पटना । कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर विकास क बाट तय करि रहल बिहार कए केंद्र सरकार सिचाई आ बाढ प्रबंधन लेल समुचित सहयोग कहियो नहि देलक। बिहार संग केंद्र क भेदभाव हरदम देखार भेल अछि मुदा बिहार सही रूप मे कहियो केंद्र लग अपन विरोध दर्ज नहि करा सकल अछि। जाहि कारण स इ उपेक्षा लगातार बढैत रहल अछि। आइ देखल जाए त जल प्रबंधन मामला मे केंद्र बिहार क हाथ पूर्णत: बांधि रखने अछि। इतिहास पर गौर करि त आजादीक बाद बाढ आ सिचाई लेल बनल सबस पैघ परियोजना मे बिहार कए शामिल कैल गेल। कहबा लेल पंजाब मे भाखडा नगर आ बिहार मे कोसी नहर एक संग शुरू कैल गेल, मुदा भाखडा तैयार भेल आ अपन जीवन सेहो जी लेलक, मुदा कोसी नहर आइ धरि पूरा नहि भ सकल। इ मात्र एकटा उदाहरण अछि। देखल जाए त केंद्र जे बिहार संग केलक ओ एहन एहन कईटा कथा कए निर्माण क सकैत अछि।
नेपाल स वार्ता लेल केंद्र लग समय नहि
आजादी स ल कए आइ धरि बिहार मे बाढि नेपालक जल प्रबंधनक विफलताक कारण अबैत रहल अछि। एहन मे भारत सरकार कए एहि समस्या क निराकरण लेल प्रयास करबाक चाहैत छल, मुदा आइ धरि राज्य सरकार अपन संसाधन स एहि अंतरराष्टीय समस्याक निराकरण करैत रहल अछि। बिहारक जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी क कहब अछि जे नियमक अनुसार अंतरराष्टीय कारण स आयल आपदा क निदान केंद्र सरकार कए करबाक अछि मुदा बिहारक मामला मे केंद्र उदासीन अछि। नेपाल संग एहि समस्याक निदान लेल लाख अनुरोधक बावजूद केंद्र ठोस पहल नहि क रहल अछि। केंद्र एहि रवैया स एक दिस सब साल बिहार क 94 लाख हेक्टेयर स बेसी जमीन आ 74 फीसदी आवादी प्रभावित भ रहल अछि ओतहि आधारभूत संरचना कए भारी क्षति होइत अछि। श्री चौधरी कहैत छथि जे राज्य मे कुल 3629 किमी लंबा बांध अछि जे सब साल मरम्मत मंगैत अछि। केंद्र सरकार मरम्मत लेल महज 75 फीसदी राशि दैत अछि। किया त इ समस्या बिहार क मात्र नहि छी ताहि लेल केंद्र कए एकर पूरा खर्च वहन करबाक चाही। बिहार सरकार चाहलाक बावजूद एहि लेल बहुत किछु नहि करि सकैत अछि। एहन मे राज्य कए केंद्र स इ उम्मीद करब मजबूरी अछि जे ओ बिहार कए बाढ स मुक्ति देबा लेल प्रयास करै।
जल रोकबाक आ जल बहेबाक अधिकार तक नहि अछि बिहार लग
बिहार लग एक दिस नेपाल से आबि रहल अतिरिक्त जल कए रोकबाक अधिकार नहि अछि, त दोसर दिस गंगा मे बिहार स जा रहल अतिरिक्त जलक उपयोग करबाक अधिकार सेहो बिहार लग नहि अछि। गंगा स बिहार तबादी जरूर झेलैत अछि, मुदा गंगा स ओकर जल लेबाक अधिकार बिहार लग नहि अछि। ओना गंगा उप्र संगहि कईटा राज्य स गुजरैत अछि, मुदा जल उपयोग करबाक जेहन पाबंदी बिहार संग लगाउल गेल अछि ओहन आन कोनो राज्य संग नहि लगाउल गेल अछि। जल संसाधन मंत्रालय क आंकडा कहैत अछि जे बिहार मे जेतबा जल गंगा मे उप्र स अबैत अछि ओहि स कहीं बेसी जल बिहार बंगाल कए गंगा जलक रूप मे दैत अछि, एकर बावजूद गंगाजल पर बिहार क अधिकार नहि अछि। दोसर दिस गंगा स तबाही कोनो आन राज्य स बेसी बिहार झेलैत आयल अछि। सवाल अछि बांग्लादेश संग भेल जल संधि क दंश केवल बिहार किया झेलत। बांग्लादेश कए प्रयाप्त जल पठेबा लेल केवल बिहार कए प्यासल किया राखल जेबाक नीति केंद्र लागू केने अछि। सबस पैघ गप इ जे उप्र स जेतबा जल बिहार मे अबैत अछि अगर ओहि त बेसी जल बिहार स बंगाल जा रहल अछि त गंगा मे प्रवाहित अतिरिक्त जल पर बिहार क अधिकार किया नहि रहबाक चाही। एक दिस हम नेपालक अतिरिक्त जल क कारण बहि रहल छी, त दोसर दिस गंगाक अतिरिक्त जलक उपयोग पर पाबंदी स सूखल खेत देख रहल अछि।
नदी जोड परियोजना क हाल कोसी नहर परियोजना सन हेबाक उम्मीद
नेपाल मे हाई डैम क निर्माण त पिछला 60 साल मे नहि भ सकल आ बिहार क बाढ क निदान लेल नेपाल स केंद्र कोनो ठोस वार्ता सेहो नहि क सकल अछि। एहन मे बिहार सरकार लेल नदी जोड परियोजना एक मात्र विकल्प क रूप मे सामने अछि। नेपाल स आबि रहल मनानंदा, कोसी, कमला, बालान, बागमती, गंडक आ अवधारा समूहक नदी कए एक दोसर स जोडबाक प्रयास मे लागल बिहार सरकार कए केंद्र मदद क बदला मे एक प्रकार स टांग खिचबाक प्रयास मे लागल अछि। जल प्रबंधन लेल बिहार सरकार अति महत्वाकांक्षी परियोजना तैयार केलक अछि। पहिने त केंद्र सरकार एकरा अनुपयोगी करार देलक, फेर केंद्र सरकारक मुखसंस्था योजना आयोग एकरा अतिमहग परियोजना साबित करबाक प्रयास केलक, मुदा सुप्रीम कोर्ट क आदेशक बाद केंद्र आखिरकार एहि परियोजना कए लागू करबा लेल तैयार भेल। मुदा नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी जाहि गति स एकर डीपीआर तैयार क रहल अछि ओहि स पता चलैत अछि जे केंद्र केतबा गंभीरता स एहि परियोजना कए पूरा करबाक इच्छा रखैत अछि। ओना बिहार नदी जोड परियोजना पर काफी आगू बढल अछि आ केंद्र स एकमुश्त 90 फीसदी राशि मांग केलक अछि। जाहि स इ परियोजना कोसी नहर परियोजना जेना लटकाउल नहि जा सकए।
बिहार क योजना गताल खाता मे
इ केंद्र क उपेक्षे कहल जाएत जे जल संसाधन विभागक कईटा योजना केंद्र लग मात्र मंजूरी लेल लटकल अछि। केंद्र क इ रवैया सेहो अपना आप मे कमाल क अछि जे बिहार क 28टा बाढग्रस्त जिला मे स केंद्र मात्र 15टा जिला कए बाढग्रस्त घोषित केने अछि। बाकी जिला मे आयल बाढ लेल केंद्र कोनो प्रकारक मदद राज्य कए नहि दैत अछि। बाढ आ सिंचाई लेल बिहार सरकार जाहि योजना पर काज शुरू केलक अछि ओहि मे केंद्र क हिस्सेदारी क बाट ताकल जा रहल अछि। लगभग 1799 करोडक पूर्वी गंडक नहर प्रणाली फेज दू क तहत वैशाली, समसतीपुर आ मुजफफरपुर जिला क एक लाख 46 हजार हेक्टेयर जमीन मे सिंचाई संभव भ सकत। लगभग 505 करोड क बागमती फेज तीन क तहत 107 किमी तटबंध क निर्माण हेबाक अछि। खगडिया आ समस्तीपुर जिला कए एहि स सुरक्षित राखल जा सकत। महानंदा फेज दू क तहत 192 किमी बांध बनेबाक अछि 496 करोडक एहि योजना स किशनगंज आ कटिहार जिला कए बाढ स सुरक्षित कैल जा सकैत अछि।
नीति निर्धारण मे बिहार क कोनो भूमिका नहि
केंद्र लेल बिहारक उपेक्षा आब कोनो विषय नहि रहल। हाल मे केंद्र सरकार बाढ क आकलन करबा लेल एकटा विशेषज्ञक कमेटी बनेलक अछि। एहि कमेटी मे बाढ स सबस बेसी प्रभावित बिहार क एकटा प्रतिनिधि कए नहि राखल गेल अछि। आंकडा कहैत अछि जे देश मे बाढग्रस्त क्षेत्रक 17 फीसदी हिस्सा बिहार मे अछि। ओना कमेटी मे बिहार क प्रतिनिधि नहि रखबाक विरोध राज्य सरकार केलक अछि, मुदा इ विरोध सेहो एकटा विभागीय पत्र स बेसी किछु नहि कहल जा सकैत अछि। केंद्रीय जल आयोग क अध्यक्षता मे बनल एहि 16 सदस्यीय कमेटी कए बाढ स निदान लेल रिपोर्ट तैयार करबाक अछि। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार वंसल लेल बिहार केतबा मायने रखैत अछि ओ एहि कमेटीक सदस्यक चयन स बुझल जा सकैत अछि। बिहार सबस पैघ समस्याक निदान मे बिहारक पक्ष रखबाक लेल कोनो प्रतिनिधि नहि रहत। इ कमेटी हर छह माह पर अपन रिपोर्ट देत। एक बेर फेर बिहार क भविष्य केंद्र क रहमोकरम पर तय हेबाक अछि। अनुभव नीक नहि अछि ताहि लेल उम्मीद सेहो सकारात्मक नहि राखल जा सकैत अछि। 2006 मे केंद्रीय जल मंत्रालय पटना मे गंगा बाढ नियंत्रण आयोग क अध्यक्ष क अध्यक्षता मे एकटा कमेटी बनेने छल, तखन ओ कमेटी देश क 39टा जिला कए बाढग्रस्त घोषित केने छल। सैद्धांतिक तौर पर एहि कमेटीक रिपोर्ट कए योजना आयोग सेहो स्वीकार करि लेने छल, ओकर बावजूद बिहार मे केंद्र सरकार एहि रिपोर्ट क आधार पर कोनो योजना कए मंजूरी नहि देलक अछि।
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