दरभंगा। महाराजा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन अपन सिंडिकेट क बैठक विभिन्न महाविद्यालय मे आयोजित करबाक एतिहासिक निर्णय लेलक अछि । दरअसल बिहार मे जेतबा खराब संस्कृत क हाल अछि ओतबे संस्कृत कॉलेज सबहक। 1962 मे दरभंगा महाराज संस्कृत भाषा कए बढाबा देबा लेल अपन महल कए दान द बिहार क पहिल संस्कृत विश्वविद्यालय क स्थापना क बाट साफ केलथि। मुदा कालांतर मे आन संस्थान जेकां इ सेहो मरनासन्न भ गेल। कईटा एहन कॉलेज कए एहि विश्वविद्यालय से जोडि देल गेल अछि जेकरा लग अपन भवन तक नहि अछि। आधारभूत संरचनाक घोर अभाव झेल रहल एहि कॉलेज सबहक हाल दिन प्रतिदिन खराब होइत गेल। स्थिति इ भ चुकल अछि जे शिक्षक आ शिक्षकेतर कर्मचारी कए दरमाहा नहि भेटैत अछि आ भवन क अभाव मे छात्र सेहो बहुत रास कॉलेज दिस देखब छोडि चुकल छथि। एहन हालात मे विश्वविद्यालय प्रशासनक इ फैसला दूरगामी प्रभाव देखाउ। जानकारक कहब अछि जे कॉलेज मे बैसार स सिंडिकेट क सदस्य कए ओहि ठामक परिस्थिति स अवगत हेबाक मौका भेटत। संगहि एहि बहाने कालेज सेहो अपन आंतरिक संसाधन कए विकसित करबाक दिशा मे सजग आ सक्रिय भ सकत।
कुलपति डॉ. अरविंद कुमार पांडेय क अनुसार एहि लेल कालेज सब कए प्रस्ताव पठा देल गेल अछि। पहिल प्रस्ताव राजकीय संस्कृत कॉलेज काजीपुर, पटना स भेटल अछि आ ओहि ठाम 23 अक्टूबर कए सिंडिकेट क बैसार होएत। ओ कहला जे धर्मसमाज संस्कृत कालेज, मुजफ्फरपुर आ संस्कृत कालेज, गया दिस स सेहो एहि तरहक प्रस्ताव भेटल अछि । एहि दिशा मे आगू विमर्श केलाक बाद निर्णय लेल जाएगा। दोसर दिस, कुलसचिव डॉ. सुधीर कुमार चौधरी कहला अछि जे सिंडिकेट क बैसार जाहि कॉलेज मे होएत ओहि कॉलेज कए सिंडिकेट सदस्य लेल भोजन आ आवास क व्यवस्था अपन आंतरिक स्रोत स करबाक अछि। कुल मिलाकए कहल जा सकैत अछि जे एहि फैसलाक बाद दुनियाक समझ सेहो संस्कृत कॉलेजक सही छवि सामने आबि सकत।