प्रीतिलता मल्लिक
संगीत क्षेत्र क उभरैत गायिका अंशुमाला आब नीके छथि। हुनकर दूनू किडनी खराब भ गेल छल। एक प्रकार स हुनक जीबाक सबटा उम्मीद खत्म भ गेल छल। ससुर हुनका छोडि देने छल, बाप लग सामर्थ नहि छल आ सरकार उदासीन छल। कांस्टेबल पद पर कार्यरत पिता ईश्वरानंद झा हैसियत स फाजिल खर्च कए अपन बेटी क जान बचेबा लेल पटना क कुर्जी हॉस्पीटल, आइजीएमएस क अलावा लखनऊ आ वेल्लौर क अस्पताल मे इलाज करेलाक बाद विशेषज्ञ अंशु लेल एकमात्र बाट किडनी क ट्रांसप्लांट देखेलक। खर्च पूछबा पर बताउल गेल सात लाख। एखन मे अंशु क मां अपन किडनी देबा लेल त तैयार भ गेलीह, मुदा सात लाख लेल अंशुक जीवन बचेबा मे परिवार सक्षम नहि भ पाबि रहल छल। तखनो अंशु कए नई दिल्ली क अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान मे भर्ती करेबाक प्रयास भेल। मुदा कागजी तामझाम मे ओ सेहो नहि भ सकल। पटना क शास्त्रीनगर क पुलिस क्वार्टर मे भगवान भरोसे जिंदगी क अंतिम सांस ल रहल अंशु लेल 26 जून खास रहल। ओहि दिन कांग्रेस क पूर्व सांसद रंजीता रंजन क पहल पर सामाजिक संस्था युवा शक्ति, जेकर संरक्षक पूर्व सांसद पप्पू यादव छथि, 50,000 टका अंशु क इलाज लेल देलक। एकर बाद उम्मीद जगल आ लोक सब मदद लेल सामने आयल। राज्य0 सरकार सेहो अंशु क इलाज करेबाक घोषणा केलक, मुदा राज्य सरकार क घोषणा आन घोषणा जेकां रहल। अंशु कए एक टका राज्य सरकार दिस स नहि भेटल। स्वास्थ विभाग क प्रधान सचिव आइ धरि कागज तैयार करबा मे लागल छथि। मुख्यमंत्री राहत कोष या अन्य निधि स टकाक भेटबाक प्रक्रिया पता नहि कहिया पूरा होएत।
टकाक त गप छोडू राज्य सरकारक घोषणा आ आश्वासनक औकात इ अछि जे ओहि आधार पर अंशु कए 27 जून कए आइजीएमएस मे दाखिला तक नहि देल गेल। विडंबना इ रहल अछि सरकार क घोषणा क बाद सामाजिक क्षेत्र सेहो निश्चित भ गेल जे अंशुक ईलाज भ रहल अछि। मुदा अंशु क हालत खराब होइत जा रहल छल। इ सूचना पाबि रंजीता आइजीएमएस स तत्काल अंशु कए गुड़गांव स्थित मेदांता मेडी सिटी मे दाखिल करेबाक व्यवस्था केलथि। आखिरकार 19 अगस्त कए अंशु क किडनी क सफल ट्रांसप्लांट भ गेल। आब चिकित्सक हुनकर स्थिति खतरा स बाहर बतेलथि अछि। पूर्व सांसद रंजीता रंजन ओहि परिस्थिति मे संगीत क एकटा होनहार प्रतिभा क जान बचेलथि जखन एक प्रकार स ओ सब दिय स नाउम्मीद भ चुकल छल।
अंशु रंजीता आ ओ सबटा शुभेच्छु क प्रति शुक्रगुजार छथि, जिनकर प्रयास स ओ जीवित बचलीह अछि। अंशु कहैत छथि, ”इलाज मे 7 लाख रु. खर्च भेल, आधा राशि असगर रंजीता जी देलथि अछि। जखन कि हरियाणा, गुड़गांव, पंजाब, राजस्थान, लखनऊ, बंगलुरू आ मुबंई सन स्थान स सेहो लोक हमर मदद केलक अछि। द रायजिंग बिहार संगठन 1,05,000 रु. आ दिल्ली यूनिवर्सिटी क शिक्षक आ छात्र सब 1,00,000 रु. जन सहयोग क रूप मे देलथि अछि.”
बहरहाल, आज तक स कैल गप में अंशु कए सरकार क भूमिका पर बेहद अफसोस अछि। कहैत छथि ‘ ससुर वाला जेकां सरकार सेहो हमरा अपन हाल पर छोडि देलक। कला-संस्कृति आ युवा विभाग क मंत्री डॉ. सुखदा पांडेय आइजीएमएस तक एलीह, मुदा मदद नहि पहुंचल। रंजीता रंजन सरकार आ समाज दूनू क भूमिका पर सवाल ठार करैत छथि। ओ कहैत छथि ”सरकार चाहैत त अंशु क मुफ्त मे इलाज करा सकैत छल, मुदा घोषणा स आगू सरकार नहि बढल। लोक मरल लोकक श्राद्ध आ मंदिर बनेबा मे लाखो-करोडों खर्च कए दैत अछि मुदा पड़ोस मे मरि रहल बहिन-बेटी लेल जेब छोट पडि जाइत अछि।’
27 वर्षीया अंशु शास्त्रीय संगीत आ लोकधुन क बिहार क उभरैत कलाकार छथि। ओ म्युजिक मे पटना यूनिवर्सिटी क मगध महिला कॉलेज स स्नातक आ दिल्ली यूनिवर्सिटी क मिरांडा हाउस कॉलेज स एम.ए. आ एम.फिल. केने छथि। ओ लोक संगीत आ सुगम-संगीत मे यूनिवर्सिटी टॉपर रहल छथि। राष्ट्रपति भवन मे अंशु क प्रतिभा क पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम सेहो सराहना केने छथि। अंशु क ईलाज भ गेल, आब ओ अपन ‘नर कए आओर निखारि सकैत छथि। मुदा सवाल इ अछि जे जखन अंशु सन विख्यात आ प्रतिभा संपन्न बेटीक लेल समाज आ सरकारक इ उदासिनता रहल त बिहार आ मिथिला मे आर बेटी अछि, आउ ओकरा लेल किछु कैल जाए।
एकर अलावा भी कैकटा लोग अंशुमाला जीक सहायता केलैथि अछि, मुदा ई बड़ ख़ुशीक गप जे अंशुमाला जी अब स्वस्थ अछि आ खतरा स बाहर अछि
इंडिया टुडे से ली गई है यह खबर. सिर्फ इंट्रो बदला गया है. सात लाइन के बाद पूरी स्टोरी मिला कर देख लें. अंशु से पूरी बात प्रीतिलता मल्लिक ने नहीं बल्कि अशोक कुमार प्रियदर्शी ने की है. तस्वीर भी वाही से चुराई गई है. http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/63649/66/0/pappu-yadavs-wife-ranjita-saves-life.html
पप्पू यादव की पत्नी रंजीता ने बचाई जान
जब संगीत के क्षेत्र की उभरती गायिका अंशुमाला की दोनों किडनियां फेल हो गईं तो उनके जीने की सारी उम्मीदें खत्म-सी हो गई थीं. ससुरालवालों ने उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. पटना में कांस्टेबल पद पर कार्यरत पिता ईश्वरानंद झा की हैसियत मेडिकल जरूरतों के हिसाब से कमजोर पड़ने लगी. वे अपनी छोटी बेटी की जान बचाने के लिए पटना के कुर्जी हॉस्पीटल, आइजीएमएस के अलावा लखनऊ और वेल्लौर के अस्पतालों में इलाज करा चुके थे, जहां विशेषज्ञों ने अंशु की जीने की एकमात्र राह किडनी का ट्रांसप्लांट बताई थी.
अंशु की मां अपनी किडनी देने को तैयार थीं, लेकिन तीन बेटियों और दो बेटों की जिम्मेदारी वाले ईश्वरानंद आर्थिक रूप से ऐसा कराने में सक्षम नहीं थे. फिर भी 3 जून को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उसे दाखिल कराने का प्रयास किया ताकि कम पैसे में इलाज संभव हो सके. संस्थान की जटिलताओं के कारण वे भर्ती नहीं हो सकीं. वह पटना के शास्त्रीनगर के पुलिस क्वार्टर में भगवान भरोसे जिंदगी की अंतिम सांसें गिनने लगीं.
तभी 26 जून को कांग्रेस की पूर्व सांसद रंजीता रंजन की पहल पर सामाजिक संस्था युवा शक्ति, जिसकी संरक्षक रंजीता और अध्यक्ष पूर्व सांसद पप्पू यादव हैं, ने 50,000 रु. अंशु के इलाज के लिए दिए. राज्य सरकार ने भी अंशु का इलाज कराने की घोषणा की. स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव ने अविलंब भर्ती कराने का निर्देश दिया. खर्च के बारे में कागज तैयार करने को भी कहा गया ताकि मुख्यमंत्री राहत कोष या अन्य निधि से उसका इलाज कराया जा सके.
लेकिन अगले ही दिन 27 जून को आइजीएमएस में दाखिले के समय विभागीय पत्र की अहमियत का एहसास अंशु के परिवारवालों को हो गया, जब उसकी हालत बिगड़ जाने की स्थिति में संस्थान दाखिला देने को भी तैयार नहीं था. अंशु की मां शषि किरण झा बताती हैं, ”15 दिनों के अंतराल पर अंशु का डायलिसिस के सिवा कुछ भी नहीं कराया जा सका जबकि जरूरत उसे किडनी ट्रांसप्लांट की थी.”
विडंबना यह कि सरकार की घोषणा के बाद सामाजिक क्षेत्र से मिलने वाली मदद के दरवाजे भी बंद हो गए थे. तभी अंशु का हालचाल जानने रंजीता और युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ललन कुमार आइजीएमएस पहुंचे. रंजीता ने उसे तत्काल हरियाणा के गुड़गांव स्थित मेदांता मेडी सिटी में दाखिल कराया, जहां 19 अगस्त को अंशु की किडनी का सफल ट्रांसप्लांट हो गया. अब चिकित्सकों ने उनकी स्थिति खतरे से बाहर बताई है. ललन कुमार बताते हैं कि रंजीता ने उस परिस्थिति में संगीत की एक होनहार प्रतिभा की जान बचाई जिस समय ससुरालवाले ही नहीं बल्कि सरकार ने भी पल्ला झाड़ लिया था.
अंशु रंजीता और उन शुभेच्छुओं के प्रति शुक्रगुजार है, जिनके प्रयास से वे जीवित बच सकीं. अंशु कहती हैं, ”इलाज में 7 लाख रु. खर्च हुए, जिसमें से आधी राशि अकेले रंजीता ने दी. यही नहीं, ऐसा माहौल तैयार किया जिसके चलते हरियाणा, गुड़गांव, पंजाब, राजस्थान, लखनऊ, बंगलुरू और मुबंई जैसे स्थानों के लोगों ने दरियादिली दिखाई. द रायजिंग बिहार संगठन ने 1,05,000 रु. और दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्रों ने 1,00,000 रु. जन सहयोग के रूप में दिए.”
बहरहाल, अंशु को सरकार और ससुरालवालों की भूमिका पर बेहद अफसोस है. वे कहती हैं, ”जिस तरह ससुरालवालों ने मुझे मेरे हाल पर मायके में छोड़ दिया, ठीक उसी तरह सरकार ने आइजीएमएस में दाखिला कराकर अपनी औपचारिकता पूरी कर दी.” उन्होंने बताया कि कला-संस्कृति और युवा विभाग की मंत्री डॉ. सुखदा पांडेय आइजीएमएस में जब उनसे मिलने आई थीं, तब मदद का आश्वासन दिया था. अब तक करीब दस बार उनसे फोन पर बात हुई है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है.
रंजीता सरकार और समाज की भूमिका पर सवाल उठाती हैं. वे कहती हैं, ”सरकार चाहती तो अंशु का मुफ्त में इलाज करा सकती थी, लेकिन घोषणाओं तक सीमित रही. लोग मरे हुए लोगों के श्राद्ध और मंदिर बनाने में लाखों रु. खर्च करते हैं, लेकिन जब कोई पड़ोस में मर रहा होता है, तब उसकी जान बचाने के लिए उनकी जेब छोटी पड़ जाती है.”
27 वर्षीया अंशु शास्त्रीय संगीत और लोकधुन की बिहार की उभरती कलाकार रही हैं. वे म्युजिक में पटना यूनिवर्सिटी के मगध महिला कॉलेज से स्नातक और दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से एम.ए. और एम.फिल. पूरी कर चुकी हैं. वे लोक संगीत और सुगम-संगीत में यूनिवर्सिटी टॉपर रही हैं. राष्ट्रपति भवन में अंशु की प्रतिभा की पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम भी सराहना कर चुके हैं. अब वे अपने ‘नर को और निखार सकती हैं.