहिने तक इ कहल जाइत छल जे बिहार मे मात्र खून बिकाइत अछि, ओहि अखबार मे निशिकांत जीक इ आलेख आशाक एकटा नव दीया जेकां अछि। प्रस्तुत अछि दैनिक जागरण मे छपल निशिकांत जीक ओ आलेखक किछु अंशक मैथिली अनुवाद…..
समदिया
कोसी क तांडव क एखन बहुत दिन नहि बीतल अछि। बिहार नहि त एखन धरि ओहि स उबरा अछि आ नहि ए ओकरा बिसरि सकल अछि। एहन आपदा बिसरबा मे साल नहि, सदी लागि जाइत अछि। हालांकि बिहार क संदर्भ मे इ कोनो नव गप नहि अछि। कोसी पहिनो एहन कहर बरपा चुकल अछि आ लोक ओकर कहर क शिकार सेहो होइत रहल अछि। मात्र कोसी नहि, गंगा, गंडक, कमलाबलान आ कईटा दोसर नदी सेहो पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार क लोक लेल शोक बनैत रहल अछि। कटान, बंधान आ राहत कार्य क नाटक हर बेर होइत रहल अछि, इ जनैत जे एहि प्रयास स किछु हासिल होई वाला नहि अछि। नहि त पहिने कहियो सार्थक प्रयास शुरू कैल गेल आ नहि ए कैल जा रहल प्रयास मे ईमानदारी बरतल गेल। बाढ़ जतय एक कात किछु लोक लेल जीवन-मरण क प्रश्न होइत अछि, ओतहि किछु लोक लेल इ कमाई क जश्न सेहो होइत रहल अछि। एहनो नहि जे लोक कए एकर निदान क लेल सही कदम क जानकारी नहि छल, मुदा संसाधन क बंदरबांट क ओहने प्रवृत्ति क कारण एहि दिशा मे कहियो सही कदम उठाउले नहि गेल। बहरहाल, बिहार क जनता क लेल शोक क ओ दिन आब बीतल बुझल जेबाकचाही। आजादी क 60 साल बादे सही, मुदा सही कदम आब उठाउल जा रहल अछि। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम क सुझाव क मुताबिक बिहार सरकार बाढ़ नियंत्रण योजना कए सुखाड़ स जोड़बाक दिशा मे आब कदम उठा रहल अछि।
वास्तव मे एहि दिशा मे बहुत पहिने काज शुरू करि देबाक चाहैय छल आ ओ मात्र बिहार टा मे नहि , बल्कि पूरा राष्ट्रीय स्तर पर इ काज हेबाक चाही। एहि संबंध मे कई बेर कई तरह क प्रस्ताव सेहो देल जा चुकल अछि। देश भरि क सबटा नदी कए आपस मे जोडि़ देबाक राजग सरकार क प्रस्ताव एहि दिशा मे शुरू कैल गेल एकटा प्रयास छल। इ अलग गप अछि जे ओ प्रस्ताव कोनो परिणाम तक पहुंच नहि सकल। मुदा बिहार मे ओकरा राज्य स्तर पर धरातल तक अनबाक कोशिश शुरू भ गेल अछि। कोशिश जखन शुरू भ गेल अछि त देर-सबेर ओकर नतीजा सेहो सामने आउत। ओनाओ एकटा राज्य सरकार क प्रयास क दायरा सेहो अपन राज्य स बाहर नहि भ सकैत अछि। ओ जे प्रयास करत अपन राज्य मे करि सकैत अछि। हालांकि इ प्रस्ताव एखन बिलकुल शुरुआती दौर मे अछि, मुदा बताउल जा रहल अछि जे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एहि मसला पर खासा गंभीर छथि।
वस्तुत: इ सुझाव पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम क छी। ओ जल संसाधन विभाग क विशेषज्ञ कए सुझाव देने छलाह जे ओ जल प्रबंधन क माध्यम स राज्य मे उपलब्ध पाइन क उपयोग करथि। खुद सरकार एहि स पहिने बिहार जल प्रबंधन सिस्टम बनेबाक प्रस्ताव देेने छल, जेकरा संशोधित करि डॉ कलाम बिहार जल प्रबंधन निगम बनेबाक सलाह देलाह। वस्तुत: जल प्रबंधन क सही व्यवस्था नहि हेबाक कारण स तमाम गाम आ शहर मे सार्वजनिक पोखर पर लोक क कब्जा भ गेल अछि। एकर अंधाधुंध दोहन हेबाक कारण कईटा क्षेत्र मे भूगर्भ जलस्तर बहुत नीचा चल गेल अछि। एकर चलते कईटा क्षेत्र मे सुखाड़ क समस्या उत्पन्न भ गेल अछि। विशेषज्ञ त एतबा धरि चिंता जता चुकला अछि जे अगर समय रहैत एकर निदान नहि ताकल गेल त कईटा क्षेत्र मे पेयजल क समस्या ठार भ जाइत। एकर विपरीत अगर जल प्रबंधन क व्यवस्था करि देल गेल त सूखा क संग-संग बाढ़ क समस्या सेहो अपने-आप हल भ जाइत। हर साल बाढ़ राहत आ सूखा राहत क नाम पर करोड़क करोड़ टका बर्बाद करनिहार सरकार कए सेहो राहत भेट जाइत आ ओ धन क सदुपयोग दोसर विकास कार्य मे भ सकत।
एहन नहि जे पिछला सरकार कए एहि गपक जानकारी नहि छल, मुदा पहिने एकर समाधान क दिशा मे ईमानदारी स प्रयास नहि कैल गेल। सच त इ अछि जे पिछला दू दशक मे जे सरकार बिहार मे रहल, ओ नहि त आम जनता क समस्या कए बुझबाक कोशिश केलक आ नहि ए ओकर समाधान क। ओकर कुल रुचि केवल एकटा काज मे छल आ ओ छल समस्या कए दबेबा क । नीतीश सरकार समस्या कए दबेबाक बजाय ओकर समाधान क दिशा मे ठोस कदम उठेबाक पहल केलक अछि। पिछला चारि साल मे ओ सब तरह क समस्या कए जमीनी स्तर पर बुझलाह आ ओकर वास्तविक समाधान क कोशिश केलथि अछि। ओ समस्या चाहे कानून-व्यवस्था क रहल या फेर भ्रष्टाचार क, शिक्षा क रह हो या चिकित्सा या किसान क लेल खाद-बीज क उपलब्धता क। एकर असर आब बिहार मे साफ तौर पर देखल जा सकैत अछि। चारि साल पहिने तक सब दिस हताश नजरि अबैत छल, आब एहि राज्य क लोक मे नव सिरा स उत्साह क संचार हुए लगल अछि आ पूरा राज्य मे पुनर्निर्माण क माहौल सन बनि गेल अछि। इ अपने आप मे एकटा पैघ उपलब्धि अछि। हालांकि एकरा उपलब्धि मानि लेबा मे कोनो समझदारी नहि होइत। समझदारी वस्तुत: एहि गप मे अछि जे एखन राज्य मे सकारात्मक सोच आ व्यवस्था क प्रति विश्वास क जे माहौल बनल अछि, ओकर उपयोग करि विकास कए गति देल जाए। विकास क एहि प्रक्रिया क सार्थकता त एहि गप मे अछि जे राज्य स पलायन क प्रक्रिया रोकल जा सकए। बिहार क जनता एहि त्रासदी आ अपमान स मुक्ति चाहैत अछि आ इ तखन धरि संभव नहि अछि जखन धरि राज्य मे औद्योगीकरण क बेहतर व्यवस्था नहि बना देल जाए। किया कि जखन धरि किछु पैघ उद्योग नहि आउत तखन धरि लोकक लेल रोजगार क व्यवस्था नहि बनि सकत। जल प्रबंधन क संग-संग अगर औद्योगीकरण क सेहो बेहतर व्यवस्था बना देल जाए, त राज्य क संकट काफी हद तक हल भ जाइत। कृषि आ उद्योग, एहि दूनू क्षेत्र मे बेहतरी क लेल कानून-व्यवस्था कए दुरुस्त करब जरूरी छल आ एहि प्रयास मे नीतीश सरकार काफी हद तक सफल रहल अछि। आब ओकरा औद्योगीकरण क दिशा मे गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू करबाक चाही।